भोपाल। प्रदेश में 1000 करोड़ के इ-टेंडर में छेड़छाड़ के मामले की जांच ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण) को सौंपी गई है। सूत्रों के अनुसार जांच एजेंसी गड़बड़ी वाले तीन टेंडरों के साथ ही इ-प्रोक्योरमेंट के माध्यम से 2014 से अब तक के इ-टेंडरों की भी जांच करेगी। ईओडब्ल्यू डीजी मधु कुमार ने जांच की जिम्मेदारी भोपाल यूनिट के डीएसपी राजेश गुरु को दी है।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) विभाग के तीन इ-टेंडरों में लाल क्रॉस के दिखाई देने के बाद छेड़छाड़ का मामला उजागर हुआ था। इसके बाद मैप-आइटी के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ने सरकार को रिपोर्ट भेजकर निर्माण विभागों के बड़े इ-टेंडरों में छेड़छाड़ की आशंका जाहिर की थी। इस रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्य सचिव बीपी सिंह से चर्चा के बाद यह मामला ईओडब्ल्यू को सौंप दिया।
२ साल पहले भी उठा था गड़बड़ी का मामला
इ-टेंडर में गड़बड़ी का मामला 2016 में भी उठा था। तब कुछ बड़ी कंपनियों ने ई-टेंडर में गड़बड़ी की शिकायत अधिकारियों से की थी। बाद में मैप आइटी के तत्कालीन प्रमुख सचिव मोहम्मद सुलेमान ने पोर्टल की सिक्योरिटी जांच प्राइज वाटर कूपर (पीडब्ल्यूसी) से कराई थी। इसमें इ-टेंडर सिस्टम को क्लीनचिट दी गई थी।
इ-टेंडर में गड़बड़ी का मामला 2016 में भी उठा था। तब कुछ बड़ी कंपनियों ने ई-टेंडर में गड़बड़ी की शिकायत अधिकारियों से की थी। बाद में मैप आइटी के तत्कालीन प्रमुख सचिव मोहम्मद सुलेमान ने पोर्टल की सिक्योरिटी जांच प्राइज वाटर कूपर (पीडब्ल्यूसी) से कराई थी। इसमें इ-टेंडर सिस्टम को क्लीनचिट दी गई थी।
हर 2 माह में बदले एमडी
इ- प्रोक्योरमेंट कराने वाले मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॅानिक डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एमपीएसईडीसी) की कार्यप्रणाली विवादों में रही है। इसमें लगभग हर दो माह में प्रबंध निदेशक (एमडी) बदले गए हैं। इसके चलते किसी भी एमडी ने इ-प्रोक्योरमेंट पोर्टल के माध्यम से होने वाले इ-टेंडरिंग सिस्टम पर ध्यान ही नहीं दिया।
इ- प्रोक्योरमेंट कराने वाले मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॅानिक डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एमपीएसईडीसी) की कार्यप्रणाली विवादों में रही है। इसमें लगभग हर दो माह में प्रबंध निदेशक (एमडी) बदले गए हैं। इसके चलते किसी भी एमडी ने इ-प्रोक्योरमेंट पोर्टल के माध्यम से होने वाले इ-टेंडरिंग सिस्टम पर ध्यान ही नहीं दिया।
रघुराजन राजेंद्रन का कार्यकाल 9 माह, मार्च-17 से नवंबर-17
मनु श्रीवास्तव का कार्यकाल— 3 माह, नवंबर 17 से जनवरी 18
बी चंद्रशेखर का कार्यकाल— 4 माह, जनवरी-18 से अप्रैल-18
मनु श्रीवास्तव का कार्यकाल— मात्र 8 दिन, 18 से 25 अप्रैल तक
मनु श्रीवास्तव का कार्यकाल— मात्र 8 दिन, 18 से 25 अप्रैल तक
मनीष रस्तोगी को 26 अप्रैल से प्रभार मिला। चार दिन बाद ही उनकी जगह तन्वी सुंदरियाल को भेजा। तन्वी ने ज्वाइन नहीं किया।
दस्तावेज मांगे
यह मामला जांच के लिए ईओडब्ल्यू को सौंपा गया है। इस बारे मेंं मुझसे कुछ दस्तावेज मांगे गए हैं।
मनीष रस्तोगी, प्रमुख सचिव मैप आइटी, एमडी एमपीएसईडीसी
यह मामला जांच के लिए ईओडब्ल्यू को सौंपा गया है। इस बारे मेंं मुझसे कुछ दस्तावेज मांगे गए हैं।
मनीष रस्तोगी, प्रमुख सचिव मैप आइटी, एमडी एमपीएसईडीसी
ईओडब्ल्यू कर रहा जांच
इस मामले की जांच भोपाल यूनिट के डीएसपी राजेश गुरु को सौंपी गई है। जांच पूरी होने के बाद ही कुछ कह पाऊं गा।
मधु कुमार, डीजी ईओडब्ल्यू
इस मामले की जांच भोपाल यूनिट के डीएसपी राजेश गुरु को सौंपी गई है। जांच पूरी होने के बाद ही कुछ कह पाऊं गा।
मधु कुमार, डीजी ईओडब्ल्यू
यह मामला बेहद गंभीर है। इसकी सीबीआई जांच होना चाहिए क्योंकि इनमे से दो टेंडर उन पेयजल परियोजनाओं के हैं, जिनका शिलान्यास पीएम को करना है।
कमलनाथ, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष
कमलनाथ, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष
इ-टेंडर सिस्टम की निष्पक्ष जांच हो तो अफसरों और ठेकेदारों का गठजोड़ उजागर हो सकता है। इसमें सत्ता में शीर्ष पदों पर बैठे लोग बेनकाब होने चाहिए।
अरुण यादव, पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष
अरुण यादव, पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष
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