मप्र विधानसभा का पूरा रिकॉर्ड डिजिटल होगा। इसके तहत 1956 से अब तक के करीब 20 दस्तावेजों का कंप्यूटराइजेशन किया जाएगा। इसके लिए मप्र विधानसभा ने दिल्ली की एक कंपनी से प्रेजेंटेशन कराया है। जल्द ही मप्र विधानसभा व मप्र इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम के अधिकारियों का एक दल यूपी जाएगा, यहां वे विधानसभा में हुए डिजिटलाइजेशन का काम देखेंगे।
मप्र विधानसभा के जिन दस्तावेजों का डिजिटलाइजेशन होना है, उनमें कई ऐसे दस्तावेज हैं, जिनकी हालत काफी खराब है। कई कागज की हालत तो तार-तार जैसी हो चुकी है। इसके अलावा इनमें विस की कार्यवाही के 12 लाख दस्तावेज, पुस्तकालय की एक लाख किताबों के दस्तावेज, संदर्भ शाखा में संकलित समाचार पत्रों की कतरनें, मप्र विस के समस्त प्रतिवेदन, लोकसभा व राज्यसभा और दूसरे राज्यों के प्रमुख प्रतिवेदन भी शामिल हैं। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा विधानसभा के दस्तावेजों डिजिटलाइजेशन हो चुका है। इसी तर्ज पर मप्र विधानसभा में भी काम होगा।
दिल्ली की कंपनी ने यूपी में भी किया काम
दिल्ली की कंपनी परसिसटेंट को विधानसभा सचिवालय ने बुलाया था। इस कंपनी ने ही यूपी विधानसभा में कंप्यूटराइजेशन किया है और वहां यह काम अच्छी तरह से चल रहा है। इसके अलावा कंपनी गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश व तेलंगाना में काम कर रही है। संसद में भी इससे काम कराने की कोशिश है।
डिजास्टर सिक्युरिटी बॉल्ट भी होगा
सूत्रों का कहना है कि कंपनी से केवल सॉफ्टवेयर का डेवलपमेंट ही नहीं कराया जाएगा। वह दस्तावेजों की स्केनिंग, सर्वर रूम की स्थापना, कुछ साल तक देखरेख करने और रिकॉर्ड की रिकवरी के लिए डिजास्टर सिक्युरिटी बॉल्ट भी बनाएगी। डिजास्टर सिक्युरिटी बॉल्ट प्रदेश के बाहर किसी सुरक्षित स्थान पर होगा, जिससे कभी कोई घटना होने पर रिकॉर्ड की रिकवरी हो सके।