इस्लामाबाद, –पाकिस्तान के तीन पूर्व विदेश सचिवों ने पुलवामा हमले पर प्रधानमंत्री इमरान खान को आगाह किया है। तीनों ने इमरान सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि वह पुलवामा हमले को मुंबई हमला समझने की भूल ना करे। संकट को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने के लिए कूटनीतिक प्रयास तेज करने का सुझाव दिया है। साथ ही भारत की तरफ से आक्रामक कार्रवाई के लिए भी तैयार रहने को कहा है।
पुलवामा में 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले पर पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि इसका बदला लेने के लिए सुरक्षा बलों को पूरी छूट दे दी गई है। हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे।पूर्व विदेश सचिवों रियाज हुसैन खोकर, रियाज मोहम्मद खान और इनामुल हक ने रविवार को दैनिक समाचारपत्र डॉन में संयुक्त लेख लिखा है। इसमें तीनों ने दोनों देशों की मीडिया, राजनीतिक नेतृत्व, खुफिया संस्थाओं और लोगों की राय बनाने वालों से अपील की है कि वह तनावपूर्ण माहौल में कुछ संतुलन बनाने और संयम बरतने की जिम्मेदारी दिखाएं।’ए टाइम फॉर रीस्ट्रेंट’ यानी संयम का समय नामक शीर्षक से प्रकाशित लेख की शुरुआत ही दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति से की गई है। लेख में कहा गया कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव खतरनाक ऊंचाई पर पहुंच गया क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुलवामा का बदला लेने के लिए अपनी सेना को पूरी छूट दे दी है।पूर्व विदेश सचिवों ने कहा है कि ‘पुलवामा मुंबई नहीं है’ क्योंकि एक स्थानीय किस्म की कार्रवाई स्पष्ट नजर आ रही है। मुंबई हमले के दौरान भारत ने संयम बरता था, उसके विपरीत पुलवामा हमले के बाद भारत ने युद्ध का नगाड़ा बजा दिया है।लेख में कहा गया है कि पाकिस्तान को बिना किसी उकसावे के संभावित आक्रामक कार्रवाई को नाकाम करने के लिए तैयार रहना चाहिए। तैयारी खुद ही तनाव में किसी वृद्धि को कम कर देगी।
पुलवामा में 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले पर पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि इसका बदला लेने के लिए सुरक्षा बलों को पूरी छूट दे दी गई है। हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे।पूर्व विदेश सचिवों रियाज हुसैन खोकर, रियाज मोहम्मद खान और इनामुल हक ने रविवार को दैनिक समाचारपत्र डॉन में संयुक्त लेख लिखा है। इसमें तीनों ने दोनों देशों की मीडिया, राजनीतिक नेतृत्व, खुफिया संस्थाओं और लोगों की राय बनाने वालों से अपील की है कि वह तनावपूर्ण माहौल में कुछ संतुलन बनाने और संयम बरतने की जिम्मेदारी दिखाएं।’ए टाइम फॉर रीस्ट्रेंट’ यानी संयम का समय नामक शीर्षक से प्रकाशित लेख की शुरुआत ही दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति से की गई है। लेख में कहा गया कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव खतरनाक ऊंचाई पर पहुंच गया क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुलवामा का बदला लेने के लिए अपनी सेना को पूरी छूट दे दी है।पूर्व विदेश सचिवों ने कहा है कि ‘पुलवामा मुंबई नहीं है’ क्योंकि एक स्थानीय किस्म की कार्रवाई स्पष्ट नजर आ रही है। मुंबई हमले के दौरान भारत ने संयम बरता था, उसके विपरीत पुलवामा हमले के बाद भारत ने युद्ध का नगाड़ा बजा दिया है।लेख में कहा गया है कि पाकिस्तान को बिना किसी उकसावे के संभावित आक्रामक कार्रवाई को नाकाम करने के लिए तैयार रहना चाहिए। तैयारी खुद ही तनाव में किसी वृद्धि को कम कर देगी।