शिवपुरी, शिवपुरी जिले में रविवार को हुई दो दुखद घटनाएं ने सभी को हिलाकर रख दिया है। अलग-अलग स्थानों पर दो युवतियों ने अपने जीवन को समाप्त करने का निर्णय लिया। पहली घटना सहिसपुरा वार्ड क्रमांक 29 से सामने आई, जहां 17 वर्षीय किशोरी खुशी खटीक ने अपने घर के अंदर फांसी लगाई। दूसरी घटना दिनारा कस्बे में हुई, जहां 19 वर्षीय छात्रा रोशनी झा ने आत्महत्या की।
जानकारी के अनुसार, खुशी खटीक, जो कक्षा 11 की छात्रा थी, ने अपने घर में फांसी लगाई। उस समय परिवार के अन्य सदस्य भी वहां मौजूद थे, लेकिन वे भी इस भयानक घटना के बारे में कुछ नहीं जानते। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है।
दिनारा कस्बे में भी एक गंभीर घटना हुई। रोशनी झा, जो कक्षा 12 की छात्रा थी, ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। जब उसकी मां काम से घर लौटी, तो उसने अपनी बेटी को जाली में लटका हुआ पाया। रोशनी का पिता मजदूरी पर गया था, और उसकी मां नए मकान के निर्माण स्थल पर थी।
इन दोनों मामलों में परिवार के सदस्य किसी प्रकार की जानकारी देने को तैयार नहीं हैं। इस बारे में दिनारा थाना प्रभारी अमित चतुर्वेदी का कहना है कि मौके से रोशनी का मोबाइल फोन मिला है, जिससे जांच में मदद मिल सकती है। हालांकि, अभी तक आत्महत्या का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है और पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट और परिजनों के बयान के आधार पर शोध कर रही है।
इन घटनाओं ने न केवल परिवारों को बल्कि पूरे समुदाय को चिंता में डाल दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी घटनाएं अक्सर मानसिक स्वास्थ्य, पारिवारिक समस्याओं, या सामाजिक दबावों के कारण होती हैं। हालांकि, शिवपुरी में इनमें से किसी भी कारण का पता नहीं लगाया जा सका है।
शिवपुरी जैसे छोटे शहरों में ऐसे मामलों पर खुलकर चर्चा नहीं होती, जिससे मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता। अक्सर किशोरों में भावना का प्रभाव और सामाजिक अपेक्षाओं का बोझ भारी हो जाता है। यदि किसी किशोरी को किसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है, तो उसे परिवार या दोस्तों से मदद लेनी चाहिए, लेकिन यह चिंताजनक है कि इन दोनों किशोरियों ने ऐसा नहीं किया।
केवल एक परिवार की समस्या नहीं, बल्कि यह एक सामाजिक मुद्दा है जिस पर सभी को विचार करने की आवश्यकता है। यदि हम अपने बच्चों का ध्यान नहीं रखेंगे, तो ऐसे और भी मामले हमारे सामने आ सकते हैं। समाज में जागरूकता लाना और किशोरों के लिए संवाद का वातावरण बनाना आवश्यक है।
हालांकि, सरकार और गैर सरकारी संगठनों की ओर से विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, लेकिन इस दिशा में अभी और प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाना तथा उनके लिए एक सुरक्षित संवाद का वातावरण बनाना महत्वपूर्ण है।
अंत में, हम सभी से आग्रह करते हैं कि हम अपने आसपास के युवाओं की भावनाओं और समस्याओं को समझें और उनकी मदद करें। जीवन की कीमते अनमोल होती हैं, और इसे समाप्त करना कभी भी समाधान नहीं हो सकता। हमें एक समाज के रूप में इस विषय पर गहराई से विचार करना होगा और ऐसा वातावरण तैयार करना होगा, जहां हमारी युवा पीढ़ी अपने विचारों और भावनाओं को खुलकर साझा कर सके।