चंद्रयान 2. भारत का वो मिशन जिसका इंतजार हर हिंदुस्तानी कर रहा है. चंद्रयान-2 का विक्रम कुछ घंटों के बाद चांद पर अपना कदम रखेगा. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों ने इस मिशन को सफल बनाने के लिए दिन-रात मेहनत की है और ऐसे में अंतिम समय में हर कोई इसके सफल होने की कामना कर रहा है.
18 सितंबर, 2008 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चंद्रयान-2 मिशन को मंजूरी दी थी. अब आज 11 साल बाद ये मिशन पूरा होने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आज रात बेंगलुरु में इसरो सेंटर में मौजूद रहेंगे और इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बनेंगे.
चंद्रयान-2 का विक्रम देर रात 01.30 से लैंड करना शुरू करेगा, ये प्रक्रिया सात सितंबर सुबह 5 बजे तक जारी रहेगी.
भारत का ये मिशन चंद्रयान-2 कई बातों में खास है, मिशन से जुड़ी कई जानकारियां ऐसी हैं जिन्हें हर किसी को जानना जरूरी है. क्योंकि भारत के वैज्ञानिक इतिहास रचने के कगार पर खड़े हैं. इसरो की आधिकारिक वेबसाइट www.isro.gov.in पर इस मिशन की कुछ अहम जानकारियां साझा की गई हैं, जो इस प्रकार हैं:
क्यों खास है चंद्रयान-2:
– पहला अंतरिक्ष मिशन जो चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र पर सफलतापूर्वक लैंडिंग का संचालन करेगा
– पहला भारतीय अभियान, जो स्वदेशी तकनीक से चंद्रमा की सतह पर उतारा जाएगा
– पहला भारतीय अभियान जो देश में विकसित प्रौद्योगिकी के साथ चांद की सतह के बारे में जानकारियां जुटाएगा
– चंद्रमा की सतह पर रॉकेट उतारने वाला चौथा देश (रूस, अमेरिका, चीन और भारत)
हम चांद पर क्यों जा रहे हैं?
पृथ्वी का नजदीकी उपग्रह चंद्रमा है जिसके माध्यम से अंतरिक्ष में खोज के प्रयास किए जा सकते हैं और इससे संबंध आंकड़े भी एकत्र किए जा सकते हैं. यह गहन अंतरिक्ष मिशन के लिए जरूरी टेक्नोलॉजी आजमाने का परीक्षण केंद्र भी होगा.
चंद्रयान 2, खोज के एक नए युग को बढ़ावा देने, अंतरिक्ष के प्रति हमारी समझ बढ़ाने, प्रौद्योगिकी की प्रगति को बढ़ावा देने, वैश्विक तालमेल को आगे बढ़ाने और खोजकर्ताओं तथा वैज्ञानिकों की भावी पीढ़ी को प्रेरित करने में भी सहायक होगा.
क्यों जरूरी है ये मिशन?
चांद हमें पृथ्वी के क्रमिक विकास और सौर मंडल के पर्यावरण की अविश्वसनीय जानकारियां दे सकता है. वैसे तो कुछ परिपक्व मॉडल मौजूद हैं, लेकिन चंद्रमा की उत्पत्ति के बारे में और अधिक स्पष्टीकरण की आवश्यकता है. चांद की सतह को व्यापक बनाकर इसकी संरचना में बदलाव का अध्ययन करने में मदद मिलेगी.
चंद्रमा की उत्पत्ति और विकास के बारे में भी कई महत्वपूर्ण सूचनाएं जुटाई जा सकेंगी. वहां पानी होने के सबूत तो चंद्रयान 1 ने खोज लिए थे और यह पता लगाया जा सकेगा कि चांद की सतह और उपसतह के कितने भाग में पानी है.