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दो माह की कमलनाथ सरकार में खुल गया तबादला उद्योग

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ विधायक व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने ताबड़-तोड़ हो रहे तबादलों को लेकर कांग्रेस…

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ विधायक व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने ताबड़-तोड़ हो रहे तबादलों को लेकर कांग्रेस की कमलनाथ सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि राज्य में प्रशासनिक व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। विधानसभा चुनाव में विकास का वचन देने वाले कमलनाथ मुख्यमंत्री बनते ही विकास कार्यों पर ध्यान देने के बजाय ट्रांसफर पोस्टिंग में लगे हैं। रोजाना बड़ी-बड़ी सूची जारी हो रही। अधिकारी हतोत्साहित और आम जनता परेशान है। ऐसा लग रहा है कि तबादला उद्योग खुल गया। 
शनिवार को जारी बयान में उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने 15 साल में जितने ट्रांसफर नहीं किए, उससे कही ज्यादा ट्रांसफर 50 दिनों में करके कांग्रेस ने प्रशासनिक व्यवस्था चौपट कर दी है। क्या यही वक्त है बदलाव का? राजनीति का मुख्य काम प्रशासन को नेतृत्व प्रदान करना होता है, ताकि प्रशासन जनता की आकांक्षा को ‘विधि द्वारा स्थापित शासन’ की सीमाओं में पूरा कर सके। प्रशासनिक अधिकारी शासन का हाथ-पैर होता है, जो विकास को गति दे। लेकिन कमलनाथ सरकार ने 50 दिनों में 800 से ज्यादा वरिष्ठ अधिकारियों के ट्रांसफर कर प्रशासन को पंगु बना दिया। 
नेता प्रतिपक्ष भार्गव ने कहा कि एक-एक महीनों में बदली हो रही है। आदेश पर आदेश निकल रहे हैं। कभी निरस्त हो रहे हैं। अधिकारियों के ट्रांसफर पर जनता के जेब का लगभग 100 करोड़ रुपए जाया होगा। भार्गव ने आरोप लगाया कि सरकार में दलाल सक्रिय हैं। अधिकारी और जनता परेशान हो रही है। मंत्रालय से लेकर जिला और तहसील तक कांग्रेस के दलाल, ठेकेदार और ट्रांसफर माफिया सक्रिय है। अफसरों को कमाई के टारगेट दिए जा रहे हैं। 
गोपाल भार्गव 
पोस्टिंग एक नियमित प्रक्रिया का हिस्सा, नेता प्रतिपक्ष के आरोप निराधार : सलूजा 
इधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के मीडिया समन्यवक नरेंद्र सलूजा ने कहा है कि नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव के ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर सरकार पर लगाए गए आरोप निराधार हैं। ट्रांसफर पोस्टिंग एक नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है। पिछले पंद्रह सालों में ट्रांसफर पोस्टिंग व्यवसाय बन गया था। वर्षों से मलाईदार पदों पर चहेते अफसर ही जमे थे जो सरकार भी चला रहे थे और भ्रष्टाचार की व्यवस्था का प्रमुख केंद्र बने हुए थे। भाजपा के राज में खुले आम अदने से कर्मचारी से लेकर बढ़े अफसर तक की बोली लगती थी। हर पद के रेट फिक्स थे। पर्दे के पीछे सत्ता का केंद्र कौन था। सबको पता है। निश्चित राशि सभी को हर महीने देना पढ़ती थी। 
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आते ही भ्रष्टाचार की इस व्यवस्था को खत्म किया है। काम को वरीयता दी है। पिछले पंद्रह साल से चले आ रहे भ्रष्टाचार के नेक्सेस को खत्म किया। अब किसी भी अधिकारी कर्मचारी को दलाल की जरूरत नहीं। 

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