शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में नये बदलावों की दूसरी कड़ी में सरकार ने सरकारी नौकरी के लिए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट की पूरी रूपरेखा बदल दी है. अभी तक अलग अलग एजेंसियां बैंक, रेलवे, एसएससी या अन्य सरकारी नौकरियों के लिए टेस्ट लेती थीं.
नई दिल्ली: शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में नये बदलावों की दूसरी कड़ी में सरकार ने सरकारी नौकरी के लिए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट की पूरी रूपरेखा बदल दी है. अभी तक अलग अलग एजेंसियां बैंक, रेलवे, एसएससी या अन्य सरकारी नौकरियों के लिए टेस्ट लेती थीं. अब कैबिनेट ने नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी (NRA) की स्थापना को मंजूरी दे दी है. ये एजेंसी केंद्र सरकार में नॉन-गैजेटेड पोस्ट पर नियुक्ति के लिए कॉमन एलिजीबिलिटी टेस्ट लेगी.
दरअसल, पहले सरकारी नौकरी के लिए युवाओं को कई परीक्षाएं देनी पड़ती थीं, इसे खत्म करने के लिए सरकार राष्ट्रीय भर्ती संस्था की स्थापना करेगी. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि राष्ट्रीय भर्ती संस्था कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET) लेगी जिसका करोड़ों युवाओं को फायदा मिलेगा.
क्या होगा फायदा?
इस फैसले के बाद रेलवे, बैंकिंग और SSC की प्राथमिक परीक्षा के लिए अलग-अलग परीक्षा देने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इन तीनों के लिए एक एजेंसी बनाई जाएगी. एक ही आवेदन, एक ही शुल्क, एक ही परीक्षा होगी. इस परीक्षा का स्कोर तीन साल के लिए मान्य होगा. अभी तक केवल दो भाषाओं में ही परीक्षा देने की इजाजत थी, लेकिन इसके जरिए परीक्षार्थी 12 भाषाओं में परीक्षा दे सकता है.
कब बनी रूपरेखा
दरअसल, 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आम बजट पेश किया था. भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया था कि नॉन गजेटेड सरकारी पदों में भर्ती के लिए और सरकारी बैंक में भर्ती के लिए अब एक ही ऑनलाइन परीक्षा का आयोजन किया जाएगा, जिसे कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET) कहा जाएगा. यह भी बताया कि इन परीक्षाओं के आयोजन के लिए एक संस्था NRA का गठन किया जाएगा.
अब क्या होगा?
सरकार का दावा है कि इस एजेंसी से जहां कैंडिडेट्स के सिर से तमाम एग्जाम्स का बोझ कम होगा, वहीं एग्जाम सिस्टम का एक स्टैंडर्ड पैटर्न और कॉमन कोर्स होगा. साथ ही इससे रिक्रूटमेंट प्रोसेस बहुत आसान होगा और समय की बचत होगी.
तीन संस्थाओं के लिए होगा कॉमन टेस्ट
फिलहाल नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी केवल तीन संस्थाओं (रेलवे, बैंकिंग और SSC) के लिए परीक्षा लेगी, लेकिन भविष्य में सभी केंद्रीय संस्थाओं की परीक्षा यही एजेंसी लेगी. इन तीन संस्थाओं में लगभग ढाई करोड़ विद्यार्थी भाग लेते हैं. सरकार के सचिव सी. चंद्रमौली ने बताया कि केंद्रीय सरकार में लगभग 20 से अधिक भर्ती एजेंसियां हैं. अभी हम केवल तीन एजेंसियों की परीक्षा कॉमन कर रहे हैं, समय के साथ हम सभी भर्ती एजेंसियों के लिए कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट करेंगे.
इससे क्या लाभ मिलेगा?
दरअसल, यह परीक्षा भी तीन पार्ट में होगी. जिसमें गैर-तकनीकी पदों के लिए स्नातक, उच्च माध्यमिक (12वीं पास) और मैट्रिक (10 वीं पास) वाले उम्मीदवारों के लिए अलग से सीईटी का संचालन किया जाएगा. जिसके लिए वर्तमान में कर्मचारी चयन आयोग (SSC), रेलवे भर्ती बोर्ड और बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान द्वारा भर्ती की जाती है. सीईटी के अंक स्तर पर की गई स्क्रीनिंग के आधार पर, भर्ती के लिए अंतिम चयन के लिए अलग से विशेष परीक्षा ली जाएगी. जिसे संबंधित भर्ती एजेंसी द्वारा संचालित किया जाएगा. इन परीक्षाओं का पाठ्यक्रम सामान्य होने के साथ-साथ मानक भी होगा.
3 वर्षों के लिए वैध होगा स्कोर
उम्मीदवारों द्वारा सीईटी में प्राप्त स्कोर परिणाम घोषित होने की तिथि से 3 वर्षों के लिए वैध होंगे. वैध उपलब्ध अंकों में से सबसे उच्चतम स्कोर को उम्मीदवार का वर्तमान अंक माना जाएगा. उम्मीदवारों द्वारा सीईटी में भाग लेने के लिए अवसरों की संख्या पर कोई सीमा नहीं होगी.
