मध्यप्रदेश में जिन 22 बागी विधायकों के पाला बदल लेने से कांग्रेस सरकार गिर गई थी, अब वही विधायक शिवराज सरकार के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं। कैबिनेट गठन में शिवराज चौहान को न चाहते हुए भी समर्थकों को शामिल करना पड़ेगा।
हालांकि ऐसा माना जा रहा है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक होने के कारण शिवराज कैबिनेट के गठन में कम से कम 10 समर्थकों को शपथ दिलाई जा सकती है। पहले अप्रैल माह में कैबिनट गठन होना था लेकिन अब लॉकडाउन खत्म होने के बाद कैबिनेट गठन की संभावना है।
शिवराज के लिए बड़ी चुनौती
बीजेपी नेताओं की माने तो एमपी में कैबिनेट गठन में 14 से 18 बीजेपी विधायक तक मंत्री बनाए जा सकते हैं। इनमें अगर 10 सिंधिया समर्थकों को शामिल करें तो शिवराज कैबिनेट में लगभग 28 मंत्री शपथ ले सकते हैं। लेकिन इस दौरान शिवराज किसे छोड़े और पकड़े, यह स्तिथि पैदा हो गई है ऐसे में शिवराज सिंह चौहान के लिए कैबिनेट का गठन करना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।
जोड़-तोड़ जारी
एमपी सरकार में शिवराज कैबिनेट में मंत्री रह चुके पुराने दिग्गज विधायक नए कैबिनेट में शमी होने के लिए अब जोड़-तोड़ में लगाने में लगे हैं। कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए 22 विधायकों को लेकर वैसे भी बीजेपी विधायकों में तनाव बना हुआ है, क्योंकि यह तय है कि उनमें से कईयों को कैबिनेट में शामिल किया ही जायेगा। ऐसे में उनकी जगह कहां होगी इसलिए वो सभी प्लानिंग करने में लगे हैं। बता दें, मध्यप्रदेश विधानसभा में कुल 230 सीटें हैं, यानी एमपी में मुख्यमंत्री सहित कुल 35 विधायक मंत्री बन सकते हैं।
संतुलन बनाना होगा मुश्किल
शिवराज चौहान के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी कि वो नई सरकार ने कैसे सभी को खुश रखते हुए सामाजिक और क्षेत्रीय रूप से संतुलन बना ले जाते हैं। शिवराज को क्षेत्रीय स्तर पर प्रदेश के सभी संभागों से मंत्री बनाने के साथ सामाजिक समीकरण के स्तर पर क्षत्रिय, ब्राह्मण, पिछड़े, अनुसूचित जाति और आदिवासी समाज को खास वरीयता देनी होगी लेकिन इस बीच सिंधिया के समर्थकों का भी ख्याल रखना होगा।
जातिगत बढ़ेंगी मुसीबतें
इस बीच शिवराज को सबसे ज्यादा मुसीबत जातिगत संतुलन बैठाने में होगी क्योंकि अब राजपूत दावेदारों की संख्या बढ़ गई है। एमपी में अभी कैबिनेट के लिए रामपाल सिंह के अलावा भूपेंद्र सिंह, नागेंद्र सिंह, बृजेंद्र प्रताप सिंह और सिंधिया समर्थक राज्यवर्द्धन सिंह दत्तीगांव प्रबल दावेदार हैं।
यही स्थिति ब्राह्मण वर्ग की भी है। नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव के अलावा रीवा से राजेंद्र शुक्ल, सीधी से केदार शुक्ल, संजय पाठक, होशंगाबाद से सीतासरन शर्मा भी दावेदार हैं। इस बीच शिवराज के सामने मुसीबत यही है कि वो सिंधिया समर्थकों को कैबिनेट में जगह दें या अपने मंत्रियों को, क्योंकि यही भविष्य की रणनीति तैयार करने में मदद करेंगे
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