मंथन न्यूज हितेश जैन पोहरी । पोहरी नगर एवं ग्रामीण क्षेत्र में नियम ताक पर रख एक सैंकड़ा से अधिक ईट-भट्टे बेखौफ संचालित किए जा रहे हैं जिससे एक ओर जहां अवैध उत्खनन को बढ़ावा मिल रहा है वहीं लगातार फैल रहे प्रर्दुषण से आसपास के
लोगों को रह पाना मुशिकल हो रहा है। आश्चर्यजनक पहलू यह है कि वन, राजस्व एवं खनिज महकमे के जिन अधिकारी-कर्मचारियों पर निरीक्षण का जिम्मा है, वह क्या देख रहे हैं, क्या कार्रवाई कर रहे हैं। आलम यह है कि किसी भी विभाग का अधिकारी न तो जिम्मेदारी लेने तैयार है और न ही जिम्मेदारों पर
कार्रवाई करने की जहमत उठाने, जबकि भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 26 च के तहत यह गंभीर अपराध है वहीं भू-राजस्व संहिता का भी उल्लंघन है।
अवैध खुदाई से हो गईं गहरी खाईयां
पोहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में वन भूमी, शमसान भूमी एवं राजस्व भूमी सहित नदी-नालों किनारे स्थित मिट्टी की खदानों में मशीनों से इस कदर खुदाई कर दी गई है कि जगह-जगह गहरी खाईयां साफ दिखाई दे रही हैं। पोहरी में खुदाई करने से नदी के तटों का अस्तित्व समाप्त हो गया है। पोहरी क्षेत्र में जगह-जगह गहरी खाई हो गई हैं। विगत दिनों पूर्व मिट्टी की खदान धंसकने से दर्दनाक मौत का मंजर
सामने आने के बावजूद अवैध खुदाई का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है, परिणामस्वरूप अनेक गांवों में आम रास्ते भी खाईयों में तब्दील हो गए हैं।
प्रर्दुषण से लोगों को आ रही सांस लेने में दिक्कतें
पोहरी नगर के अलावा पोहरी से बैराड़ रोड, एवं कई स्थानों पर नदी-नालों किनारे अवैध उत्खनन कर न केवल ईंटों का धड़ल्ले से निर्माण किया जा रहा है बल्कि जंगलों की अवैध कटाई कर ईंटों को पकाया जा रहा है जिससे यहां रहने वालों लोगों को सांस लेने भी परेशानी आ रही है। दिन-रात प्रदुर्षण की मार के चलते ग्रामीण स्वांस, नाक एवं खांसी संबंधी बीमारियों का शिकार बन रहे हैं। ग्रामीणों द्वारा पूर्व में ईंट भट्टों से फैलने वाले प्रदुषण की शिकायत अधिकारियों को की जा चुकी है लेकिन अधिकारियों ने कार्रवाई करने की जहमत नहीं उठाई जिससे यह अवैध कारोबार निर्वाध गति से निरंतर चल रहा है।
सरकारी निर्माण कार्यों में प्रयोग हो रही हैं लोकल ईंट
पोहरी जनपद अंतर्गत आने वाली सभी ग्राम पंचायतों में किए गए निर्माण कार्यो में लोकल ईट लगाकर शासन की राशि को
भ्रष्टïचार कि भेंट चढाया जा चुका है। गौर करने वाली बात यह है कि
अधिकांश गांवों में ईटों का निर्माण करने वाले पेशेवर कुम्हार न होते हुए निर्माण कार्यों से संबंध रखने वाले ठेकेदारों से जुड़े लोग हैं। बताया जाता है कि उक्त गांवों से लोकल ईंट पकने के बाद शासकीय निर्माण कार्यों जैसे, प्रधानमंत्री आवास, स्कूल भवन, छात्रावास भवन, सामुदायिक भवन,
ग्राम पंचायत भवन, आंगनवाड़ी शौचालय, किचिनशेड आदि निर्माण कार्यों में उक्त घटिया स्तर की लोकट ईंटों को इस्तेमाल में लाया जा रहा है जिससे शासकीय निर्माण कार्य टिकाऊ नहीं बन रहे हैं।
ईट-भट्टा के लिए ये शर्ते जरूरी
1 – ईट भट्टा लगाने के लिए स्थान नगरीय क्षेत्र हो या ग्रामीण बस्ती से दूर होना चाहिए।
2 – पर्यावरण विभाग की मंजूरी होना आवश्यक
3- मिट्टी उत्खनन के लिए खनिज विभाग या राजस्व विभाग की अनुमति
4 – वन विभाग की स्वीकृति भी आवश्यक
5 – पेशेवर कुम्हारों को नियमों में छूट है।
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