परीक्षा केंद्रों का चुनाव
उम्मीदवारों के पास एक ही पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने और अपनी सुविधा के अनुसार परीक्षा केंद्र चुनने की सहूलियत होगी. उपलब्धता के आधार पर उन्हें परीक्षा केंद्र दिए जाएंगे
3 करोड़ युवाओं के लिए वरदान
वर्तमान में, सरकारी नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों को पात्रता की समान शर्तें निर्धारित किए गए विभिन्नपदों के लिए अलग-अलग भर्ती एजेंसियों द्वारा संचालित अलग-अलग परीक्षाओं में सम्मिलित होना पड़ता है. उन्होंन अलग-अलग परीक्षा शुल्क भी देना पड़ता है. इन परीक्षाओं में भाग लेने के लिए लंबी दूरियां तय करनी पड़ती हैं. अलग-अलग भर्ती परीक्षाएं केवल उम्मीदवारों ही नहीं बल्कि संबंधित भर्ती एजेंसियों पर भी बोझ होती हैं. इन परीक्षाओं में औसतन, अलग से 2.5 करोड़ से 3 करोड़ उम्मीदवार शामिल होते हैं. ‘राष्ट्रीय भर्ती नीति’ लागू होने के बाद ये उम्मीदवार एक सामान्य योग्यता परीक्षा में केवल एक बार शामिल होंगे.
महिला उम्मीदवारों को ज्यादा लाभ
महिला उम्मीदवारों, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र से आने वाली महिला उम्मीदवारों, को अलग-अलग परीक्षाओं में शामिल होने के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. उन्हें दूरस्थ स्थानों पर स्थित परीक्षा केंद्रों तक पहुंचने के लिए अपने साथ किसी को ले जाना पड़ता था. नई नीति के तहत प्रत्येक जिले में परीक्षा केंद्र बनाने की तैयारी की है जिससे महिला उम्मीदवारों की बड़ी राहत मिलेगी.
NRA के अंतर्गत कौन-सी परीक्षाएं होंगी?
कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी), रेलवे भर्ती बोर्डों (आरआरबी) और बैंकिंग सेवा कार्मिक संस्थान (आईबीपीएस) द्वारा आयोजित की जाने वाली प्रथम स्तर की परीक्षा एक साथ होगी.
– एसएससी, आरआरबी और आईबीपीएस के लिए पहले स्तर पर उम्मीदवारों की जांच (स्क्रीनिंग) करने के लिए सामान्य योग्यता परीक्षा (सीईटी).
– सीईटी: एक पथ प्रवर्तक सुधार के रूप में स्नातक, उच्च माध्यमिक (12वीं उत्तीर्ण) और मैट्रिक (10वी उत्तीर्ण) उम्मीदवारों के लिए कंप्यूटर आधारित ऑनलाइन सामान्य योग्यता परीक्षा(सीईटी).
– हर जिले में सीईटी: ग्रामीण युवाओं, महिलाओं और वंचित उम्मीदवारों तक आसान पहुंच.
– सीईटी: पात्र उम्मीदवारों की प्रथम चरण की स्क्रीनिंग हो जाएगी.
– एनआरए द्वारा ग्रामीण युवाओं के लिए मॉक टेस्ट हो सकेंगे.
– एनआरए में मॉक टेस्ट, 24×7 हेल्पलाइन और शिकायत निवारण पोर्टल होगा.
पहले क्या दिक्कत होती थी?
हर एजेंसी के हर एग्जाम का शेड्यूल अलग-अलग होता था. इसके लिए एप्लीकेशन प्रोसेस और एप्लीकेशन फीस भी अलग-अलग होती है. जब दो-तीन एग्जाम आयोजित किए जाते हैं तो कई बार उनमें गड़बड़ी होने की संभावना भी बढ़ जाती है. अलग-अलग एग्जाम सेंटर होने से गांव-देहात के छात्रों, महिलाओं और दिव्यांगों को यात्रा करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. दूर से आने वाले छात्रों का अन्य शहरों में रुकना पड़ता है.
कई बार एग्जाम की तारीखें आपस में मिल जाती हैं. ऐसे में उम्मीदवार के सामने दिक्कत होती है कि वे कौन से एग्जाम में बैठें या कौन सा छोड़ें.
पुरानी रिक्रूटमेंट एजेंसियों में क्या परेशानी थी?
ज्यादातर एग्जाम का स्तर तो वही होता है लेकिन, सभी की पढ़ाई अलग-अलग होती है.
– केंद्र में 20 से ज्यादा रिक्रूटमेंट एजेंसियां हैं.
– फिलहाल 3 एजेंसी के एग्जाम को ही कॉमन किया जा रहा है.
– आने वाले समय में सभी एजेंसी के कॉमन टेस्ट आयोजित किया जाएगा.
– अभी तक एक ही एग्जाम कई चरणों में होता है. इससे एजेंसी पूरे साल व्यस्त रहती हैं.
– इस सिस्टम में एग्जाम को कोई एक स्टैंडर्ड नहीं बन पाता है.
– इससे एग्जाम कहीं बहुत आसान तो कहीं बहुत कठिन होता है.