मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस के बहाने कांग्रेस शिवराज सरकार को लेकर हमलावर हो गई है और अभी तक कैबिनेट गठन नहीं होने पर सवाल खड़े कर रही. इसके पीछे कांग्रेस अपना सियासी लाभ देख रही है.
कोरोना वायरस को लेकर शिवराज सरकार पर कांग्रेस हमलावरशिवराज सरकार के कैबिनेट गठन न होने को लेकर सवाल खड़े
मध्य प्रदेश में कांग्रेस के 22 विधायकों को अपने पाले में डाल कर शिवराज सिंह चौहान सत्ता पर भले ही काबिज हो गए हों. लेकिन कैबिनेट गठन अभी तक नहीं हो सका है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कोरोना के मोर्चे पर अकेले ही संघर्ष करते हुए नजर आ रहे हैं. भोपाल और इंदौर जैसे महानगरों में कोरोना के बढ़ते प्रकोप से हालत बदतर होती जा रही है. ऐसे में कोरोना वायरस के बहाने कांग्रेस शिवराज सरकार को लेकर हमलावर हो गई है और अभी तक कैबिनेट गठन नहीं होने पर सवाल खड़े कर रही है.
बता दें कि मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या साढ़े पांच सौ के ऊपर हो गई है और मरने वालों की संख्या भी करीब 35 पार कर गई है. इस बीच, कोरोना को लेकर राजनीति तेज हो गई है. प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता कमलनाथ ने जमकर तंज कसा है. उनका आरोप है कि केंद्र की सरकार ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार गिराने के लिए संसद की कार्यवाही चलाई. उन्होंने लॉकडाउन के ऐलान में केंद्र पर देरी का भी आरोप लगाया है.
पूर्व सीएम कमलनाथ ने कहा है कि मध्य प्रदेश में सत्ता की भूख के चलते आज देश कोरोना के खतरनाक दौर में चला गया है. मध्य प्रदेश अकेला ऐसा राज्य है जहां इस विकट घड़ी में भी स्वास्थ्य मंत्री नहीं है. इसीलिए वायरस से निपटने की दिशा में सार्थक कदम नहीं उठाए गए, जिसके चलते हालत ऐसी हुई है. प्रदेश में कोरोना से निपटने की तैयारी भी पूरी नहीं है. अब भी लोग सरकारी अस्पतालों की तुलना में प्राइवेट अस्पताल पर ज्यादा भरोसा कर रहे हैं.
अभी तक मंत्रिमंडल का गठन नहीं
शिवराज सिंह चौहान देश में अकेले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जो कि कोरोना की विश्व व्यापी महामारी से मध्य प्रदेश में अकेले ही नियंत्रण करने की कोशिश कर रहे हैं. राज्य में कोई मंत्रिमंडल नहीं है. सारे आवश्यक निर्णय शिवराज सिंह चौहान अधिकारियों की सलाह से खुद ही ले रहे हैं. मंत्रिमंडल का गठन न होने के कारण शिवराज सिंह चौहान ने अपने पसंदीदा अधिकारियों की एक टीम गठित की है. यही टीम कोरोना वायरस की स्थिति की लगातार समीक्षा कर रही है.
राष्ट्रपति को लिखा पत्र
इस बीच, कांग्रेस नेता विवेक तन्खा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर कहा है कि मध्य प्रदेश में जब कोरोना की वजह से परेशानी हो रही है, ऐसी स्थिति में प्रदेश में वन मैन शो चल रहा है. इस वजह से यहां की साढ़े सात करोड़ जनता प्रभावित हो रही है. उन्होंने कहा कि 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान ने बिना कैबिनेट के शपथ ली थी, संविधान के आर्टिकल 163 में स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री के साथ मंत्रिपरिषद होना चाहिए ताकि वह सलाह दे सके. पूरी सरकार केवल मुख्यमंत्री ही हैं. विपक्ष कोरोना के खिलाफ लड़ाई में साथ खड़ा है, लेकिन प्रदेश में स्वास्थ्य मंत्री ही नहीं हैं.
दरअसल, इस बार शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल के गठन में ज्योतिरादित्य सिंधिया की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही है. सिंधिया के कारण ही बीजेपी राज्य में सत्ता वापस हासिल करने में सफल हुई है. सिंधिया के 22 विधायकों में से 6 लोग तत्कालीन कमलनाथ की सरकार में कैबिनेट मंत्री थे. इनके इस्तीफे के बाद कांग्रेस की सरकार गिर गई और शिवराज की ताजपोशी हुई है.
शिवराज सिंह ने खुद शपथ ले लिया है, लेकिन कोरोना संकट की वजह से मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हुआ है. कैबिनेट गठन में शिवराज के सामने सिंधिया गुट के लोगों को एडजस्ट करने को लेकर भी मुश्किल हो रही है. इसीलिए कांग्रेस कोरोना वायरस के बहाने शिवराज सरकार के कैबिनेट गठन न होने को लेकर सवाल खड़ी कर रही है.
मंत्रिमंडल गठन में समीकरण
ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के कांग्रेस छोड़ने वाले ज्यादातर विधायक ग्वालियर चंबल संभाग के हैं. कांग्रेस छोड़ने वाले 22 में से 9 विधायक मंत्री पद के दावेदार हैं. वहीं इस इलाके से बीजेपी के भी कई बड़े नेता आते हैं. ऑपरेशन लोटस को अंजाम तक पहुंचाने में उसी संभाग के दो नेताओं की भूमिका बड़ी रही है.
सिंधिया गुट के अलावा निर्दलीय और सपा-बसपा के साथ ही बीजेपी के कई नेता भी दावेदार हैं जो शिवराज कैबिनेट में जगह चाहते हैं. ऐसे में अब शिवराज सिंह के सामने चुनौती ये है कि अगर एक ही इलाके से बड़ी संख्या में लोगों को मंत्रिमंडल में जगह देते हैं तो आगे चलकर नई मुसीबत खड़ी हो जाएगी. बीजेपी के साथ-साथ उस गुट के इतने दावेदार हैं कि सभी को शामिल करना शिवराज के लिए चुनौती है. कांग्रेस मान कर चल रही है कि शिवराज सरकार के कैबिनेट गठन से असंतोष पैदा होगा, जिसका उसमें अपना सियासी लाभ नजर आ रहा है.