उत्तर प्रदेश के योगी मंत्रिमंडल का विस्तार अगले महीने होगा। विस्तार पर मुहर लगाने के लिए खुद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह 4 या 5 जुलाई को लखनऊ जाएंगे। रात्रि प्रवास के दौरान शाह सपा-बसपा महागठबंधन की चुनौतियों से निपटने और मिशन 50 पर्सेंट योजना पर संगठन के वरिष्ठ अधिकारियों, मुख्यमंत्री और चुनिंदा मंत्रियों के साथ मैराथन बैठक करेंगे। इन बैठकों से पहले शाह संपर्क फॉर समर्थन अभियान के तहत चुनिंदा हस्तियों से मुलाकात भी करेंगे। पहले कर्नाटक चुनाव के तत्काल बाद योगी मंत्रिमंडल विस्तार करने की योजना थी। मगर इसके तत्काल बाद आए कैराना और नूरपुर के नतीजे के कारण इस योजना में बदलाव लाना पड़ा। तय किया गया कि हार की व्यापक समीक्षा, महागठबंधन की चुनौतियों से पार पाने का फार्मूला ढूंढने के बाद ही विस्तार को हरी झंडी दी जाएगी। चूंकि महागठबंधन की काट के लिए सामाजिक समीकरण साधने की भी योजना है, ऐसे में पार्टी इस समीकरण के खांचे में फिट बैठने वाले चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह देने के अलावा कुछ मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाएगी। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, फूलपुर और गोरखपुर उपचुनाव के नतीजे आने के बाद ही शाह ने सूबे में महागठबंधन को मात देने के लिए मिशन 50 पर्सेंट की परिकल्पना पेश की थी। इसके तहत उन्होंने 8 फीसदी वोट बढ़ाने के लिए राज्य संगठन को दलित तथा सपा समर्थक कुछ अति पिछड़ी जातियों को साधने का निर्देश दिया था। तभी तय हुआ था कि खासतौर पर उज्ज्वला और मुफ्त बिजली देने संबंधी योजना के दायरे में इसी वर्ग को रखा जाए। सूत्रों की मानें तो शाह के निर्देश पर राज्य संगठन ने रिपोर्ट तैयार कर ली है। शाह इसी रिपोर्ट पर मंथन के बाद योगी मंत्रिमंडल विस्तार की रूपरेखा भी तय करेंगे।
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