भोपाल। अध्यापकों के लिए बनाए गए नए संवर्ग राज्य स्कूल शिक्षा सेवा को लेकर भ्रांतियां उत्पन्न हो गईं हैं। शिक्षा विभाग ने इस बारे में स्पष्टीकरण जारी किया है। 
अफसरों के मुताबिक अध्यापकों के कैडर में बदलाव के लिए उन्हें कोई बांड नहीं भरना पड़ेगा। 
नए संवर्ग का गठन होने पर विकल्प प्राप्त करने की प्रक्रिया प्रशासकीय व्यवस्था और विधिक प्रावधानों के अनुसार रहेगी। 
इससे अध्यापक संवर्ग के कर्मचारियों को दोनों विकल्प में से चयन का अवसर मिल सकेगा। 
साथ ही प्राचार्य हाईस्कूल के पद के लिए नए प्रावधान में अध्यापक संवर्ग के प्रमोशन के शत-प्रतिशत प्रावधान किए गए हैं। 
नए नियमों में अध्यापकों को प्रधानाध्यापक, प्राथमिक स्कूल तथा प्रधानाध्यापक माध्यमिक स्कूल के पदों पर प्रमोशन के भी अवसर उपलब्ध हुए हैं, जो पूर्व में नहीं थे। 
प्राचार्य हाईस्कूल की प्रमोशन प्रक्रिया का मामला है, अध्यापकों को सीमित विभागीय परीक्षा में मात्र न्यूनतम नंबर प्राप्त करना होगा। 
वरिष्ठता व जरूरत के आधार पर प्रमोशन मिलेगा। 
विभागीय परीक्षा का प्रावधान प्रशासकीय व्यवस्था के तहत अन्य विभागों में भी उपलब्ध है। 
साथ ही ई-अटेंडेंस की व्यवस्था विभाग के अधीन कार्यरत सभी शैक्षिक संवर्गों, जिनमें अध्यापक भी शामिल हैं, पहले से ही लागू है। 
अध्यापक संवर्ग के नए कैडर में प्रमोशन व क्रमोन्नति के समय संबंधित अध्यापक की सेवा अवधि की गणना की जाएगी। 
वर्ष 2018 में नियुक्ति पाने वाले अध्यापकों के प्रमोशन में उनकी सीनियारिटी को बरकरार रखा जाएगा। 
कोई नुकसान नहीं होने दिया जाएगा 
हमने संविदा शिक्षकों को अध्यापक बनाया। इसके बाद उनको स्कूल शिक्षा विभाग में शामिल किया। उनका किसी भी स्तर पर नुकसान नहीं होने दिया जाएगा। इसमें चाहे प्रमोशन हो या क्रमोन्नति, सभी में उनका ध्यान रखा जाएगा। 
दीपक जोशी, राज्य मंत्री स्कूल शिक्षा
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