230 सीटों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए अब तक घोषित 78 सीटों को देखकर साफ़ नज़र आता है कि BJP ने क्षेत्रीय वरिष्ठ पार्टी नेताओं की महत्वाकांक्षाओं को संभालने, कमज़ोर सीटों पर मज़बूती हासिल करने के लिए अपने शीर्ष नेतृत्व को इस्तेमाल करने, और मुख्यमंत्री पद की दौड़ को खुला रखने की भरपूर कोशिश की है, और सूबे में अब तक चुनाव प्रचार अभियान के केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही रहे हैं.
भोपाल:
सोमवार को जारी की गई प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट में भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की टिकट की घोषणा नहीं कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) शायद उन पर शिकंजा कसना चाह रही है. दरअसल, 230 सीटों वाली विधानसभा के लिए अब तक घोषित 78 सीटों को देखकर साफ़ नज़र आता है कि BJP ने क्षेत्रीय वरिष्ठ पार्टी नेताओं की महत्वाकांक्षाओं को संभालने, कमज़ोर सीटों पर मज़बूती हासिल करने के लिए अपने शीर्ष नेतृत्व को इस्तेमाल करने, और मुख्यमंत्री पद की दौड़ को खुला रखने की भरपूर कोशिश की है. सूबे में अब तक चुनाव प्रचार अभियान के केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही रहे हैं.
राजनैतिक हलकों में हैरानी फैला देने वाले एक कदम के तहत BJP ने घोषणा की कि वह लोकसभा के सात सदस्यों को, जिनमें तीन केंद्रीय मंत्री हैं, चुनाव मैदान में उतार रही है. इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भोपाल यात्रा के कुछ ही घंटे बाद घोषित सूची में से चार लोग अतीत में विधायक रह चुके हैं.
प्रत्याशी सूची से ऐसा महसूस होता है कि सत्तासीन पार्टी चुनाव मैदान में अपने ही वरिष्ठ क्षेत्रीय नेताओं के बीच संतुलन कायम करने की कोशिश कर रही है, ताकि चुनिंदा इलाकों और जातियों के बीच उनके तजुर्बों और असर से ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा उठाया जा सके.
नरेंद्र सिंह तोमर के अलावा केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते भी इस बार चुनाव मैदान में उतार दिए गए हैं.