कोई बोला-श्रीमंत कभी हार नहीं सकते, यही अति विश्वास ले डूबा, तो किसी ने संगठन में निष्क्रिय लोगों को तवज्जो को बताया जवाबदेह
सिंधिया परिवार के गढ़ कहे जाने वाले गुना शिवपुरी लोकसभा सीट पर ज्योतिरादित्य सिंधिया की हार से कांग्रेस पार्टी सदमे में हैं। हार के बाद बीते रोज पहली बार शिवपुरी पहुंचे सिंधिया ने सोमवार को झांसी रोड स्थित सिंधिया जनसपंर्क कार्यालय में सुबह 11ः15 से 3ः15 तक करीब 4 घंटे की लंबी रायशुमारी कांग्रेस के बूथ लेवल कार्यकर्ताओं व मंडलम अध्यक्षों के साथ बंद कमरे में की
। भावुक दिखाई दे रहे सिंधिया ने जिले की तीन विधानसभा कोलारस, शिवपुरी व पिछोर के ग्रामीण व शहरी संगठन पदाधिकारियों को एक एक कर बुलाया और उनसे हार के कारणों को मौखिक व लिखित रूप में पूछा। इस दौरान पदाधिकारियों ने हार के अलग-अलग कारण गिनाए गए। किसी ने कहा कि श्रीमंत नहीं हार सकते, यह अति विश्वास भी कार्यकर्ताओं को करो या मरो की मानसिकता में नहीं ले गया। जितना परिश्रम किया जाना था, उतना नहीं हुआ। जिसका नतीजा रहा कि मतदाता ये कहता रहा कि वोट तो मोदी को दूंगा पर जीतेंगे तो महाराज ही। इसी तरह किसी कार्यकर्ता ने साफ शब्दों में कहा कि मंडल व जिला संगठन में जिन पदाधिकारियों को तवज्जो दी गई, उन्होंने अपेक्षित काम नहीं किया। कार्यकर्ताओं के साथ उनका तालमेल नहीं हुआ।भावुक होकर कार्यकर्ता निकले कमरे से
समीक्षा के दौरान कोलारस, शिवपुरी व पिछोर के कई पदाधिकारी जब सिंधिया से बंद कमरे में चर्चा के बाद बाहर निकल रहे थे तो वे भावुक नजर आए। कुछ तो बाहर निकलते समय आंसू तक पोंछते दिखे। कार्यकर्ता ये समझ नहीं पा रहे थे कि चूक कहां हुई और हुई तो उसका समय रहते पता लगाने में नाकामयाब क्यों रहे।
टिकट पर भी खड़े किए सवाल
कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने हार के कारणों में विधानसभा चुनाव के दौरान सिंधिया कोटे से दिए गए टिकिट चयन पर भी सवाल खड़े किए। उनका कहना था कि खासतौर पर शिवपुरी विस सीट पर जिस तरह अप्रत्याशित ढंग से कांग्रेस के पुराने व अनुभवी नेताओं का दरकिनार कर नए चेहरे को टिकट दे दिया गया उससे भी कांग्रेसी नेता व कार्यकर्ता हतोत्साहित हुए। जिसका नतीजा इस चुनाव में कार्यकर्ता स्तर से अपेक्षित प्रयास के अभाव के रूप में सामने आया।
गेट पर बैठे नजर आए कांग्रेस जिलाध्यक्ष
सिंधिया जिस कमरे में मुलाकात कर रहे थे, उस कमरे के बाहर कांग्रेस जिलाध्यक्ष बैजनाथ यादव बैठे नजर आए। उन्होंने बारी बारी से अंदर लोगों को जाने दिया। किसी बात को लेकर उनके और पूर्व मंत्री भैया साहब लोधी के बीच कुछ गर्म बात भी हुई बाद में सिंधिया के निज सचिव ने बीच बचाव किया। सबसे आखिर में सिंधिया से मुलाकात के लिए मौजूद कांग्रेस नेताओं को 10-10 की संख्या में अंदर भेजा गया। प्रभारी मंत्री इस दौरान जनसंपर्क कार्यालय भी आए। उनके साथ एसपी राजेश सिंह चंदेल भी मौजूद थे। मंत्री ने एक तरफ ले जाकर एसपी से बात की। वहीं कुछ आवेदक भी मंत्री को घेरे दिखाई दिए, जिनसे आवेदन लेकर मंत्री ने संबंधित को भेज दिए। धूप के चलते मंत्री छाता लगाए नजर आए।
