What to expect from budget 2019: लोकसभा चुनाव 2019 से पहले 1 फरवरी को मोदी सरकार अंतरिम बजट पेश करेगी। जानिए आम जनता क्या खास उम्मीद रख सकती है..
राजीव सिंह
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले यानी 1 फरवरी 2019 को संसद में पेश होने वाले अंतरिम बजट पर हर किसी की नजर है। माना जा रहा है कि मतदाताओं को लुभाने के लिए सरकार कुछ खास घोषणाएं कर सकती है। सरकार का सबसे ज्यादा फोकस होगा, ग्रामीण और शहरी मध्यम वर्ग के मतदाताओं पर। ध्यान रखें कि मौजूदा सरकार राजकोष का विवेकपूर्वक इस्तेमाल करने को लेकर प्रतिबद्ध है यानी इस बजट में विस्तारवादी राजकोषीय नीति को लेकर बहुत ज्यादा गुंजाइश नहीं है। वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी का 3.3 फीसदी है। वहीं जीएसटी संग्रह से संकेत मिलता है कि राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करना कठिन होगा।
किसान और गांवों पर फोकस
हमारा मानना है कि राजकोषीय घाटा बहुत बड़ी चिंता नहीं होगी। खर्च पर कंट्रोल कर या सार्वजनिक उपक्रमों से उच्च लाभांश हासिल करके इससे मैनेज किया जा सकता है। वहीं कृषि क्षेत्र को संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता है, लेकिन इनका तत्काल असर नजर नहीं आएगा। सरकार कुछ ऐसे कदम जरूर उठा सकती है, जिनसे निकट भविष्य में किसानों को राहत मिले। पीएम ने कृषि ऋण माफी को खारिज कर दिया है।
सरकार सब्सिडी के बदले नकद हस्तांतरण या डीबीटी का विकल्प आजमा सकती है। इसके अलावा, इस बजट में ऐसी योजनाओं की उम्मीद कर सकते हैं जो किसानों की आय बढ़ाने में सहायक हो। फसल बीमा योजना में बदलाव भी एक विकल्प हो सकता है। साथ ही कृषि ऋण प्रवाह में वृद्धि के साथ गांवों में बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ाने की अपेक्षा भी इस बजट में की जा सकती है।
इन्कम टैक्स में मिल सकती है छूट
प्रत्यक्ष करों की व्यापक समीक्षा लंबित है और इसमें समय लग सकता है। हालांकि सरकार शहरी मध्यम वर्ग को खुश करने के लिए वर्तमान स्लैब में बदलाव कर सकती है। सबसे ज्यादा संभावना इस बात की है कि न्यूनतम टैक्स स्लैब को 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दिया जाए। वरिष्ठ नागरिकों के लिए छूट का दायरा भी बढ़ सकता है। धारा 80-सी के तहत छूट को मौजूदा 1,50,000 रुपए से बढ़ाकर 2,50,000 रुपए किया जा सकता है।
वहीं कॉरपोरेट टैक्स की बात करें तो 25% टैक्स की सीमा को बढ़ाया जा सकता है। वर्तमान में 250 करोड़ से कम के राजस्व वाली फर्मों पर 25% टैक्स लगता है। इसे बढ़ाकर 500 करोड़ रुपए किया जा सकता है। अभी इक्विटी बाजारों में दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर और एसटीटी, दोनों पर टैक्स लगता है।
हम चाहेंगे कि इस विसंगति को दूर किया जाए, चाहे एसटीटी हटाकर या पूंजीगत लाभ कर की गणना करते समय टैक्स का राशि में से भुगतान किए गए एसटीटी को घटाकर। वर्तमान कर प्रणाली में लाभांश पर दोहरे/तिहरे कर के रूप में काफी बोझ है। इसमें कुछ राहत मिलती है तो स्वागत योग्य होगा।
गरीबों संग उद्योगों का भी ख्याल
सरकार गरीबों के लिए यूनिवर्सल बेसिक इनकम की रूपरेखा बता सकती है। हालांकि समय बहुत कम बचा है, इसलिए इसे इस साल लागू किए जाने की संभावना नहीं है, लेकिन बजट भाषण और पार्टी घोषणा-पत्र में यह बड़ा मुद्दा हो सकता है।
इन्फ्रास्ट्रक्चर के मोर्चे पर हम उम्मीद करेंगे कि आबंटन पिछले साल (5.97 ट्रिलियन रुपए) से ज्यादा हो। जिससे भारतमाला, सागरमाला, आवास, स्वच्छता और पानी की जरूरतों जैसी प्रमुख योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। इसके अलावा, विद्युतीकरण और यात्री सुरक्षा के आधुनिकीकरण को ध्यान में रखते हुए रेलवे में आवंटन किया जाएगा।
घरेलू उद्योग को बराबरी का मौका प्रदान करने के लिए कैपिटल गुड्स सेक्टर में इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर के रेशनलाइज़ेशन की आवश्यकता है। सरकार ने हाल ही में एंजेल टैक्स के नियमों से स्टार्ट-अप को कुछ राहत प्रदान की है, फिर भी इंडस्ट्री को यह अपर्याप्त लगता है और बजट में ज्यादा राहत दी जा सकती है।
कुल मिलाकर, हम उम्मीद करते हैं कि सरकार एक लोकलुभावन बजट से माध्यम से किसानों और शहरी मध्यम वर्ग का वोट हासिल करने की कोशिश करेगी। हालांकि, इस सब में बैंकों का भी ख्याल रखेगी। इस तरह एक संतुलन बैठाने की कोशिश होगी। उसे राजस्व जुटाने की आवश्यकता होगी, और हम उम्मीद करते हैं कि इसके लिए आने वाले समय में ज्यादा विनिवेश होगा।