शासकीय महाविद्यालयों के कर्मचारियों के स्थायीकरण आदेश निरस्त: हजारों परिवार संकट में
शासकीय महाविद्यालयों में जनभागीदारी निधि और अन्य मदों से सेवाएं दे रहे वेतनभोगी कर्मचारियों के स्थायीकरण (नियमितीकरण) आदेशों को मध्य प्रदेश सरकार ने निरस्त कर दिया है। यह निर्णय उच्च शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा 24 अक्टूबर 2025 को लिया गया, जिससे इन कर्मचारियों के हजारों परिवार गंभीर आर्थिक और मानसिक संकट में आ गए हैं। 2023 में जारी हुए थे नियमितीकरण के आदेश और कर्मचारियों के स्थायीकरण की यह प्रक्रिया पिछली सरकार में शुरू हुई थी। सितंबर 2023 में, तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव (जो अब प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं) के निर्देश पर, कर्मचारियों को स्थायी करने के आदेश जारी किए गए थे। ये आदेश सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) की वर्ष 2016 की स्थायीकरण नीति के अनुरूप थे।आदेश जारी होने के बाद, कर्मचारियों के प्रतिनिधिमंडल ने उस समय डॉ. मोहन यादव के निवास पर पहुंचकर उनका धन्यवाद भी व्यक्त किया था।
*मुख्यमंत्री बनने के बाद आदेश पलटा*
कर्मचारियों का कहना है कि जब डॉ. मोहन यादव स्वयं मुख्यमंत्री बन गए हैं, तो उनके ही मंत्रीकाल में जारी किए गए आदेशों को निरस्त करना आश्चर्यजनक है।पीड़ित कर्मचारियों में रोष है और वे सवाल उठा रहे हैं कि “जब सरकार नहीं बदली है, तो फिर किया गया वादा क्यों बदला गया?”। इस निर्णय ने उन कर्मचारियों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है जो लंबे समय से स्थायी नौकरी की आस लगाए बैठे थे। कर्मचारी अब सरकार से अपने स्थायीकरण आदेशों को बहाल करने की मांग कर रहे हैं।
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