जो अपनी भाषा का नही वह देश का भी नही हो सकता:ब्रजकांत
अंतराष्ट्रीय भाषा दिवस के उपलक्ष्य में निरंतर तीसरे वर्ष केशव धाम संघ कार्यालय राघवेंद्र नगर में भाषा भाषायी मिलन राष्ट्रीय चेतना प्रसारण न्यास व अखिल भारतीय साहित्य परिषद शिवपुरी के संयुक्त तत्वाधान में सम्पन्न हुआ जिसमें 19 भाषा के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए जिन ने पुलवामा आतंकी हमले पर अपने विचार पहले अपनी मातृभाषा तत्पश्चात हिंदी में उसका अनुवाद कर व्यक्त किये।
कार्यक्रम का आरम्भ सरस्वती वंदना अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के द्वारा हुआ,कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए राष्ट्रीय चेतना प्रसारण न्यास के सचिव राजेश जी भार्गब ने बताया कि भाषा के महत्व कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी देश की एकता अखंडता को बल देने राष्ट्रीयता के विचार को जन जन तक पहुचाने के मूल उद्देश्य से ये कार्यक्रम आयोजित किया जाता है जो निरंतर तीसरे वर्ष यहाँ आयोजित किया जा रहा है,जिसमे शिवपुरी नगर के 19 भाषा के प्रतिनिधि उपस्थित हुए और लघु भारत के दर्शन एक छत के नीचे कराए।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शिवपुरी जिले के संघचालक विपिन जी शर्मा ने कहा कि पुलवामा का आतंकी हमला कायराना पूर्ण निंदनीय है और देश एक स्वर में इसकी निंदा करता है आज यहाँ पर सभी एक साथ अलग अलग भाषा मे एक साथ इसकी निंदा करते हुए राष्ट्रीय चेतना के स्वरों को गुंजायमान कर रहे है यह अपने आप मे अनुकरणीय है।
शिवपुरी के नेत्र चिकित्सक हिंदी के विद्वान डॉ एच पी जैन ने तमिलनाडु के अपने पेशे के दौरान के अनुभव का जिक्र करते हुए कहा कि रामेश्वरम में रहते हुए तीन माह में मैने तमिल सीख स्थानीय लोगो का विश्वास अर्जित किया भाषा ही तो है जो हमे जोड़ती है,हमे अपनी मातृभाषा से प्यार होना चाहिए,प्रेम की भाषा की कोई दूसरी जुबान नही होती,घुल मिल जाने से ही स्वीकार्यता होती है,सभी की मातृभाषा का सम्मान होना चाहिए,पर आज हम अंग्रेजी के प्रभाव के कारण हिंदी से दूर हो रहे है ये नही होना चाहिए।संयुक्त राष्ट्र संघ में पहला हिंदी में उद्वोधन पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल जी ने देकर इसका मान बढ़ाया,और वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी जी जहाँ जाते है हिंदी में ही बात करते है ये भारतीय गौरव की बात है और जब प्रधानमंत्री ऐसा कर सकते है तो हम क्यों नही।विभाग प्रचारक व कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए ब्रजकांत जी ने कहा कि भाषाओं की उत्पत्ति संस्कृति और संस्कारों से होती है,विविधता भाषाओं की भारत की वैशिष्ट्ता है।जब विचार शुद्ध होंगे तो भाषा भी शुद्ध होगी,भाषाओं की पवित्रता और सुंदरता उसी में है।आने वाली पीढ़ी को हम क्या देकर जाएंगे उस पर विचार होना चाहिए,जिससे मेरी उत्पति हुई जिससे मेरी पहचान हुई उस मातृभाषा को कैसे भूलाया जा सकता है जो मातृभाषा का नही हुआ वह देश का कैसे हो सकता है,संपर्क के लिए हिंदी भाषा का उपयोग होना चाहिए,भाव ही भाषा के सम्प्रेषण का आधार है चार्ली चैप्लिन की कौन सी भाषा थी पर भाव प्रमुख थे।
इस अवसर पर विविध भाषाओं के प्रतिनिधि मौजूद थे जिनने पहले अपनी भाषा तत्पश्चात हिंदी भाषा मे अनुवाद किया,आई टी बी पी से आये उड़ीसा के रहने वाले विपिन राउत ने उड़िया में कहा कि जब पुलवामा में आतंकी हमला हुआ तब मेरी बेटी ने फ़ोन करके कहा कि पापा वहां हमला हुआ और वहाँ आप क्या कर रहे है?मणिपुर से आये मनोज मथाई ने मणिपुरी में कहा कि हम देश नही टूटने देंगे।पंजाब से आये सिंगारा सिंह ने कहा जब फौजियों को ट्रेन बस या सार्वजनिक स्थान पर देखे तो बस जय हिंद बोलकर उसका सम्मान कर दे।डव्लू वी रमन को मणिपुर से थे ने कहा देश का सैनिक शत्रु को जब चाहे तब मिट्टी में मिला दे बस आप इसी तरह उत्साह बढ़ाते रहे।इसी तरह आसाम की सावित्री देवी,महाराष्ट्र की रंजना देशपांडे,सचिन जी बाग,राम जाधव,आंध्र प्रदेश के वी सतीश,जम्मू कश्मीर के सन्नी जी,हरियाणा के विकास जी,हिमाचल प्रदेश के राजेश जी,तमिलनाडु के पेरिनियन,केरल के मोहनदास सी टी आदि ने भी अपनी भाषा मे विचार व्यक्त किये।संचालन आशुतोष शर्मा,आभार प्रदर्शन राजेश जी गोयल व अंत मे राष्ट्रगान कु सौम्या, कु पावनी कु वेदिका के साथ सभी ने गाकर कार्यक्रम का समापन किया व साथ मे भोज किया।
