पूनम पुरोहित मंथन न्यूज़ –पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने शनिवार को कहा कि विधानसभा चुनावों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘सबसे प्रभावशाली राजनीतिक शख्सियत’ बनकर उभरे हैं। हालांकि, उन्होंने इस बात को मानने से इन्कार कर दिया कि ये चुनाव परिणाम नोटबंदी पर जनमत संग्रह हैं।
‘इंडियन मर्चेंट चैंबर’ में लोगों को संबोधित करते हुए चिदंबरम ने कहा कि इन परिणामों से उच्च सदन में भाजपा का संख्या बल बढ़ जाएगा। लिहाजा, दोनों सदनों में बहुमत के बल पर सरकार के लिए किसी भी विधेयक को पारित करना संभव हो जाएगा, क्योंकि उनकी राह में किसी भी तरह की राजनीतिक अड़चन नहीं होगी।
इससे राजग सरकार के लिए बाकी बचे कार्यकाल में आर्थिक वृद्धि दर को आठ प्रतिशत तक ले जाने के लिए कड़े सुधार करना भी संभव हो पाएगा। उन्होंने कहा कि सात प्रतिशत की वर्तमान दर में नए रोजगार सृजन में मदद नहीं मिल पा रही है।
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि इसके लिए राजनीतिक स्थितियां अनुकूल हैं, लेकिन पता नहीं कि इसे संभव बनाने के लिए उन्होंने दूसरी अन्य चीजों की पहचान की है या नहीं। उन्होंने कहा कि वास्तविक सुधारों के लिए बाजार में सरकार का अनावश्यक हस्तक्षेप रोकना होगा, नौकरशाही का पुनर्गठन करना होगा और नैतिक व न्यायसंगत समाज का निर्माण करना होगा।
चिदंबरम ने दावा किया कि बहुमत नहीं होने के बावजूद संप्रग शासनकाल में 1991-96 और 2004-2014 के दौरान कई सुधारों को शुरू किया गया था। नोटबंदी के शुरू से आलोचक रहे पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा की जीत को स्वीकार करने से बचने के लिए नोटबंदी को इसका श्रेय देना सबसे आसान निष्कर्ष होगा।
उन्होंने कहा कि चुनावों के दौरान कई अन्य कारकों ने भी भूमिका निभाई। उन्होंने उन चर्चाओं को भी खारिज कर दिया कि सभी जातिगत समीकरण ध्वस्त हो गए हैं। चिदंबरम ने कहा कि 1971, 1980 और 1984 में भी एक नेता के नाम पर जनादेश मिला था और उस समय भी ऐसी ही बातें हुईं थीं।
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