भोपाल। कर्मचारियों की वेतन और सेवा शर्तों से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने के लिए सरकार मंत्री समूह के बाद अब आयोग बनाएगी। आयोग राज्य सरकार के सभी संवर्गों के कर्मचारियों से जुड़े मामलों को देखेगा। वित्त विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री कमलनाथ 15 अगस्त को इस संबंध में घोषणा भी कर सकते हैं, क्योंकि इन दिनों कर्मचारी संगठन विभिन्न् मांगों को लेकर मुखर हुए हैं।
अधिकारियों-कर्मचारियों से जुड़ी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक अगस्त को 24 संगठनों के पदाधिकारियों के साथ बैठक की थी। ज्यादातर कर्मचारी संगठनों की मांग वेतन विसंगति, सेवा-शर्त, रिक्त पदों की पूर्ति और कुछ पदनाम परिवर्तन से जुड़ी हैं। सूत्रों के मुताबिक सरकार की माली हालत ऐसी नहीं है कि सभी आर्थिक मांगों को एक साथ पूरा किया जा सके, इसलिए संवर्गवार उनका परीक्षण कराया जाएगा।
इस काम को अंजाम देने के लिए आयोग का गठन किया जाएगा। वित्त मंत्री तरुण भनोत बजट में इसकी घोषणा भी कर चुके हैं। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि मंत्रिमंडलीय समिति को वेतन विसंगतियों से जुड़े कई ज्ञापन मिले हैं। इनका निराकरण कर सरकार को सिफारिश करने के लिए आयोग बनेगा।
गैर आर्थिक मांगें पहले होंगी पूरी
सूत्रों का कहना है कि गैर आर्थिक मांगें सबसे पहले पूरी होंगी। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी इसके संकेत कर्मचारी संगठनों को दे दिए हैं। इसके लिए उन्होंने जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा और गृहमंत्री बाला बच्चन के साथ चर्चा कर अलग-अलग विषय के प्रस्ताव तैयार करने के लिए कहा है।
वहीं, सामान्य प्रशासन मंत्री डॉ.गोविंद सिंह की अध्यक्षता में बने मंत्री समूह ने अतिथि शिक्षक, रोजगार सहायक और संविदा कर्मचारियों के संगठनों के साथ बैठक कर उनका पक्ष जाना था। इसके अतिरिक्त भी समिति को कई ज्ञापन मिले हैं। इन पर विचार कर सरकार को सिफारिश करने के लिए अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन की अध्यक्षता में समिति बनाई गई है, जिसकी बैठक जल्द ही होने वाली है।
संविदाकर्मियों को लेकर मांगी रिपोर्ट
उधर, संविदा कर्मचारियों को समकक्ष पद के न्यूनतम वेतनमान का 90 फीसदी देने, रिक्त पदों पर नियमित करने, भर्ती नियमों में संशोधन को लेकर मुख्यमंत्री सचिवालय ने विभागों से रिपोर्ट तलब कर ली है। सामान्य प्रशासन विभाग ने इसके लिए सभी विभाग को स्मरण पत्र भी जारी किया है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने संविदाकर्मियों को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक अगस्त को बैठक की थी। इसमें तय किया गया कि निष्कासित संविदाकर्मियों की सेवा में बहाली होगी। किसी को भी सेवा से बाहर नहीं किया जाएगा।
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