2014 से लेकर अन्ना ने अब तक प्रधानमंत्री मोदी को 15 खत लिखे और उनके खत लिखने का मुख्य मकसद यह था कि लोकपाल कानून का सही तरीके से कार्यान्वित करवाया जाए, लेकिन इन चार सालों में एक बार भी मोदी ने अन्ना हजारे के खत का जवाब देने की जरूरत नहीं समझी.
मोदी की बेरुखी से नाराज होकर अन्ना हजारेने इसी साल मार्च में केंद्र सरकार के खिलाफ दिल्ली के रामलीला मैदान पर सशक्त लोकपाल कानून लाने और किसानों से संबंधित कई मांगों के साथ आंदोलन शुरू किया था. हफ्तेभर चले उनके इस आंदोलन को खत्म कराने के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को आगे आना पड़ा और फिर अन्ना ने अपना अनशन खत्म किया.
फिर दी थी आंदोलन की धमकी
अन्ना ने अपना आंदोलन भी इसी शर्त पर खत्म किया था कि उनकी मांगों के बारे में केंद्र सरकार तुरंत सकारात्मक कदम उठाएंगी. मार्च 30 से अब तक यानि जून महीने के पहले हफ्ते तक केंद्र सरकार से कोई भी सकारत्मक बात नहीं होने के वजह से अन्ना हजारे ने मोदी सरकार को फिर से खत लिख डाला. अपने खत में उन्होंने सरकार को धमकी दी कि वह अक्टूबर से एक बार फिर अनशन शुरू करने वाले हैं.
शायद उनकी यह धमकी काम कर गई और प्रधानमंत्री ऑफिस से उनके पत्र का जवाब आ गया. हाल के दिनों में प्रधानमंत्री मोदी को दो खत लिखने के बाद प्रधानमंत्री ऑफिस से अन्ना को गुरुवार को संदेशा आया. पीएमओ ने जवाब देते हुए बताया कि अन्ना हजारे से मिलने पीएमओ से सचिव स्तर के अधिकारी जल्द ही रालेगण सिद्धी आएंगे.
अन्ना हजारे ने शुक्रवार को अपने जन्मदिवस के अवसर पर पारनेर तहसील में युवकों को मार्गदर्शन कार्यक्रम में भाषण के दौरान खुद ही इस बात का खुलासा किया. अन्ना ने कहा कि अगर अच्छा चरित्र तो बड़ी से बड़ी ताकत भी आपका आदर करती है.
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