मंथन न्यूज बीजिंग. चीन की वन बेल्ट-वन रोड (OBOR) समिट में भारत हिस्सा नहीं लेगा। शामिल न होने की वजह कश्मीर और सॉवेरीनटी (संप्रभुता) को बताया जा रहा है। बीजिंग में दो दिन का ये समिट रविवार से शुरू हो रही है। इसमें 29 देश शामिल हो रहे हैं। नॉर्थ कोरिया का डेलिगेशन भी आ सकता है। रूस के प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन और फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते के भी आने की संभावना है। पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ अपने 4 मुख्यमंत्रियों के साथ बीजिंग पहुंच चुके हैं। चीन एशिया से यूरोप तक सड़क, रेल और समुद्री मार्ग से अपना आर्थिक दबदबा कायम करना चाहता है। चीन ने शामिल होने का दिया था ऑफर…
– न्यूज एजेंसी की खबर के मुताबिक, भारत की ओर से समिट में कोई शामिल नहीं होगा, इस बारे में ऑफिशयली कुछ नहीं कहा गया।
– उधर, चीनी फॉरेन मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन गेंग शुआंग ने कहा, “हमें जितनी जानकारी है, बेल्ट एंड रोड फोरम में भारतीय अफसर हिस्सा लेंगे।”
– वहीं, भारतीय विदेश मंत्रालय के स्पोक्सपर्सन गोपाल बागले के मुताबिक, “भारत, क्षेत्र में कनेक्टिविटी को लेकर जोर देता रहा है लेकिन OBOR में पाकिस्तान की तरफ से समस्या रही है। इसकी वजह ये है कि OBOR का हिस्सा माना जाने वाला चीन-पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) पीओके से होकर गुजरेगा।”
– हाल ही में चीन ने भारत से कहा था कि वह भारत की सॉवेरीनटी से जुड़े मुद्दों यानी कश्मीर मसले पर दखल नहीं देगा।
– बता दें कि बीजिंग में 14-15 मई को वन बेल्ट-वन रोड समिट शुरू हो रही है। इनमें से 29 देशों के प्रमुख बीजिंग में होने वाले सम्मेलन में पहुंच रहे हैं।
अमेरिका ने दी चीन को वॉर्निंग
– उधर, नॉर्थ कोरिया को समिट में शामिल होने का न्योता देने के लिए अमेरिका ने चीन को वॉर्निंग दी है।
– बीजिंग में अमेरिकी एम्बेसी के मुताबिक, “हमने चीन की फॉरेन मिनिस्ट्री को एक डिप्लोमैटिक नोट भेजा है। इसमें कहा गया है कि चीन के नॉर्थ कोरिया को दिए इनविटेशन से एक गलत मैसेज जाएगा। इस वक्त पूरी दुनिया नॉर्थ कोरिया पर मिसाइल और न्यूक्लियर टेस्ट पर रोक लगाने के लिए दबाव डाल रही है। चीन का ऐसा करना उसे बढ़ावा देगा।”
– हालांकि, चीन ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया है। बता दें कि अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प मेक अमेरिका ग्रेट अगेन की पॉलिसी को लेकर अमेरिका तक सीमित हो रहे हैं, वहीं चीन के प्रेसिडेंट शी जिनपिंग ने 65 देशों में पुराने सिल्क रोड के आधार पर इकोनॉमिक कॉरिडोर बनाने की पहल शुरू की है।
भारत से की थी समिट से जुड़ने की अपील
– 17 अप्रैल में चीन के फॉरेन मिनिस्टर वांग यी ने कहा, “समिट में हालांकि भारत का कोई नेता मौजूद नहीं रहेगा। लेकिन भारत चाहे तो अपना रिप्रेजेंटेटिव भेज सकता है।”
– “हम भारत के रिप्रेजेंटेटिव या फिर बिजनेस कम्युनिटी के मेंबर का स्वागत करने के लिए तैयार हैं।”
– “OBOR समिट में शामिल होने वाले देशों के लिए साझा विकास की बात कही जा रही है। हम चाहते हैं कि भारत भी इसमें हिस्सा लेकर अहम भूमिका निभाए।”
– “46 बिलियन डॉलर की लागत वाले सीपीईसी का भारत के राजनीतिक और कश्मीर सीमा विवाद से सीधे तौर कोई लेना-देना नहीं है। ये केवल इकोनॉमिक को-ऑपरेशन और डेवलपमेंट के लिए है।”
– “चीन लंबे वक्त से इन इलाकों में पाकिस्तान को सपोर्ट कर रहा है। हम ये भी बताना चाहते हैं कि कश्मीर विवाद पर चीन के रुख में कोई बदलाव नहीं होगा।”
– “हम अपने दोस्त भारत को भरोसा दिलाते हैं कि अगर वे OBOR में हिस्सा लेते हैं तो इससे कई रास्ते खुलेंगे।”
क्या है OBOR?
– OBOR, प्रेसिडेंट शी जिनपिंग का पसंदीदा प्लान है। इसके तहत चीन पड़ोसी देशों के अलावा यूरोप को सड़क से जोड़ेगा। ये चीन को दुनिया के कई पोर्ट्स से भी जोड़ देगा।
– एक रूट बीजिंग को तुर्की तक जोड़ने के लिए प्रपोज्ड है। यह इकोनॉमिक रूट सड़कों के जरिए गुजरेगा और रूस-ईरान-इराक को कवर करेगा।
– दूसरा रूट साउथ चाइना सी के जरिए इंडोनेशिया, बंगाल की खाड़ी, श्रीलंका, भारत, पाकिस्तान, ओमान के रास्ते इराक तक जाएगा।
– पाक से साथ बन रहे CPEC को इसी का हिस्सा माना जा सकता है। फिलहाल, 46 बिलियन डॉलर के चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) पर काम चल रहा है। बांग्लादेश, चीन, भारत और म्यांमार के साथ एक कॉरिडोर (BCIM) का प्लान है।
– CPEC के तहत पाक के ग्वादर पोर्ट को चीन के शिनजियांग को जोड़ा जा रहा है। इसमें रोड, रेलवे, पावर प्लान्ट्स समेत कई इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट किए जाएंगे।
– CPEC को लेकर भारत विरोध करता रहा है। हमारा दावा है कि कॉरिडोर पाक के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) से गुजरेगा, तो इससे सुरक्षा जैसे मसलों पर असर पड़ेगा।
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