नई दिल्ली: दिल्ली के सीएम आरविदं केजरीवाल द्वारा राज्य में गतिरोध के लिए केंद्र को जिम्मेदार ठहराने के बाद अब विपक्ष ने भी मोदी सरकार पर हमला बोला है. नीति आयोग की बैठक में प्रमुख विपक्षी दलों ने मोदी सरकार को राज्यों के मामलों से दूर रहने की नसीहत दी है. खास तौर पर गैर-भाजपा शासित राज्यों के मुख्मंत्रियों ने इस बैठक में जोर देकर कहा कि केंद्र सरकार को चाहिए कि वह अनावश्यक राज्यों के किसी मामले में हस्तक्षेप करने से बंचे. इस बैठक में गैर-भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कहा कि केंद्र को सहकारी संघवाद का पालन करना चाहिए. विपक्षी पार्टियों के मुख्यमंत्रियों ने राजग सरकार पर संविधान के संघीय ढांचे को कमजोर करने का आरोप भी लगाया.
बैठक में शामिल होने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मेरे ख्याल से केंद्र को सहकारी संघवाद का पालन करना चाहिए और राज्य के मामलों में गैर – जरूरी दखल नहीं देना चाहिए. उन्होंने कहा कि केंद्र को चाहिए कि वह सहकारी संघीय ढांचे को मजबूत बनाने पर काम करे. वहीं आंध्र प्रदेश , केरल और कर्नाटक जैसे राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस बैठक में किसानों के कृषि ऋण माफी का मुद्दा उठाया. कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने अपने संबोधन में इस योजना को लागू करने के लिए केंद्र की तरफ से 50 प्रतिशत मदद की मांग की. वहीं 15वें वित्त आयोग के मुद्दे पर विपक्षी मुख्यमंत्रियों ने अपनी शंकाएं जाहिर कीं और केंद्र से इसकी शर्तों को नये सिरे से परिभाषित करने का आग्रह किया.
इस बीच, ममता बनर्जी ने नीति आयोग के खिलाफ आवाज उठाते हुए कहा कि यह राज्यों के लिए कुछ नहीं करता है. गौरतलब है ममता बनर्जी ने शनिवार को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से न मिलने दिए जाने पर केंद्र सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा था कि दिल्ली का अगर ये हाल है तो बाहर बहुत गलत मैसेज जा रहा है. अगर कोई बीजेपी का मुख्यमंत्री भी कहता है तो हम उसको भी सुनेंगे. हम LG को संवैधानिक संस्था मानते हैं. हम लोकतंत्र को मानते हैं, लेकिन हम मुख्यमंत्री के साथ नहीं मिल पा रहे हैं.
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