शिवपुरी। ईश्वर ने मानव में एक प्राकृतिक शक्ति दी हैं,दूसरो की मदद करने की। यह शक्ति और किसी भी जीव के पास नही हैं। केवल मानव मात्र केे पास हैं। इस कोरोना काल में हमने कई सौ घरो में मदद पहुचाई। ईश्वर ने मुझे इस काबिल बनाया कि ऐसी विकट परिस्थती में,मैं अन्नयज्ञ कर सकती हूं तो मैने किया।
क्यों करूं दूसरों की मदद? मुझे क्या मिलेगा? मेरी कौन मदद करता है? मैंने ही सबका ठेका लिया है? ऐसी कई बातें बोलने व सुनने में आती हैं, जब दूसरों की मदद करने का सवाल उठता है। भूल जाते हैं कि यह और कुछ नहीं, इस धरती को अपने और दूसरों के रहने के लिए बेहतर बनाने की दिशा में बढ़ाए गए कदम हैं।
मंथन न्यूज ने जब एकता शर्मा से पूछा कि हमें दूसरों की मदद क्यों करनी चाहिए? उन्होंने कहा, ‘दूसरों की मदद करना धरती पर आपके कमरे का किराया है, जो आपको देना ही चाहिए।’ जवाब लाजवाब है। मकान में रहना है तो किराया देना ही पड़ता है। हालांकि यह धरती हमारी बनायी दुनिया की तरह हवा, पानी और मिट्टी का हिसाब नहीं रखती, बावजूद आप क्या हैं? और इस धरती पर क्यों हैं? इसे जानने का रास्ता अरसे तक दूसरों से अनजान रहकर नहीं पाया जा सकता। यह बात पाप-पुण्य, प्रशंसा और धार्मिक उपदेश की नहीं, हमारे अपने अस्तित्व को बनाए रखने की शर्त है।
अनजान लोगों की मदद
डिजिटल लाइफ के बारे मे एकता शर्मा कहती हैं, ‘गैजेट में उलझे रहने के कारण नई पीढ़ी की एक-दूसरे से सीधी बातचीत कम हो गयी है। लोग बात करते हुए भी मोबाइल देखते रहते हैं, जिससे उनकी खुद को और दूसरों को समझने की क्षमता कम हुई है।’ यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन में हुए इस शोध के अनुसार हमारी अपनी खुशी के लिए जरूरी है कि हम दूसरों से बातचीत करें।
अगर ईश्वर ने किसी को इतना काबिल बनाया हैं कि वह दूसरो की मदद कर सके। कहते भी हैं कि दान करने से भगवान उससे दुगना देता हैं यह किसी भूखे को रोटी खिलाना और शिक्षा दान करना इस संसार के दो महान कार्य हैं। मैं शिक्षाविद हूं और में ऐसे बच्चो को शिक्षा भी देती हूं जो बहुत गरीब हैं और फीस भी नही दे सकते। मैने सबसे पहले ऐसे परिवारो को राशन दिया।
उसके बाद मेरे पास स्वत: ही फोन आने लगे मदद के लिए। मैने ऐसे कई परिवारो को राशन की किटे उपलब्ध कराई। हमारी राशन की किट में 10 किलो आटा,चावल,दाल,तेल और मसाले होते थे। कई परिवारो के पुन:फोन आए फिर उन्है राशन की किट दी। इस काम में मुझे बडा ही आंनद आया और मैं स्वयं ऐसा महसूस किया कि मैने मानव होने का फर्ज निभाया।
वैसे भी नारियो मे मदद करने का एक अलग से गुण ईश्वर ने दिया। वह किसी का दुख नही देख सकती है। मैने भी कुछ ऐसा ही किया। प्रकृति ने जो एक मदद का गुण हर इंसान को दिया बस मैने उसे ही बहार निकाला। जब भी मुझे ईश्वर आगे मौका देंगा मै पीछे नही हंटूगी।