नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में कांग्रेस की बैसाखी पर टिकी हुई सरकार की अगुवाई कमलनाथ कर रहे हैं। सरकार को सहारा देने वाली बैसाखी तो सही सलामत है। लेकिन कांग्रेस के अंदर गुटबाजी चरम पर है। हाल ही में कमलनाथ सरकार एक मंत्री ने कहा था कि दिग्विजय सिंह ही सही माएने में सरकार चला रहे है। यही नहीं उन्होंने यह भी कहा था कि दिग्विजय सिंह से जुड़े लोग शराब के व्यापार में जुटे हुए हैं और सरकारी अधिकारियों पर बेजा दबाव बनाते हैं।
इसी कड़ी में इस तरह की खबरें हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया, कमलनाथ सरकार से नाराज हैं और वो चाहते हैं कि प्रदेश की कमान उन्हें या उनके किसी विश्वस्त सहयोगी को मिले। इस संबंध में दिग्विजय सिंह की एक टिप्पणी से वो नाराज हुए और मामले को अनुशासन समिति को भेजने का आग्रह किया जिसकी अगुवाई ए के एंटनी कर रहे हैं। इन सबके बीच कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से ज्योतिरादित्य सिंधिया मिलने वाले थे। लेकिन वो मीटिंग टल गई है।
हाल ही में इस तरह की खबरें आई थीं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की नजदीकियां बीजेपी से बढ़ रही हैं। इस संबंध में बीजेपी की तरफ से किसी तरह की औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई थी। लेकिन एमपी के पूर्व सीएम शिवराज सिंह गोपाल भार्गव,नरोत्तम मिश्रा जैसे कद्दावर नेताओ ने कहा था कि कमलनाथ सरकार को जब वो चाहेंगे गिर जाएगी। ये बात अलग है कि उन्हें सरकार को अस्थिर करने के लिए किसी तरह की मेहनत नहीं करनी होगी। कमलनाथ सरकार अपने आप गिर जाएगी।
जानकार कहते हैं कि चाहे कमलनाथ हों, ज्योतिरादित्य सिंधिया या दिग्विजय सिंह इन सभी लोगों ने अपने सभी मतभेदों को भूलाकर शिवराज सिंह सरकार को हटाने के लिए इकठ्ठा हुए थे। इनकी तिकड़ी से शिवराज सरकार सत्ता से बाहर हो गई। लेकिन सरकार में आने के बाद इन लोगों के बीच मतभेद खुलकर सामने आने लगे।