Breaking News

मध्यप्रदेश : कमलनाथ सरकार में राजनीतिक नियुक्तियां अटकने से कांग्रेस नेताओं में बढ़ रहा असंतोष

मध्यप्रदेश में कांग्रेस को सत्ता में आए एक साल से ज्यादा का वक्त गुजर गया है, मगर राजनीतिक नियुक्तियां नहीं हो पाई हैं, जिससे दावेदारों में असंतोष पनपने लगा है। नियुक्तियों का दौर और आगे टला तो असंतोष के स्वर मुखर होने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।

कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से निगम, मंडल और आयोगों में नियुक्तियों की मांग लगातार उठ रही है। लेाकसभा चुनाव के दौरान कई नेता बगावत के मूड में थे, तब उन्हें समझाया गया और इस बात के लिए राजी किया गया कि वे पार्टी के लिए काम करें, पार्टी उनका ध्यान रखेगी।

लोकसभा चुनाव हुए भी अरसा गुजर गया, मगर नियुक्तियां नहीं हो पा रही हैं। वर्तमान में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री की कमान कमल नाथ के हाथ में है। कमल नाथ पिछले दिनों कई बार पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ने की इच्छा जता चुके हैं, मगर हाईकमान उन्हें अध्यक्ष पद से मुक्त करने को तैयार नहीं है, क्योंकि पार्टी के भीतर खींचतान जारी है। कमल नाथ का विकल्प पार्टी को सूझ नहीं रहा है।

मंडल और निगम अध्यक्षों को लेकर पार्टी के भीतर खींचतान का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी के प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया भी मुख्यमंत्री कमल नाथ के साथ बैठक कर चुके हैं। साथ ही नियुक्तियां जल्दी होने की बात कह चुके हैं, फिर भी बात नहीं बन पा रही है।

कांग्रेस के एक नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा, कई नेताओं को जब विधानसभा और लोकसभा में उम्मीदवार नहीं बनाया गया, तब यही भरोसा दिलाया गया था कि पार्टी ध्यान रखेगी, मगर एक साल गुजर गया, पार्टी की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया गया है। कई विधायक मंत्री न बनने से असंतुष्ट हैं, वहीं निगम-मंडलों में नियुक्ति न होने से दूसरे नेता नाराज हैं। यह पार्टी के लिए अच्छा नहीं है। वहीं कांग्रेस हाईकमान ने मध्यप्रदेश सहित कांग्रेस शासित अन्य राज्यों में सत्ता और संगठन के बीच बेहतर तालमेल के लिए समन्वय समितियों का गठन किया है।

राज्य समन्वय समिति का अध्यक्ष प्रदेश प्रभारी महासचिव दीपक बावरिया को बनाया गया है तो सदस्य मुख्यमंत्री कमल नाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और अरुण यादव, राज्य सरकार के मंत्री जीतू पटवारी और मीनाक्षी नटराजन होंगी।

सत्ता में हिस्सेदारी पाने की लालसा में कार्यकर्ता और नेता किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं, यह नजारा इंदौर में देखने को मिला। मुख्यमंत्री कमल नाथ के इंदौर के कार्यक्रम में हर कार्यकर्ता उनके नजदीक पहुंचना चाहता था, जब ऐसा करने से रोका गया तो दो कार्यकर्ता हाथापाई पर उतर आए।

पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा है कि यह वर्चस्व की लड़ाई का भी नतीजा हो सकता है या ज्यादा नजदीक जाने की कोशिश का परिणाम भी। राजनीतिक विश्लेषक साजी थॉमस का कहना है कि राज्य की सत्ता में आते ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं को लगने लगा था कि अब उन्हें भी कोई न कोई पद जल्दी जरूर मिल जाएगा, मगर उन्हें सत्ता का कम होता वक्त सताने लगा है।

एक साल गुजर गया है, आने वाला समय भी ऐसे ही न गुजर जाए, इसकी चिंता भी उन्हें सताए जा रही है। लिहाजा, समय रहते पार्टी ने इस पर ध्यान नहीं दिया तो हालात विस्फोटक भी हो सकते हैं, क्योंकि आगामी समय में नगरीय निकाय और पंचायत के चुनाव भी होने हैं।

Check Also

हम जैसे कार्यकर्ताओं को जहर दे दो _ धैर्यवर्धन

🔊 Listen to this शिवपुरीDec 10, 2024 at 10:51 _________________________ भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश …