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अस्थाई रोजगार जिंदगी के लिए धीमा जहर: डॉ.राठौर

देश- प्रदेश के होनहार योग्य प्रतिभाशाली बेरोजगार युवा अपनी जिंदगी में इस बात का हमेशा ध्यान रखें, भूल से भी किसी प्रकार के अस्थाई रोजगार का चयन ना करें। उससे तो बेहतर यह है कि आप अपना स्वयं का कोई भी छोटा- मोटा रोजगार प्रारंभ करें। जिससे कि वह आपके जीवन में काम आएगा। क्योंकि अस्थाई रोजगार जिस दिन आपका साथ छोड़ेगा उस दिन आपके पास कुछ भी शेष ना रह पाएगा। यह विचार शासकीय श्रीमंत माधवराव सिंधिया स्नातकोत्तर महाविद्यालय शिवपुरी में कार्यरत अतिथि विद्वान डॉ रामजी दास राठौर ने अस्थाई रूप से प्राप्त रोजगार के अवसरों के बारे व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि युवाओं को शासकीय एवं अशासकीय क्षेत्र में कार्य करने के पहले यह निश्चित रूप से सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि उनके द्वारा किया गया कार्य का रूप स्थाई है या अस्थाई है? अस्थाई रूप से किए गए कार्य में उन्हें यह लगता है कि आने वाले निकट भविष्य में उनको उनके कार्य के आधार पर स्थायित्व प्रदान कर दिया जाएगा, तो यह एक बहुत बड़ी गलतफहमी होती है।आप किसी भी विभाग में चले जाइए हर विभाग में आपको अस्थाई कर्मचारी मिल जाएंगे जो कार्य करते- करते उम्र के इस पड़ाव पर आ चुके हैं कि वह बिना नौकरी के ही रिटायर हो जाएंगे। शासकीय क्षेत्र हो या निजी क्षेत्र दोनों ही क्षेत्रों में आज इस तरह की परिस्थितियां बन चुकी हैं कि किसी भी तरह हो बेरोजगार युवाओं का शोषण दोनों क्षेत्रों द्वारा किया जा रहा है। बेरोजगार युवा साथी यह सोचकर अस्थाई कार्य करने के लिए सहमत हो जाते हैं कि आज नहीं तो कल उन्हें समयानुसार योग्यता के आधार पर स्थाई कर दिया जाएगा लेकिन जब उनका यह सपना टूटता है तब तक काफी देर हो चुकी होती है वह कार्य करते- करते उम्र के उस पड़ाव पर जा चुके होते हैं जहां वह चाह कर भी अन्य किसी रोजगार के अवसर में बेहतर कार्य नहीं कर सकते क्योंकि उनकी योग्यता और अनुभव का पूरा लाभ शासकीय और निजी क्षेत्र के प्रतिष्ठानों द्वारा लिया जा चुका होता है। बड़े दुर्भाग्य का विषय है कि देश आजादी के बाद भी शोषण की प्रथा आज भी बदस्तूर जारी है। इस शोषण के खिलाफ कभी किसी ने विशेष ध्यान नहीं दिया सरकार की जितनी भी योजनाएं आ रही हैं उनमें सांसद,विधायक, मंत्री, स्थाई कर्मचारियों के वेतन में दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ोतरी होती चली जा रही है। वहीं अस्थाई रूप से नियुक्त किए गए कर्मचारियों को जीवन यापन करने के लिए नाम -मात्र का वेतन दिया जा रहा है यदि कभी वेतन बढ़ाने की बात होती भी है तो सरकार के पास अस्थाई कर्मचारियों के लिए कोई बजट नहीं होता। वित्त विभाग हमेशा उसमें ऑब्जेक्शन लगा देता है कि हमारे पास इन के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं है। उन्हें किसी प्रकार की अन्य सुविधाएं जो कि अन्य कर्मचारियों को दी जाती हैं कभी भी प्रदान नहीं की जाती हैं। ना कोई मेडिकल सुविधा और ना ही कोई आकस्मिक अवकाश एवं मातृत्व अवकाश दिया जाता है। यह व्यवस्था वर्तमान में बड़ी विषम परिस्थितियों की ओर इंगित करती है। एक तरफ तो हम कहते हैं भारत देश युवाओं का देश है युवाओं को अपनी मातृभूमि एवं प्रदेश की सेवा करनी चाहिए। युवा अपनी योग्यता के आधार पर संस्थाओं के साथ जुड़कर सेवाएं प्रदान करते हैं लेकिन उन्हें समय पर स्थायित्व प्रदान न करके उनके साथ धोखा किया जाता है। शासकीय एवं अशासकीय क्षेत्र को कुशल, अकुशल अर्धकुशल किसी प्रकार के कर्मचारियों की आवश्यकता है तो उन्हें स्थाई रूप से कार्य करने वाले कर्मचारियों की तरह है समान कार्य समान वेतन तो निश्चित तौर पर दिया ही जाना चाहिए।नहीं तो अस्थाई रूप से कर्मचारियों की नियुक्ति को पूर्ण रूप से बंद कर दिया जाना चाहिए। स्थाई रूप से कार्य करने वालों का वेतन स्थाई कर्मचारियों से ज्यादा ही होना चाहिए जो कि हकीकत में काफी कम होता है। अस्थाई कर्मचारियों का शोषण होते- होते उनके परिवार गरीबी के दुष्चक्र में फंस जाते हैं।अस्थाई कर्मचारी स्वयं बेहतर ज़िंदगी नहीं जी पाते और न ही अपने परिवार के सदस्यों के लिए बेहतर सुविधाओं का प्रबंध कर पाते हैं। आधुनिक सभ्यता के इस दौर में जहां हम विकास की लगातार बात करते हैं। सबका साथ सबका विकास की बात करते हैं तो ऐसी स्थिति में अस्थाई कर्मचारियों के विकास कार्य को कैसे भूला जा सकता है।शासकीय एवं अशासकीय क्षेत्र उनके विकास की बात क्यों नहीं करते? यदि देश के विकास में स्थाई कर्मचारियों का योगदान है, तो अस्थाई कर्मचारियों के अनवरत योगदान को भी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने भी अपने जीवन के सुनहरे समय को उत्पादक कार्यों में लगाया है। अतः सरकार की जिम्मेदारी है कि सभी प्रकार के कर्मचारियों का उचित ख्याल रखे तभी रामराज्य की संकल्पना साकार हो सकती है।

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