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Madhya Pradesh में कांग्रेस के पांच विधायकों के मन में मंत्री न बन पाने का दर्द

Madhya Pradesh में कांग्रेस के पांच विधायकों के मन में मंत्री न बन पाने का दर

भोपाल। प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद पांच वरिष्ठ विधायकों के मन में आज भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल पाने की पीड़ा है। यह पीड़ा पिछोर के विधायक केपी सिंह ने अपने क्षेत्र के मतदाताओं के बीच पहुंचने पर सार्वजनिक रूप से व्यक्त की।
वहीं, भाजपा की उमा भारती लहर में भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीतने वाले नागदा-खाचरौद के कांग्रेस विधायक अपने से कनिष्ठ विधायकों के मंत्री बन जाने से दुखी हैं। वे कहते हैं कि नेताओं को गुटों को मजबूत करने के बजाय पार्टी को मजबूत करने की तरफ ध्यान देना चाहिए था।
कांग्रेस सरकार को बने 50 दिन हो चुके हैं, लेकिन वरिष्ठ विधायक अभी भी दो-दो बार के विधायकों को मंत्री बनाए जाने और स्वयं को बाहर रखे जाने की पार्टी की रणनीति से दुखी हैं। पिछोर से छह बार के विधायक केपी सिंह, अनूपपुर से पांच बार के विधायक बिसाहूलाल सिंह, नागदा-खाचरौद से चार बार के विधायक दिलीप गुर्जर, सुमावली से चार बार के विधायक एंदलसिंह कंसाना और बदनावर से तीन बार के विधायक राजवर्धन सिंह के मन में आज भी पीड़ा है। मगर इन सभी को उम्मीद है कि उन्हें मुख्यमंत्री कमलनाथ मंत्रिमंडल विस्तार में जगह जरूर देंगे।
मतदाताओं के सामने पीड़ा रखी
पिछोर से विधायक केपी सिंह के मन की पीड़ा तो सोमवार को उनके क्षेत्र के खनियाधाना में सामने भी आ गई। उन्होंने मतदाताओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया तो अच्छा नहीं लगा। दो बार के विधायकों को मंत्री बना दिया गया तो मैं भोपाल से ग्वालियर चला गया और किसी से नहीं मिला। फिर सोचा इसमें समर्थकों या कार्यकर्ताओं का क्या दोष? केपी सिंह ने कहा कि समय रहते कसक कम हो जाती है, लेकिन जो घाव हुआ है वह तो है ही। मैं किसी से मांगने नहीं गया और न ही किसी से बात की।
वरिष्ठता को ध्यान में रखना था: गुर्जर
केपी सिंह के सार्वजनिक रूप से पीड़ा बयां करने पर जब मंत्री नहीं बन पाए कुछ वरिष्ठ विधायकों से चर्चा की तो उनका दर्द भी छलक उठा। नागदा-खाचरौद के विधायक दिलीप गुर्जर ने कहा कि वे उमा भारती की लहर में 2003 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीतकर विधायक बने और फिर 2008 में भी जब कांग्रेस के अधिकांश प्रत्याशी हार गए तो भी वे जीते। उन्होंने कहा कि गुटों को मजबूत करने के बजाय पार्टी को मजबूत करने की रणनीति अपनाकर मंत्रिमंडल बनाना था। वरिष्ठता को ध्यान में रखा जाना था।
जब तक जिंदा हूं, अधिकार की मांग करूंगा: कंसाना
वरिष्ठता को नजरअंदाज किए जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह समर्थक मुरैना के सुमावली से विधायक एंदलसिंह कंसाना आज भी कहते हैं कि मेरी अधिकार की लड़ाई है। जब तक जिंदा हूं तब अधिकार के लिए लड़ूंगा। मैंने केवल एक जगह अपनी बात रखी थी और उसी कारण मुझे मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने दिया। इसके बाद भी में किसी दूसरी जगह नहीं जाऊंगा, चाहे मुझे कुछ मिले या नहीं मिले।
सीएम से लेकर कांग्रेस अध्यक्ष तक से कहा: राजवर्धन
उधर, बदनावर से तीन बार के विधायक राजवर्धन सिंह ने  बताया कि उन्होंने अपनी बात मुख्यमंत्री कमलनाथ, सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तक से कह दी है। राहुल गांधी ने भी आश्वासन दिया है कि उन्होंने नेताओं से सबकुछ ठीक करने के लिए कहा है। सिंह ने कहा कि मंत्रिमंडल में किसे लेना है किसे नहीं, यह मुख्यमंत्री के अधिकार क्षेत्र का मामला है।

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