मेहनत
हम अक्सर बच्चों से कहते हैं कि बेटा, मेहनत कर लो ताकि भविष्य अच्छा बन सके।जब बात मेहनत की होती है तो सामान्यतः हम दो तरह की मेहनत समझते हैं- एक पूरी सिद्दत से पढ़ने वाली मेहनत या अगर वो न हो सके तो दूसरी मजदूरी कर पसीना बहाने वाली मेहनत क्योंकि हमें लगता है कि मेहनत सिर्फ physically ही होती है जो आगे चलकर आपकी कमाई का ज़रिया बन सके या फिर आपके लुक्स को और बेहतर बना सके(GYM वाली मेहनत) ,लेकिन मेहनत हर तरह की होती है और हर जगह पर होती है।
जो मेहनत हम लोग सालों से अपने-अपने दिमाग में कर रहे होते हैं,जहां हम रोज़ खुदसे हारकर रोज़ खुद को तैयार कर रहे होते हैं,जहाँ रोज़ एक ही हालात को मन में सौ बार दोहराकर उस हार को अपनी ताकत बना रहे होते हैं। जो चीज़ देखने में बड़ी ही साधारण सी नज़र आती है,उसपर उस शख्स ने न जाने कितनी नींदों को कुर्बान किया होता है। जिसे देख हम बड़ी आसानी से कह देते हैं कि “दिस इज़ सो नेचुरल एंड गुड़ ब्रो” ,बट नथिंग इज़ नेचुरल इन दिस वर्ल्ड।
जब कभी लोग मुझसे कहते हैं कि तुम्हारे जवाब बड़े सटीक और सही होते हैं मगर शायद वो ये नहीं जानते कि ये जवाब उस इकलौती बात का नहीं होता है जो सामने वाले ने मुझसे अभी की है , ये जवाब उस हर बात का होता है जो पिछले कई सालों से इस जैसी हज़ारों बातें न जाने कितने लोगों ने मुझसे की हैं। इस एक जवाब को तैयार करने के लिए सौ बार चुप रहकर सिर्फ सुना है लोगों को। हाँ, अब मेरे पास ऐसे कई जवाब हैं जिससे मैं उन्हें खुदको देखने का नज़रिया बदल सकती हूँ।
और अगर अब कभी किसी को मुस्कुराता हुआ भी पाओ तो यूँही ये सोचकर उसे नज़रअंदाज़ मत कर देना कि इट इज़ नेचुरल, सब हँसते हैं। उस एक मुस्कुराहट के लिए उसने जाने कितने आँसुओं को समेट कर खुदको खड़ा किया होगा,उसने सालों मेहनत की होगी उस एक मुस्कुराहट के लिए,
और हाँ, तुम भी कर रहे हो,”मेहनत” हर पल,हर दिन।