अंदर कमरे में सिंधिया मुलाकात कर रहे थे और बाहर मौजूद कांग्रेस जिलाध्यक्ष बैजनाथ यादव और पूर्व मंत्री भैया साहब लोधी आपस में बात करते हुए।
बांबे कोठी पर मंत्रियों से अलग-अलग की चर्चा
शिवपुरी। सिंधिया बीती देर रात शिवपुरी आ गए थे और बांबे कोठी पर रात्रि विश्राम किया जिसके बाद सोमवार की सुबह मंत्रियों से कोठी पर ही अलग अलग बातचीत की। रात को ही उन्होंने संकेत दे दिए थे कि महेन्द्र सिसोदिया, प्रद्युमन तोमर, इमरती देवी से वे सुबह बात करेंगे। सुबह करीब 1 घंटे से अधिक देर तक वह मंत्रियों से मंत्रणा करते रहे। हालांकि इस दौरान क्या बात हुई यह अंदर की बात बाहर नहीं आ सकी है। इधर मीडिया से बात करते हुए प्रभारी मंत्री प्रघुमन तोमर ने कहा कि सिंधिया शहर की आवाम को जल्द सिंध का पानी पिलाना चाहते थे। पूरे प्रयास करके पानी शहर भी आ गया लेकिन विपक्ष ने ऐसा झूठ फैलाया कि जनता उनके झांसे में आ गई। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि वे लोग झूठ को बार बार कहते हैं जोर से कहते हैं जिससे लोग भ्रम में फस जाते हैं। उन्होंने कहा कि 15 साल की काई को हम सब मिलकर दूर करेंगे और शिवपुरी को एक नई विकास की धारा से जोड़ेगे। उन्होंने कहा कि कल बैठक ली थी और फिर से बैठक लेने आ रहा हूं। यह सिलसिला तब तक चलेगा जब तक शहर की समस्याएं दूर नहीं हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि सिंधिया के साफ निर्देश हैं कि शहर के लोगों को किसी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि कल पोहरी चौराहे पर जिस गड्ढे को बंद करने के निर्देश दिए थे आज वह बंद हो गया है। यदि ऐसा न होता तो दोषियों पर केस दर्ज कराकर ही रहता।
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सांसद भले ही नहीं हूं पर जनसेवक था और आखिरी सांस तक रहूंगाः सिंधिया
हार के बाद पहली बार शिवपुरी आए सिंधिया ने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि प्रजातंत्र में जनता भगवान है। जनता का जनादेश सिर माथे पर है। मैं इसे स्वीकार करता हूं। जनता के प्रति मेरी प्रतिबद्धता थी और रहेगी। भले ही मैं अब सांसद नहीं हूं, लेकिन इस क्षेत्र के लिए सांसद से ज्यादा मैं खुद को जनसेवक की भूमिका में देखता हूं और आखिरी सांस तक जनसेवक रहूंगा।
सिंधिया से जब पूछा गया कि क्षेत्र के लिए आपको विकास का मसीहा माना जाता है, बावजूद हार क्यों हुई। सिंधिया का कहना था कि ये लंबे विश्लेषण का विषय है, लेकिन यह तय है कि कमियां जरूर रही होंगी, मैं मतदाता और अन्नादाता को हमेशा भगवान मानता हूं। अंतरआत्मा से यह बात कहता हूं कि कमियों को ढूंढ़कर सुधार करेंगे। पहले स्वयं की कमियों को ढूंढूंगा, फिर संगठन की कमियों को भी तलाशेंगे। उसके बाद जनता के बीच फिर जाऊंगा। मुझे यकीन है कि जनता का विश्वास फिर हमारे साथ होगा और हम जीतेंगे, हार का कोई एक कारण नहीं है