मंथन न्यूज़ भोपाल –केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी का कहना है कि मंथन में देवताओं के साथ असुर भी हों, तभी अमृत निकलेगा। अकेले देवताओं के बीच विचार मंथन से क्या होगा? इस पर श्रोताओं में बैठे जेएनयू के प्रोफेसर मकरंद परांजपे मजाकिया अंदाज में बोले ‘असुरों की तरफ से मैं बोलूंगा।” स्मृति बोलीं- परंपरा और आधुनिकता जल की धारा जैसी है, इसमें अंतर करना मुश्किल है।
विस के मानसरोवर सभागार में आयोजित लोकमंथन के दूसरे दिन रविवार को समानांतर सत्र में ‘आधुनिकता की अवधारणा एवं जीवन शैली” विषय पर मंथन में यह रोचक चर्चा सामने आई। अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय मंत्री ईरानी ने कहा कि वेशभूषा, भाषा और जीवन शैली को आधुनिकता नहीं कहा जा सकता। पाश्चात्य विचारों में शक्ति, सफलता एवं धन संग्रह पर जोर एवं उपभोग-प्रतिस्पर्धा पर फोकस रहता है। भारतीय परंपरा के केंद्र बिंदु में परिवार, सम्मान और सहयोग है। सबके विचार और मान्यताओं को समाज स्वीकार यही आधुनिकता है।
हैंडलूम में हेजटैग
स्मृति ने अपने मंत्रालय और हथकरघा वालों की चर्चा भी की। वह बोलीं कि दुनिया भर में हमारे हैंडलूम का बड़ा मोल है, लेकिन अपने यहां स्थिति ‘घर की मुर्गी दाल बराबर” जैसी है। उन्होंने बताया कि मैंने कुछ युवाओं से जब बात की तो सुझाव आया कि हैंडलूम में यदि ‘हेजटैग” का सहारा अर्थात आधुनिकता मिल जाए तो धूम मच जाए।
जीवनशैली से मिला दिया
स्तंभकार एवं लेखिका अद्वैता काला ने कहा कि आधुनिकता की विडंबना है कि आज इसे जीवनशैली से मिला दिया गया है। हर कोई इसे अपने तरीके से परिभाषित करता है। यह तो हमारे दिमाग की प्रगति से जुड़ा है और युग के अनुसार बदलता है। यह तकनीक, कला और शिक्षा हर क्षेत्र से जुड़ा है।
इसका अर्थ पाश्चात्यकरण नहीं
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन के निदेशक डॉ.अनिर्बान गांगुली ने कई विचारकों का उद्धरण देकर समझाया कि जीवन शैली हमारा चिंतन भी प्रभावित करती है। आधुनिकता का मतलब पाश्चात्यकरण नहीं है। वह बोले हमें हर हाल में भारतीयता को सुरक्षित रखना है।
आसुरी शक्तियों से रोज सामना…
श्रोताओं ने अपनी जिज्ञासा और सवाल भी रखे। जेएनयू के प्रोफेसर परांजपे बोले कि मैं तो आसुरी शक्तियों का रोज ही सामना करता हूं। हमारे सामने ऐसी आसुरी शक्तियों से बचने की चुनौती है। उन्होंने जब कपड़ा मंत्री स्मृति की साड़ी की तारीफ को अनुनय के अंदाज में स्मृति बोलीं मकरंद, आज तो छोड़ दें।” सत्र में डॉ अवस्थी, उमेश उपाध्याय, अवधेश कुमार सिंह, राजाराम रावते, डॉ. अरुण सेठी सहित हिताक्षी साहू सहित कई प्रतिभागियों ने वक्ताओं के समक्ष सवाल और अपने विचार रखे।
पूनम पुरोहित