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महागठबंधन बदलेगा राज्य का समीकरण, त्रिशंकु सरकार के आसार

भोपालः मध्य प्रदेश में जैसे जैसे विधानसभा चुनावों के दिन नज़दीक आ रहे हैं, वैसे वैसे प्रदेश की भाजपा सरकार को घेरने के लिए महागठबंधन की अटकलें भी तेज़ होती जा रही हैं। जहां एक तरफ एमपी के प्रबल विपक्षी दल कांग्रेस और यूपी की बसपा पार्टी के बीच गठबंधन लगभग तय है, वहीं अब इस बात की भी अटकलें तेज़ हो गई हैं, कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी से भी गठबंदन कर सकते हैं। अगर वाकई यह गठबंधन हो जाता है तो मध्य प्रदेश में भाजपा के वर्चस्व पर बड़ा असर पड़ सकता है।

गठबंधन का असर भाजापा पर

अगर कांग्रेस और सपा के बीच भी मध्य प्रदेश में गठबंधन होता है तो, इसका असर मध्य प्रदेश भाजापा की सीटो पर पड़ सकता है। क्योंकि पिछले चुनाव में बीजेपी, कांग्रेस, बसपा और सपा सभी दलों ने स्वतंत्र चुनाव लड़े थे। इसका बड़ा खामियाज़ा कांग्रेस को उठाना पड़ा था। पिछले विधानसभा चुनावी परिणाम की बात करें तो, भापजा को प्रदेश में 45 फीसदी वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस को 37 प्रतिशत वोट मिले थे। इसके अलावा बसपा ने प्रदेशभर के 7 फीसदी मतों पर अपना कब्ज़ा जमाया था और समाजवादी पार्टी ने भी कांग्रेस के वोट गणित को बिगाड़ा था। लेकिन, सोचिये कि अगर इस बार भी परिणामों का प्रतिशत वही रहता है और दूसरी ओर यह तीनो अलग अलग दल एक हो जाते हैं तो बीजेपी के लिए यह चुनाव काफी चुनौती पूर्ण साबित हो सकता है।

बुंदेलखंड और विंध्य पर नज़र

समाजवादी पार्टी से कांग्रेस का गठबंधन होने से मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों पर इसका असर पड़ सकता है। क्योंकि समाजवादी पार्टी का प्रभाव मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड और विंध्य के पूरे बेल्ट पर ज्यादा है। जिसका परिणाम हम पिछले विधानसभा चुनाव में देख ही चुके हैं, जहां इन इलाकों में आने वाली 30 विधानसभा सीटों पर सपा के कारण ही चुनावी समीकरण बदले थे। जहां कांग्रेस और सपा की टक्कर का लाभ भाजपा को मिला था। ऐसे में अगर इन सीटों पर सिर्फ आमने सामने की लड़ाई होगी तो, जनता को भी अपना नेता चुनने में ज्यादा जटिलता का सामना नही करना पड़ेगा और अगर प्रभाव सपा का ज्यादा पड़ा तो नुकसान भाजपा का हो सकता है। बता दें कि, यह तीस विधानसभा सीटें ओबीसी बाहुल्य सीटें भी मानी जाती हैं, जो भाजपा और कांग्रेस के मुकाबले सपा और बसपा पर ज्यादा भरोसा करती हैं।

रिपोर्ट से तैयार हुई कांग्रेस की रणनीति 

इधर, कांग्रेस प्रदेश की सत्ता से अपना वनवास खत्म करने का हर प्रयास करना चाहती है। कांग्रेस का फोकस प्रदेश की 230 सीटों में से उन सीटों पर ज्यादा है, जिसने पिछली बार हुए चुनाव में पार्टी को नुकसान पहुंचाया था। इसके लिए कांग्रेस अंदरूनी तौर पर एक रिपोर्ट भी तैयार कर चुकी है, रिपोर्ट के आधार पर उसने आगामी रणनीति तैयार की है। रिपोर्ट में कांग्रेस ने हर उस सीट का आंकलन किया था, जिसपर उसे नुकसान हो चुका है। कांग्रेस के सामने आया था कि, प्रदेश में खासतौर पर ऐसी 70 सीटें हैं जिनपर पार्टी को क्षेत्रीय दलों के कारण नुकसान हुआ था। रिपोर्ट के अनुसार, इनमें 31 सीटें तो ऐसी हैं, जिनपर पिछले पांच चुनावों से कांग्रेस लगातार हारती आ रही है, इसका बड़ा कारण बसपा को माना गया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि, बसपा ने प्रदेश में कांग्रेस को तीन संभागों जिनमें ग्वालियर, चंबल और रीवा में नुकसान पहुंचाया था।

कमलनाथ और अखिलेश की होगी मुलाकात

हालांकि, स्थितिया अभी साफ नहीं है, लेकिन पूर्व सीएम अखिलेश यादव गुरुवार को मध्य प्रदेश दौरे पर हैं, जहां उनकी मुलाकात कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और कांग्रेस नेता अरुण यादव से होने वाली है। इससे यह कयास लगाए जा रहे हैं कि, यह दोनो दल आज कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। क्योंकि, जिस तरह कांग्रेस ने कर्नाटक में जेडीएस से गठबंधन करके येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार को हिला दिया था, उसी तरह मध्य प्रदेश में भी पिछले पंद्रह सालों से वनवास काट रही कांग्रेस इसी पॉलिसी के तहत मध्य प्रदेश में भी दाव आज़माने की तैयारी में है। हालांकि, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मीडिया बात चीत में यह तो कह चुके हैं कि, गठबंधन होगा लेकिन पार्टी ने अब तक किसी दल से गठबंधन होने की बात का ऐलान औपचारिक ऐलान नहीं किया है।

गठबंधन की संभावनाओं से इनकार नहींः यादव

शनिवार को राजधानी भोपाल आने से पहले मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि, मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए उनकी पार्टी का कांग्रेस से अब तक कोई गठबंधन नही हुआ है। अखिलेश ने कहा कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने का फैसला फिलहाल नहीं लिया गया है। हालांकि, यादव ने गठबंधन की संभावनाओं से इनकार भी नहीं किया। 
उन्होंने कहा, ‘‘हम चुनाव से पहले अपने संगठन को विस्तार और मजबूती देने में जुटे हैं। हम इस प्रदेश से एक मज़बूत रिश्ता जोड़ने आए हैं।’’

अखिलेश का भाजपा पर वार

कर्नाटक के मुद्दे पर सबसे पहले तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का इस बात पर धन्यवाद किया कि, “शीर्ष अदालत ने लोकतंत्र को बचाया, वरना भाजपा के लोग तो सौ-सौ करोड़ रुपए देकर विधायक खरीदने वाले थे। पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार पर भी निशाना साधते हुए कहा कि, प्रदेश की सड़के अपने बदतर हालात के दौर से गुज़र रही हैं, लेकिन सूबे केे मुखिया शिवराज सिंह चौहान उसे वॉशिंगटन डीसी से बेहतर मानते है, उन्होंने कह कि, शिवराज की ऐसी बातों को प्रदेश की जतना समझ चुकी है, उसलिए यहां के लोग उनसे खुश नहीं हैं।” इससे इस बात को बल मिलता है कि, अगर सबकुछ अनुकूल रहा तो, कांग्रेस और सपा भी किसी फैसले पर आ सकते हैं।

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