दिल्ली। दुनिया के तेल संपन्न देशों में शुमार कतर आेपेक यानि ऑर्गेनाइजेशन ऑफ द पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज से 2019 में बाहर होने जा रहा है। कतर के ऊर्जा मंत्री साद-अल-काबी ने जानकारी देते हुए बताया कि अब वो नेचुरल गैस के उत्पादन की आेर बढ़ने की शुरूआत कर रहा है। इसी पर उसका ज्यादा से ज्यादा जोर होगा। मौजूदा समय में कतर में सालाना नैचुरल गैस का उत्पादन 77 मिलियन टन के करीब होता है जिसके बढ़ाकर 110 मिलियन करने की तैयारी चल रही है। क़तर लिक्विफाइड नेचुरल गैस का सबसे पड़ा सप्लायर है। दुनियाभर के करीब 30 फीसदी नैचुरल गैस का उत्पादन यहीं से होता है।
58 सालों से आेपेक का मेंबर है कतर
कतर आेपेक का पिछले 58 सालों से मेंबर है। 1961 में कतर ने आेपेक की सदस्यता ली थी। आेपेक और रूस दुनिया का 40 फीसदी तेल का उत्पादन करता है। इसी हफ्ते कहा गया था कि तेल के उत्पादन में आेपेक देश कमी लाएंगे, जिससे कि कीमतों में ज़्यादा गिरावट न आए। इस साल अक्टूबर में तेल की कीमतें साल के सबसे ऊंचे स्तर 86 डॉलर प्रति बैरल थी, जो अब घट कर 60 डॉलर प्रति बैरल आ गई है।
आेपेक देशों ने लगाया था कतर पर आरोप
पिछले साल सऊदी अरब, बहरीन, यूनाइटेड अरब एमिरेट्स (यूएई), यमन और मिस्र ने कतर से डिप्लोमैटिक रिलेशन खत्म कर लिए थे. इन देशों ने कतर पर आतंकवाद को समर्थन को देने का आरोप लगाया था। हलांकि साद-अल-काबी का कहना है कि इससे आेपेक से बाहर होने के फैसले को जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए।
भारत को मिल सकते हैं यह फायदे
कतर के इस फैसले के बाद भारत को कर्इ तरह के फायदे मिल सकते हैं। एजेंल बोक्रिंग के वाइस प्रेसीडेंट (कमोडिटीज एंड रिसर्च) अनुज गुप्ता कहते हैं कि अगर भारत आैर कतर के रिश्ते अच्छे रहते हैं तो आने वाले दिनों में कतर से नैचुरल गैस का आयात सस्ते दामों में हो सकता है। जिसका देश के लोगों को फायदा मिलेगा। उन्होंने आगे बताया कि अब सभी देश क्रूड को छोड़कर नैचुरल गैस की आेर से बढ़ रहे हैं। इसलिए कतर भी इस आेर आगे बढ़ रहा है। अब वो अपने तरीके से व्यापार करेगा।
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