दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने विश्व धरोहर ताजमहल के संरक्षण में सुस्ती बरतने के लिए केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई है। कोर्ट ने ताजमहल की सुरक्षा के लिए उठाए जाने वाले कदमों में सुस्ती के लिए केंद्र और सरकार के अफसरों को आड़े हाथों लिया। शीर्ष अदालत ने ऐतिहासिक मध्य युगीन संरचना के बेहतर रखरखाव नहीं किए जाने पर निराशा जताई।
सुनवाई के दौरान अदालत ने ताज के संरक्षण के लिए विज़न डॉक्युमेंट पेश नहीं करने पर उत्तर प्रदेश सरकार को भी फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से ताज के संरक्षण के लिए उठाये गए सभी कदमोंं की जानकारी भी मांगी। जस्टिस एम बी लोकुर और दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने कहा कि ताज की सुरक्षा को लेकर तैयार संसदीय कमेटी की रिपोर्ट के बाद भी इस पर केंद्र की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
कोर्ट ने कहा- एफिल टॉवर से कुछ सीखिए -
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, प्राइवेट कंपनियों को ताजमहल के आस-पास उद्योग लगाने कि इजाजत क्यों दी गई। इन्हें बंद क्यों नहीं किया जा रहा है। इस पर केंद्र ने अपने जवाब में कहा कि नए उद्योगों को खोलने की इजाजत नहींं दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि एफिल टॉवर को देखिए, सैकड़ोंं साल पुराना है। लाखों लोग देखने आते है, वहां का मैनेजमेंट अच्छा है। आप देश का नुकसान कर रहे हैंं।
केंद्र ने दी दलील -
केंद्र ने अपनी दलील में कहा कि आईआईटी कानपुर ताजमहल के आस-पास के वायु प्रदूषण की जांच कर रही है और चार महीनेे के अंदर रिपोर्ट सौंप दी जाएगी। केंद्र ने आगे कहा कि पर्यावरण मंत्रालय ने एक कमेटी गठित कि है जो ताज के आसपास प्रदूषण के कारणों का पता करेगी जिससे यह मदद मिलेगी कि इसे कैसे रोका जा सकता है।
31 जुलाई से रोजाना इस पर सुनवाई -
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो ताज को संरक्षित करना चाहते हैं। लेकिन अगर सरकार ने तय कर लिया है कि वो इसे बंद कर देगी या नष्ट कर तोड़ देगी तो वो इसके लिए स्वतंत्र है। अगर ये तय कर लिया है तो सरकार हमें क्यों परेशान कर रही है। अगर हमें परेशान करोगे तो हम भी परेशान करेंगे। कोर्ट ने कहा कि वह 31 जुलाई से रोजाना इस मामले की सुनवाई करेगा।
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