चीफ ऑफ इंटिग्रेटिड डिफेंस स्टाफ पद से रिटायर हुए सतीश दुआ ने कहा कि रक्षामंत्री रहते हुए मनोहर पर्रिकर ने कई साहसिक फैसले लिए. सेना में वर्षो से रुके पड़े कई प्रोजेक्ट को उन्होंने गति प्रदान की. उनके साथ काम करना यादगार रहा.
नई दिल्ली: सर्जिकल स्ट्राइक के हीरो कहे जाने वाले रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ ने मनोहर पर्रिकर को यादगार रक्षामंत्री बताया है. नेशनल मीडिया सेंटर में शुक्रवार को मनोहर पर्रिकर की 64वीं जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में सतीश दुआ ने बताया कि कैसे 2016 में हुए उरी अटैक के बाद उनकी पहली मुलाकात रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर से हुई.
सतीश दुआ ने बताया, “मनोहर पर्रिकर से पहली मुलाकात बेहद मनहूस घड़ी में हुई. उरी कैंप पर आतंकी हमले की सूचना हुई तो वह गोवा से सीधे दिल्ली और फिर जम्मू-कश्मीर पहुंचे. मैंने उन्हें रिसीव किया. उस हमले में हमारे 18 जवान शहीद हुए थे. पहले उन्होंने मुझसे घटना के बारे में जानकारी ली. फिर कुछ समय के बाद मैं जब उनके चैंबर में गया तो मुझसे उन्होंने सिर्फ दो बातें कीं.
पहली बात एक सवाल के रूप में थी, चूंकि वह ऑपरेशन से जुड़ी संवेदनशील बात रही, इसलिए उसे सार्वजनिक नहीं कर सकता, मगर दूसरी बात ने मुझे बहुत प्रभावित किया. उन्होंने कहा कि देखो अपनी तरफ से एक भी जान नहीं जानी चाहिए. मैंने उन्हें पूरा भरोसा दिया तो उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक करने की इजाजत दे दी. जिससे 10 दिन के भीतर आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दे दिया गया.”
भाजपा के पूर्व राज्यसभा सदस्य तरुण विजय ने कहा कि दिल्ली में रक्षा मंत्री बनने के बाद भी तमाम लोग पर्रिकर को शूट आदि पहनने की सलाह देते मगर वह हाफ बांह की शर्ट ही हमेशा पहनकर सादगी का परिचय देते रहे. तरुण विजय ने कहा कि जब हमने उन्हें उत्तराखंड के तमाम शहीद जवानों के बारे में बताया तो उन्होंने देहरादून के चीड़बाग में शौर्य स्थल के निर्माण की मंजूरी देते हुए भूमि पूजन किया था. मनोहर पर्रिकर हमेशा स्मृतियों में जिंदा रहेंगे.
29 सितम्बर 2016 को हुई थी सर्जिकल स्ट्राइक
बता दें कि जम्मू-कश्मीर के उरी में आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने 29 सितम्बर 2016 को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में आतंकवादियों पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी. भारतीय सेना ने पाकिस्तान की तरफ से किए गए सीजफायर के उल्लंघन के बाद बड़ी कार्रवाई करते हुए पीओके में हमले किए और कई आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया था. भारतीय सेना की कार्रवाई में पाकिस्तान के जवान समेत बड़ी संख्या में आतंकी मारे गए थे.
आर्टिलरी गन का इस्तेमाल करते हुए बिना बॉर्डर क्रॉस किए भारतीय जवानों ने आतंकी शिविरों को तबाह कर दिया था. जानकारी के नुताबिक भारतीय सेना ने नीलम वैली में सात आतंकी शिविर (कैंप) को तबाह किए थे.
सर्जिकल स्ट्राइक के बाद सीमापार से घुसपैठ में आई कमी
सीमापार से घुसपैठ में भारी कमी आई है. सरकार का दावा है कि घुसपैठ में पिछले साल की तुलना में इस साल के शुरूआती छह माह में 43 प्रतिशत की कमी आई है. इसकी एक बड़ी वजह सर्जिकल स्ट्राइक है. गृह मंत्रालय का मानना है कि आंतक पर सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति और उठाए गए कड़े कदमों से घुसपैठ ही नहीं आंतकवादी गतिविधियों और आतंकियों की स्थानीय भर्ती में भी कमी आई है. साथ ही अब तक 22 प्रतिशत ज्यादा आतंकवादी मारे गए हैं.
गृहमंत्रालय के आकंड़े
साल 2016 से 2018 के बीच 97 आंतकी पकड़े गए. 2016 से 2018 के बीच उनके 29 छुपने के ठिकाने पकडे गए. इसके अलावा साल 2016 में 150, 2017 में 213, साल 2018 में 257, साल 2019 में जून तक 113 आतंकवादी मारे गए.