मुख्यमंत्री बोले- समन्वय का काम मुझ पर छोड़ दें…
भोपाल। पुलिस मुख्यालय में मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ हुई बैठक में पुलिस महानिदेशक वीके सिंह ने कहा कि आइएएस नहीं चाहते कि प्रदेश में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हो। उन्हें डर है कि इससे उनका अधिकार छिन जाएगा।
उन्होंने कहा, ये मामला अधिकारों का नहीं बल्कि डिलेवरी सिस्टम मजबूत करने का है। भोपाल-इंदौर जैसे शहरों में जहां आबादी विस्फोटक होती जा रही है, वहां पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने से ही अपराधों पर नियंत्रण होगा। ये पब्लिक हित की बात है, इसे आइएएस-आइपीएस का झगड़ा नहीं बनाना चाहिए।
इन बातों को सुनने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा, कमिश्नर प्रणाली लागू करने की बात बहुत दिन से सुन रहा हूं, ये सब आप मुझ पर छोड़ दीजिए, मैं सब देख लूंगा।
डीजीपी का समर्थन करते हुए कुछ आइपीएस ने कहा कि पुलिस कमिश्नर सिस्टम का ड्राफ्ट तैयार है, लेकिन आइएएस इसे कैबिनेट में जाने नहीं दे रहे। बैठक में एसएसपी इंदौर रुचिवर्धन मिश्रा ने कहा, प्रदेश में लॉ अफसर नहीं होने से पुलिस विवेचना में कमी रह जाती है।
इससे केस कमजोर पड़ जाता है। मिश्रा की बात पर सीएम ने कहा, सुझाव अच्छा है। संविदा आधार पर लॉ ऑफिसर की नियुक्ति की जा सकती है।
पर्ची पढ़कर कहा- भंग करें नगर रक्षा समितियां…
बैठक में आइपीएस अमित सांघी ने कहा, ग्राम और नगर रक्षा समितियों को अन्य समितियों की तरह मानदेय मिलना चाहिए। इस पर सीएम की ओएसडी प्रज्ञा रिचा श्रीवास्तव ने एक पर्ची लिखकर सीएम को दी।
इसे पढ़कर सीएम ने कहा, इन समितियों को भंगकर नई नियुक्तियां की जाएं। सूत्रों के मुताबिक पर्ची में लिखा था कि ग्राम और नगर रक्षा समितियों में भाजपा के लोग शामिल हैं।
नहीं हैं नशामुक्ति केन्द्र…
जबलपुर आइजी विवेक शर्मा ने कहा, नशे के कारोबारियों को तो प़ुलिस पकड़ती है, लेकिन नशा करने वालों की लत छुड़ाने के लिए नशामुक्ति केन्द्र नहीं है। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा, सामाजिक न्याय विभाग से बात कर एक्शन प्लान बनाएंगे।
मिले जोखिम भत्ता…
एसपी बालाघाट अभिषेक तिवारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में पुलिस को नक्सली क्षेत्र में रिस्क अलाउंस मिलता है, लेकिन यहां नहीं। डीजीपी ने कहा, जानकारी है कि नक्सली अमरकंटक में हेडक्वार्टर बनाना चाहते थे, लेकिन इसके आगे कोई इनपुट नहीं है।
जांच में लापरवाही नहीं होगी बर्दाश्त…
मुख्यमंत्री ने कहा, शहरों में ट्रैफिक समस्या बन गई है। एकीकृत पुलिस ट्रैफिक व्यवस्था पर विचार करना होगा। नई टेक्नोलॉजी के मामले में अगर पुलिस पीछे रहेगी तो अपराधों पर नियंत्रण करना मुश्किल हो जाएगा। महिलाओं और बच्चों पर होने वाले अपराधों पर अंकुश लगाने का प्रयास करें। इसकी जांच में किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।