कार्यक्रम का आरम्भ सरस्वती वंदना अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के द्वारा हुआ,कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए राष्ट्रीय चेतना प्रसारण न्यास के सचिव राजेश जी भार्गब ने बताया कि भाषा के महत्व कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी देश की एकता अखंडता को बल देने राष्ट्रीयता के विचार को जन जन तक पहुचाने के मूल उद्देश्य से ये कार्यक्रम आयोजित किया जाता है जो निरंतर तीसरे वर्ष यहाँ आयोजित किया जा रहा है,जिसमे शिवपुरी नगर के 19 भाषा के प्रतिनिधि उपस्थित हुए और लघु भारत के दर्शन एक छत के नीचे कराए।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शिवपुरी जिले के संघचालक विपिन जी शर्मा ने कहा कि पुलवामा का आतंकी हमला कायराना पूर्ण निंदनीय है और देश एक स्वर में इसकी निंदा करता है आज यहाँ पर सभी एक साथ अलग अलग भाषा मे एक साथ इसकी निंदा करते हुए राष्ट्रीय चेतना के स्वरों को गुंजायमान कर रहे है यह अपने आप मे अनुकरणीय है।
शिवपुरी के नेत्र चिकित्सक हिंदी के विद्वान डॉ एच पी जैन ने तमिलनाडु के अपने पेशे के दौरान के अनुभव का जिक्र करते हुए कहा कि रामेश्वरम में रहते हुए तीन माह में मैने तमिल सीख स्थानीय लोगो का विश्वास अर्जित किया भाषा ही तो है जो हमे जोड़ती है,हमे अपनी मातृभाषा से प्यार होना चाहिए,प्रेम की भाषा की कोई दूसरी जुबान नही होती,घुल मिल जाने से ही स्वीकार्यता होती है,सभी की मातृभाषा का सम्मान होना चाहिए,पर आज हम अंग्रेजी के प्रभाव के कारण हिंदी से दूर हो रहे है ये नही होना चाहिए।संयुक्त राष्ट्र संघ में पहला हिंदी में उद्वोधन पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल जी ने देकर इसका मान बढ़ाया,और वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी जी जहाँ जाते है हिंदी में ही बात करते है ये भारतीय गौरव की बात है और जब प्रधानमंत्री ऐसा कर सकते है तो हम क्यों नही।विभाग प्रचारक व कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए ब्रजकांत जी ने कहा कि भाषाओं की उत्पत्ति संस्कृति और संस्कारों से होती है,विविधता भाषाओं की भारत की वैशिष्ट्ता है।जब विचार शुद्ध होंगे तो भाषा भी शुद्ध होगी,भाषाओं की पवित्रता और सुंदरता उसी में है।आने वाली पीढ़ी को हम क्या देकर जाएंगे उस पर विचार होना चाहिए,जिससे मेरी उत्पति हुई जिससे मेरी पहचान हुई उस मातृभाषा को कैसे भूलाया जा सकता है जो मातृभाषा का नही हुआ वह देश का कैसे हो सकता है,संपर्क के लिए हिंदी भाषा का उपयोग होना चाहिए,भाव ही भाषा के सम्प्रेषण का आधार है चार्ली चैप्लिन की कौन सी भाषा थी पर भाव प्रमुख थे।
इस अवसर पर विविध भाषाओं के प्रतिनिधि मौजूद थे जिनने पहले अपनी भाषा तत्पश्चात हिंदी भाषा मे अनुवाद किया,आई टी बी पी से आये उड़ीसा के रहने वाले विपिन राउत ने उड़िया में कहा कि जब पुलवामा में आतंकी हमला हुआ तब मेरी बेटी ने फ़ोन करके कहा कि पापा वहां हमला हुआ और वहाँ आप क्या कर रहे है?मणिपुर से आये मनोज मथाई ने मणिपुरी में कहा कि हम देश नही टूटने देंगे।पंजाब से आये सिंगारा सिंह ने कहा जब फौजियों को ट्रेन बस या सार्वजनिक स्थान पर देखे तो बस जय हिंद बोलकर उसका सम्मान कर दे।डव्लू वी रमन को मणिपुर से थे ने कहा देश का सैनिक शत्रु को जब चाहे तब मिट्टी में मिला दे बस आप इसी तरह उत्साह बढ़ाते रहे।इसी तरह आसाम की सावित्री देवी,महाराष्ट्र की रंजना देशपांडे,सचिन जी बाग,राम जाधव,आंध्र प्रदेश के वी सतीश,जम्मू कश्मीर के सन्नी जी,हरियाणा के विकास जी,हिमाचल प्रदेश के राजेश जी,तमिलनाडु के पेरिनियन,केरल के मोहनदास सी टी आदि ने भी अपनी भाषा मे विचार व्यक्त किये।संचालन आशुतोष शर्मा,आभार प्रदर्शन राजेश जी गोयल व अंत मे राष्ट्रगान कु सौम्या, कु पावनी कु वेदिका के साथ सभी ने गाकर कार्यक्रम का समापन किया व साथ मे भोज किया।