मुरैना-श्योपुर लोकसभा क्षेत्र की दो विधानसभाओं अंबाह व दिमनी में तोमरों का खासा प्रभाव है
ग्वालियर में बगावत की आंच से बचने के लिए केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने जिन अपनों के भरोसे लोकसभा क्षेत्र बदला है, वे ‘अपने’ इस बार विरोध में हैं। हर चुनाव में निर्णायक भूमिका में रहने वाले तोमर, राजपूत इस बार फिलहाल खुलकर साथ देने के इरादे में नहीं लग रहे। खास बात यहां यह भी है कि केंद्रीय मंत्री तोमर के पूर्वज अंबाह विधानसभा क्षेत्र के औरेठी गांव के हैं।
सजातीय वोटरों के दम पर ही नरेंद्र सिंह तोमर ने क्षेत्र बदलने का निर्णय किया था। मुरैना-श्योपुर लोकसभा क्षेत्र की दो विधानसभाओं अंबाह व दिमनी में तोमरों का खासा प्रभाव है। 2008 के चुनाव में मंत्री तोमर के दखल से दिमनी से शिवमंगल सिंह व अंबाह से कमलेश सुमन को टिकट दिया गया। दोनों जीते और 2009 के लोकसभा चुनाव में जब तोमर यहां से सांसदी के लिए चुनाव मैदान में उतरे तो उन्हें इन दोनों सीटों से निर्णायक बढ़त भी मिली।
सांसदी के दौरान शुरू हो गया विरोध
2009 में सांसद बनने के बाद नरेन्द्र सिंह तोमर क्षेत्र में ज्यादा समय नहीं दे पाए। स्थानीय लोगों में इस बात को लेकर विरोध शुरू हो गया। यही कारण रहा कि 2013 के विधानसभा चुनाव में तोमर ने दिमनी से शिवमंगल सिंह व अंबाह से बंशीलाल को टिकट दिलवाया तो दोनों हार गए थे। 2018 में तोमर के दखल से दिमनी से शिवमंगल सिंह को पुन: अवसर दिया गया। अंबाह से गब्बर सखवार को टिकट दिया गया। इस बार भी दोनों की हार हो गई। संकेत मिल चुके थे 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले तोमर ने तरसमा गांव में एक चुनावी सभा ली। उस समय गांव के लोगों ने एक राय होकर इस सभा का विरोध किया। गांव का केवल एक परिवार इस सभा में शामिल हुआ था।
इसलिए नाराजगी-विरोध
-क्षेत्र के लोगों की नाराजगी का मूल कारण विधानसभा चुनावों में टिकट वितरण रहा। जिन लोगों को टिकट दिलवाए, उनसे स्थानीय लोग खफा थे।
-क्षेत्र के असल वोटर बात रखने तोमर के निकट नहीं पहुंच पाए।
-कुछ खास लोगों ने केंद्रीय मंत्री के आसपास ऐसा घेरा बनाया कि वे स्थानीय लोगों की समस्याएं नहीं जान सके।
-ग्वालियर विधानसभा चुनावों में ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र के प्रत्याशी सतीशसिंह सिकरवार मूल रूप से सुमावली के रहने वाले हैं। उनके पूर्वज भी यहीं के हैं। चुनावों में सतीशसिंह अपनी हार के पीछे एक कारण नरेन्द्र सिंह तोमर को मानते हैं। अब बारी सतीशसिंह की है। तय माना जा रहा है कि सिकरवार खिलाफत करेंगे।
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