मंथन भोपाल। डीएड-बीएड डिग्री न होने के कारण अध्यापकों के 450 आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा रही है, जबकि ऐसे ही 50 आश्रितों को स्कूल शिक्षा विभाग नौकरी दे चुका है। अब सरकार दोषियों पर कार्रवाई की बजाय आश्रितों को एकमुश्त राशि या अन्य संवर्ग के पद पर अनुकंपा का आश्वासन दे रही है। उधर, आश्रित जल्द निर्णय न होने पर न्यायालय जाने की चेतावनी दे रहे हैं।
‘नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009(आरटीई)’ के तहत अध्यापक के लिए डीएड-बीएड योग्यता जरूरी है, लेकिन भोपाल, बैतूल, जबलपुर सहित एक दर्जन से ज्यादा जिलों में करीब 50 आश्रित जिला शिक्षा अधिकारियों से मिलीभगत कर अध्यापक बन गए।
ये गड़बड़ी वर्ष 2013 से 15 के बीच हुई है। इनमें ज्यादातर राजनीतिक सिफारिश रखने वाले लोग हैं। जिन्हें बाद में सरकारी खर्च पर डीएड-बीएड कराने का प्रयास भी किया गया। यह मामला राज्य स्तर के अफसरों को पता चल चुका है। फिर भी इसमें अब तक कोई कार्रवाई शुरू नहीं हुई है।
चार लाख देने की तैयारी
संबंधित जिलों का फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद ऐसी नियुक्तियां रोकने के निर्देश भेजे गए। वहीं अफसरों ने डीएड-बीएड की योग्यता नहीं रखने वाले 450 आश्रितों को अनुकंपा की ऐवज में 4 लाख रुपए देने का प्रस्ताव तैयार किया, जिस पर सरकार को निर्णय लेना है। हालांकि आश्रित इसके लिए तैयार नहीं हैं। जिसे देखते हुए सरकार इन्हें योग्यता के अनुसार अन्य पदों पर नियुक्त करने पर भी विचार कर रही है।

न्यायालय जाने की चेतावनी
आश्रित सरकार पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने अनुकंपा को लेकर जल्द निर्णय न होने पर न्यायालय जाने की चेतावनी दी है। मप्र आजाद अध्यापक संघ के अध्यक्ष भरत पटेल और भोपाल संभाग अध्यक्ष ऋतुराज तिवारी ने बताया कि इस संबंध में हाल ही में स्कूल शिक्षामंत्री विजय शाह से बात हो चुकी है। उन्होंने मामले का निराकरण जल्द कराने का भरोसा दिलाया है। इसलिए अभी आश्रितों को न्यायालय जाने से रोक दिया है।
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