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सियासत में एंट्री कर सकती हैं ये तीन महिलाएं, महारानी, रानी और मामी भी लड़ सकती हैं चुनाव

   

सियासत में एंट्री कर सकती हैं ये तीन महिलाएं, महारानी, रानी और मामी भी लड़ सकती हैं चुनाव

भोपाल. भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। पहले यहां राजशाही थी। आजादी के बाद राजशाही समाप्त हुई और लोकतंत्र स्थापित हुआ, लेकिन यहां लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा कुछ ऐसे भी चेहरे हैं जिनका संबंध पूर्व राज परिवारों से रहा है। मध्यप्रदेश की सियासत में राजा और महाराजओं का दौर आज भी है। बस फर्क इतना है आज का राजतंत्र लोकतांत्रिक है। देश में लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। राजपरिवारों से संबंध रखने वाले राजा-महाराजा एक बार फिर चुनावी मैदान में दिखाई देंगे तो उनके रिश्तेदारों के भी उम्मीदवार बनने की अटकलें हैं तो दूसरी तरफ एक बार फिर से पऱिवारवाद की बात सामने आ रही है।

 
ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया, दिग्विजय सिंह की पत्नी अमृता सिंह और शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना सिंह के चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही हैं। यानी कि इस बार मध्यप्रदेश की सियासत में महारनी, रानी और मामी चुनावी मैदान में दिखाई देंगी। हालांकि किसी के भी नाम की अभी तक आधिकारिक पुष्ठी नहीं की गई है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं मध्यप्रदेश की सियासत में परिवारवाद और राजघराने की।
 
सियासत में हैं ये परिवार
सिंधिया परिवार
मध्यप्रदेश की सियासत में ग्वालियर राजघराने का लंबे समय से दबदबा रहा है। सिंधिया राज घराने ने भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के लिए राजनीति की और दोनों ही दलों में इस घराने का प्रभाव है। कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया के लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चाएं हैं। गुना-शिवपुरी संसदीय सीट में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रियदर्शनी राजे सिंधिया के समर्थन में प्रस्ताव भी पास किया है। प्रियदर्शनी राजे अगर सियासत में आती हैं तो सिंधिया परिवार की तीसरी पीढ़ी की महिला होंगी। ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश में महाराज कहा जाता है। उनके पिता माधवराव सिंधिया के गांधी परिवार के बेहद नज़दीक संबंध थे। माधवराव सिंधिया ग्वालियर और गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से सांसद रहे। केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे। पिता के आकास्मिक निधन के बाद सियासत में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एंट्री की। सिंधिया ने गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की।
 
ज्योतिरादित्य सिंधिया भी राहुल के करीबी हैं और केन्द्र में मंत्री रह चुके हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी विजयाराजे सिंधिया जनसंघ और भाजपा की संस्थापक सदस्यों में से एक थीं । राजमाता विजयाराजे सिंधिया इस परिवार की पहली महिला थीं जिन्होंने सियासत में कदम रखा था। उसके बाद इस परिवार का कद देश और प्रदेश कि सियासत में लगातार बढ़ता गया।
सियासत में बेटियों ने भी की एंट्री
विजयाराजे सिंधिया की दो बेटियों ने भी सियासत में एंट्री की। वसुंधरा राजे सिंधिया राजस्थान में भाजपा की सबसे बड़ी नेता हैं। वो प्रदेश की मुख्यमंत्री भी रह चुकी हैं। वो 2003 से 2008 और 2013 से 2018 तक राज्य की सीएम रहीं।
वहीं, दूसरी तरफ विजयाराजे सिंधिया की दूसरी बेटी यशोधरा राजे सिंधिया मध्यप्रदेश की राजनीति में सक्रिय हैं। वो प्रदेश की शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुकी हैं वहीं, यशोधरा राजे ग्वालियर संसदीय सीट से दो बार सांसद
भी रह चुके हैं।
 
मध्यप्रदेश के दूसरे राजघराने की बात की जाए तो दिग्विजय सिंह का नंबर आता है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का राघौगढ़ राजघराना कभी ग्वालियर राजघराने का हिस्सा था। दिग्विजय ग्वालियर राजघराने के प्रति सम्मान रखते
हैं. लेकिन सियासत में अब ज्योतिरादित्य सिंधिया और इससे पहले उनके पिता माधवराव सिंधिया की राजनीतिक घेराबंदी में भी दिग्विजय सिंह ने कोई कसर नहीं छोड़ी। दिग्विजय सिंह राघौगढ़ विधानसभा से विधायक रहे और
मध्य प्रदेश के सीएम। अब 2019 के लोकसभा चुनाव में उनकी दूसरी पत्नी अमृता सिंह के चुनाव लड़ने की खबरें सामने आ रही हैं। दिग्विजय सिंह के सियासत में एंट्री के बाद उनके बेटे और भाई भी सियासत में हैं। जयवर्धन सिंह कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के इकलौते बेटे हैं। वो अपने पिता की परंपरागत सीट राघौगढ़ से वे पहली बार 2013 में चुनाल लड़े। 2018 में दूसरी बार जीत दर्ज की और प्रदेश सरकार में मंत्री बने। दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह भी सियासत में हैं और वर्तमान में चिचौड़ा से विधायक हैं। हालांकि बीच में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे और बाद में कांग्रेस में शामिल हुए।
 
अब बात करते हैं परिवार वाद की
मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस ने नेता पुत्रों और पुत्रियों को टिकट दिया है। ऐसे में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना सिंह के भी विदिशा संसदीय सीट से चुनाव लड़ने की अकटलें लगाई जा रही हैं। मोदी सरकार में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अभी विदिशा संसदीय सीट से सांसद हैं लेकिन इस बार उन्होंने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है। अब चर्चा है कि सियासत में साधना सिंह की भी एंट्री हो सकती है। साधना राजनीति में अभी तक केवल पति शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा सीट तक सक्रिय हैं।

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