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लॉकडाउन में मध्यप्रदेश के प्रवासी मजदूरों के लिए लागू “मुख्यमंत्री प्रवासी मजदूर सहायता योजना”

जिला कलेक्टरों को क्रियान्वयन के दिशा-निर्देश जारी
कोरोना महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन में मध्यप्रदेश के अन्य राज्यों में फँसे मजदूरों की सहायता के लिए ‘मुख्यमंत्री प्रवासी सहायता योजना-2020’ के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सभी जिला कलेक्टर्स को दिशा-निर्देश दिए गए हैं। योजना में प्रवासी मजदूरों की जानकारी, पता, मोबाइल नम्बर आदि की जानकारी एकत्रित कर तात्कालिक आवश्यकता भोजन,दवाई आदि के लिए उन्हें 1000 रुपये दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने 15 अप्रैल 2020 को इस योजना को घोषित किया है। अभी तक अन्य राज्यों में फँसे 15 हजार प्रवासियों की मोबाइल नम्बर सूची बना ली गई है।

प्रदेश के सभी कलेक्टरों को भेजे गए विस्तृत परिपत्र में योजना के क्रियान्वयन के लिए दिशा-निर्देश दिए गए है :

पात्रता:- योजना का लाभ उन प्रवासी मजदूरों को मिलेगा, जो मध्यप्रदेश के मूल निवासी होने के साथ योजना के लागू होने के दिनांक तक अन्य राज्यों में प्रवासी मजदूर हों।

योजना का क्रियान्वयन – सभी जिलों के कलेक्टर योजना के पात्र मजदूरों की जानकारी विभिन्न स्त्रोतों से एकत्र करेंगे। यह जानकारी राहत आयुक्त को दी जाएगी। इसके अलावा राज्य-स्तरीय कॉल सेन्टर में सीधे ऐसे प्रवासियों की जो जानकारी आएगी उसे मेप आईटी को हस्तांरित किया जाएगा।

मेप आई.टी.प्राप्त डाटा के आधार पर निम्न जानकारी एकत्रित करेगा :-

मोबाईल नम्बरों का डी- डुप्लीकेशन की कार्यवाही।

उपलब्ध मोबाइल नम्बरों की मोबाइल टॉवर के आधार पर लोकेशन पता लगाना तथा राज्य के बाहर के नंबरों को सूचीबद्ध करना।

सूचीबद्ध मोबाइल नम्बरों को जिलेवार विभाजित करना।

मेप आईटी द्वारा जो सूची जिला कलेक्टर को उपलब्ध करवाई जाएगी, उन मोबाइल नम्बर पर कॉल करवाकर कलेक्टर निम्न जानकारी संबंधित से एकत्रित करवाएंगे :

नाम/पिता का नाम, पूरा पता, (ग्राम, निकाय, ब्लाक, तहसील और जिला), मोबाइल नम्बर, आधार नम्बर, समग्र आईडी, बैंक एकाउंट विवरण आईएफसी सहित एवं जहाँ व्यक्ति फँसे हैं, वहाँ क्या व्यवसाय कर रहे थे।

दिशा-निर्देश में स्पष्ट किया गया है कि जिस आवेदित व्यक्ति के पास आधार नम्बर अथवा समग्र आईडी न हो तो संबंधित जिले द्वारा उसकी पहचान, मध्यप्रदेश में निवासी होने का सत्यापन अन्य माध्यम जैसे पंचायत सचिव से बात करके अपना वोटर आई.डी., खाद्यान्न पर्ची, मनरेगा का जॉब कार्ड इत्यादि शासकीय दस्तावेज से की जाएगी। अगर आवश्यकता तो जिले द्वारा आवेदित व्यक्ति के उक्त दस्तावेजों को वाटसएप अथवा अन्य इलेक्ट्रानिक माध्यमों से भी प्राप्त की जा सकेगी। दिशा-निर्देश में यह भी कहा गया है कि यदि आवेदित व्यक्ति के साथ मध्यप्रदेश के अन्य लोग भी फँसे हैं जो इस योजना में पात्र हैं तो उनका भी उपरोक्त विवरण मोबाइल नम्बर की लोकेशन मेप आईटी/वाटसएप से सत्यापित करवाना जरूरी होगा। इससे आवेदक उस स्थान पर उपस्थित है या नहीं यह जानकारी स्पष्ट हो जाएगी।

जिला कलेक्टर को जैसे-जैसे सत्यापित जानकारी प्राप्त होगी वैसे-वैसे संबंधित व्यक्ति के बैंक खातों में राशि जमा करवाएंगे अथवा किसी ई-वॉलेट जैसे पेटीएम, फोन-पे, योनो इत्यादि से भुगतान करेंगे।

जिला कलेक्टर यह भी सुनिश्चित करेंगे कि प्रत्येक पात्र मोबाइल नम्बर पर एक ही भुगतान किया जाए। साथ ही एक ही व्यक्ति को एक से अधिक बार भुगतान न हो। सभी जिलों में वितरित की गई राशि के संबंध में हितग्राही का सम्पूर्ण विवरण, बैंक एकाउंट नम्बर, वितरण दिनांक आदि की सभी जानकारी का संधारण जिला स्तर पर अनिवार्य रूप से करने को कहा गया है।

राज्य सरकार द्वारा ऐसे प्रवासी श्रमिकों के संबंध में समन्वय स्थापित करने के लिये तय किये गए राज्य स्तरीय समन्वयक अपने-अपने निर्धारित जिलों में इसकी निगरानी करेंगे।

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