मंथन न्यूज़ जबलपुर। सुरक्षा संस्थान ओएफके में शनिवार शाम को हुए धमाके और आग लगने की वजह एफ-3 सेक्शन की बिल्डिंग नं.845 में रखे 22 साल पुराने बमों का हीट (गर्म) होकर फट जाना है। सिर्फ एक सेक्शन क्षतिग्रस्त हुआ है। इसमें भी ओएफके प्रबंधन की लापरवाही सामने आई है क्योंकि इन बमों में क्वालिटी डिफेक्ट पाए जाने के बाद सेना ने इन बमों को रिजेक्ट कर दिया था। इसके बावजूद ओएफके प्रबंधन ने इन एक लाख बमों के स्टॉक को नष्ट नहीं किया। रविवार को बमों से भरी 7 डिब्बों की मालगाड़ी सुरक्षित स्थान के लिए भेजी गई। पुणे से विशेषज्ञों की चार सदस्यीय टीम जबलपुर पहुंची है।
20 से 50 मीटर के दायरे में फैले बमों के खोल
रविवार को फैक्टरी में अवकाश रहा। निर्माणी की क्षतिग्रस्त बिल्डिंग के आस-पास 20 से 50 मीटर के दायरे में बम फटने के बाद उसके हिस्से फैले हुए हैं। इनके बीच कुछ बम ऐसे भी हैं, जो कि फट ही नहीं पाए। इनमें भी विस्फोट की आशंका है इसलिए रात को ही घटनास्थल को पूरी तरह सील कर दिया गया। रविवार की सुबह सीक्यूए (एमई) के अधिकारी डॉ. उपाध्याय और फैक्टरी इंस्पेक्टर भी घटनास्थल देखने पहुंचे।
सुबह 6 बजे जीएम अपने अधीनस्थ अफसरों के दुर्घटनास्थल पहुंचे तो वहां आसपास झाड़ियों में लगी आग धीरे धीरे बिल्डिंग नं. 324 की ओर बढ़ रही थी। तुरंत निर्माणी की फायर ब्रिगेड को अलर्ट किया गया और दमकल कर्मियों ने आग को बुझा दिया। आग बढ़ती तो एक बार फिर धमाके होने के आसार बन जाते।
6 कर्मचारियों की मौत के बाद आर्मी ने रिजेक्ट किए थे बम
लोडिंग के समय 6 कर्मचारियों की मौत के बाद 106एमएम आरसीएल (एंटी टैंक) बमों का यह जखीरा आर्मी ने वर्ष-1995 में रिजेक्ट कर दिया था। सूत्र बताते हैं कि निर्माणी के एफ-3 सेक्शन में रखे इन बमों को हटाने और डिस्ट्रॉय करने के लिए श्रमिक नेताओं ने कई बार आवाज उठाई, लेकिन किसी ने नहीं सुना।
एफ-3 सेक्शन की बिल्डिंग नं. 324, 323 और वहां गोला बारूद का स्टॉक सुरक्षित है। बिल्डिंग नंबर 845 में रखे पुराने बमों के स्टॉक में विस्फोट हुए हैं। स्टॉक की जानकारी रिकार्ड देखने के बाद ही पता चलेगी। नुकसान का आकलन भी जांच के बाद ही हो सकेगा। एके अग्रवाल, वरिष्ठ महाप्रबंधक, आयुध निर्माणी, खमरिया (जबलपुर)
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