भोपालः मध्य प्रदेश के लिए यह काफी अहम साल है और इसका कारण है साल 2018 के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव। जैसे जैसे चुनाविक दिन नज़दीक आ रहे हैं, वैसे वैसे प्रदेश की राजनैतिक सरगर्मी बढ़ती जा रही है। एक तरफ विपक्ष जहां सरकार को घेरने की कोई कोर कसर छोड़ता नज़र नहीं आता, तो वहीं, जनता भी इस चुनाविक सरगर्मी के चलते अपनी ज़रूरतों को पूरा कराने के लिए सरकार के सामने ऐड़ी चौटी का ज़ोर लगा रही है। मतलब, जहां बात सीधी उंगली से ना मानी जा रही हो तो उंगली तेढ़ी करके मनवाने की भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही, कहीं धर्ना प्रदर्शन, कहीं अनशन, तो कहीं बंद, ये हालात प्रदेश में आम से हो गए हैं।
चुनाविक रेवड़ियां बांट रही सरकार
वहीं, सरकार भी चुनाविक रेवड़ियां बांटने में पीछे नहीं है। रूठों को मनाने का हुनर शिवराज को बखूबी आता है। ऐसे में प्रदेश के रूठे अध्यापकों को मनाना सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती थी, जिसके तहत सरकार को कई फैसले लेने पड़े, इसमें राज्य सरकार द्वारा कैबिनेट में यह तय हुआ कि, प्राथमिक शिक्षक, माध्यमिक शिक्षक और उच्च माध्यमिक शिक्षक में आने के बाद अध्यापकों की पदोन्नति में सरकार ने ‘आरक्षण” का प्रावधान कर दिया है। यानि अब अध्यापकों को पदोन्नति के लिए विभागीय परीक्षा पास करनी होगी उसके बाद ही ओन्नत पद के लिए चयन किया जाएगा।
यह है आरक्षण में उत्तीर्णांक की श्रेणी
परिक्षा में आरक्षण को सरकार ने इस तरह जोड़ा है जैसे परीक्षा में सामान्य वर्ग के अध्यापक को कम से कम 50 फीसदी अंक लाने होंगे,वहीं अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग व दिव्यांगों को कम से कम 40 फीसदी अंक लाने पर अगले पद के लिए योग्य माना जाएगा। सरकार ने हाल ही में अध्यापकों का स्कूल शिक्षा और जनजातीय कार्य विभाग में संविलियन का फैसला लिया है। स्कूल शिक्षा विभाग ने नए संवर्ग के लिए नियमों के प्रस्तावित प्रारूप में यह प्रावधान किया है। जिसे कैबिनेट मंजूरी दे चुकी है। लेकिन, अध्यापक संगठन और सपाक्स समाज संस्था ने इस फैले से नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए फैसले का विरोध शुरू कर दिया है।
वर्ग के आधार पर भेदभावः सपाक्स समाज संस्था अध्यक्ष
पदोन्नति में आरक्षण की कानूनी लड़ाई लड़ने वाले कर्मचारियों में वर्ग के आधार पर भेदभाव होने लगा है। ऐसे में पदोन्नति के नियमों में आरक्षण का प्रावधान करने पर सपाक्स समाज संस्था खफा है। संस्था के अध्यक्ष हीरालाल त्रिवेदी का कहना है कि, मध्य प्रदेश की राजनीति शेक्षणिक स्तर को बरबाद कर देगी। उन्होंने कहा कि, पिछड़ा वर्ग को नियुक्ति के समय ही आरक्षण का लाभ मिलता है, ऐसे में बार-बार उन्हें ये लाभ देना प्रदेश के जनरल तबके में आने वालों के लिए भेदभाव है, परीक्षा में मिलने वाले अंक इस बात की गवाही हैं। उन्होंने कहा कि, ऐसा करने स सरकार सिर्फ एक तबके का नुक़सान नहीं कर रही, बल्कि पूरे प्रदेश के छात्रों के भविषअय के साथ खिलवाड़ कर रही है, जो भिल्कुल भी ठीक नहीं है।
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