मंथन न्यूज़ भोपाल – अंतर निकाय संविलियन (तबादला) प्रक्रिया को लेकर 24 साल से तबादलों का इंतजार कर रहे अध्यापकों के सामने अब संकट पैदा हो गया है। तबादला सूची में नाम आने के बाद अध्यापकों ने अपने बच्चों की टीसी (ट्रांसफर सर्टिफिकेट) निकलवाई और नई पदस्थापना वाले शहर के स्कूल में एडमिशन करा दिया। बच्चों ने एक बार पढ़ाई भी कर ली। अब राज्य शासन ने अचानक आदेश निरस्त कर दिया।
लिहाजा, अध्यापक समझ ही नहीं पा रहे हैं कि वे क्या करें। सबसे बड़ी समस्या वापस उसी शहर या गांव में बच्चों के एडमिशन कराने को लेकर आ रही है। इसे लेकर अध्यापकों में रोष है और वे आंदोलन करने की तैयारी कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में दो लाख 84 हजार अध्यापक हैं। वर्ष 1994 में बतौर गुरुजी भर्ती हुए अध्यापक अब तक तबादले का इंतजार कर रहे हैं। अपने घर और परिवार से दूर जाकर नौकरी हासिल करने वाले अध्यापकों को कुछ सालों में वापस घर लौटने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जैसे-तैसे सरकार ने तबादले का फैसला लिया तो नीति बनाने में देरी हुई और फिर ऑनलाइन तबादला प्रक्रिया में छह माह से ज्यादा समय लग गया।
स्कूल शिक्षा विभाग ने ऑनलाइन आवेदन करने वाले अध्यापकों के नई पदस्थापना स्थल की सूची जारी कर दी। इस आधार पर उन्होंने बच्चों के नई जगह एडमिशन करा दिए और किराए के मकान भी खाली कर दिए। उन्हें उम्मीद थी कि अब कोई विघ्न नहीं आएगा और आदेश जारी हो जाएंगे, लेकिन अचानक शासन ने आदेश निरस्त कर दिए। अब अध्यापक संकट में हैं।
शिक्षक संवर्ग के खातिर गया तबादला
सूत्र बताते हैं कि अध्यापकों का शिक्षा विभाग में संविलियन करना है। संविलियन के बाद एक बार फिर तबादले होंगे। इसलिए विभाग के आला अधिकारियों ने तबादला प्रक्रिया रोकने का निर्णय ले लिया। जबकि अभी तक सरकार ने यह घोषित नहीं किया है कि अध्यापकों का शिक्षा विभाग में कब से संविलियन किया जा रहा है।
अध्यापकों में खासा रोष
तबादला प्रक्रिया रोके जाने से अध्यापक खासे नाराज हैं। अध्यापक नेता विभाग के आला अधिकारियों से मिलकर रोष व्यक्त कर चुके हैं और आंदोलन की चेतावनी भी दे चुके हैं। यदि सरकार ने इस संबंध में जल्द कदम नहीं उठाया तो प्रदेश व्यापी आंदोलन की तैयारी है। 
सीएम से मिलेंगे
मैं आयुक्त लोक शिक्षण से मिला था। उन्हें पूरी बात बताई थी। उन्होंने कहा है कि राज्य स्तर से ऐसा निर्णय लिया गया है। हम मुख्यमंत्री से बात करेंगे और उन्हें पूरी समस्या बताएंगे। जरूरत पड़ी तो आंदोलन भी करेंगे। 
– जगदीश यादव, अध्यक्ष, मप्र राज्य अध्यापक संघ
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