मंथन न्यूज शिवपुरी अखिल भारतीय साहित्य परिषद शिवपुरी द्वारा आयोजित स्वर्गीय रामचरण लाल जी की पुण्यतिथी पर आयोजित काव्य गोष्ठी हरी उपमन्यु गुरूजी के निवास पर , कवियों की एक से बढ़कर एक रचना के साथ संपन्न हुई।
गोष्ठी की अध्यक्षता नव गीतों के रचनाकार वरिष्ठ साहित्यकर्मी हरिश्चंद्र जी भार्गव ने की जबकि मुख्य रूप से मंचासीन हरी उपमन्यु जी व अरुण जी अपेक्षित व आकाशवाणी केंद्र के राकेश सिंह रहे।
सर्वप्रथम ज्ञान की देवी माँ शारदे के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर गोष्ठी को आरम्भ किया गया।
हरी उपमन्यु जी व हरिश्चंद्र जी भार्गव के द्वारा स्वर्गीय रामचरण लाल जी दंडोतिया के जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला गया।
उन्होंने बताया कि साइकल पर सवार होकर कही जाते वक्त भी उपन्यास पढ़ते रहने बाले दंडोतिया अच्छे कवि, नाटककार थे उनका उपनाम पवन था, वरिष्ठ फ़िल्मी गीतकार ओपी नैयर उनके बचपन के मित्र थे !
उनकी मित्रता प्रगाढ़ थी, भक्त सूरदास का अभिनय बो बहुत बढ़िया करते थे !
भक्त पूरनमल का नाटक मंचन भी दशहरा,दीपावली पर प्रतिवर्ष करते थे !
हिंदी और उर्दू पर उनका समान अधिकार था उनकी विधा से सभी परिचित थे !
उनके जाने से शिवपुरी के साहित्य जगत को काफी समय उबरने में लगा।
इसके बाद सबसे पहले काव्य गोष्ठी में शिवम यादव टोडा ने सदा ही इच्छा रखना भैया गुरुओं के सम्मान की वर्ना समझो बर्बादी है हिंदुस्तान की!आशुतोष चौहान ने माँ की महिमा के साथ पैदा फिर से तुम राम करो!
अमित दुबे ने बिखरे हुए सपनो को सजाना भी आ गया टूटे हुए महलों को बनाना भी आ गया!
विकास शुक्ल प्रचंड ने गौरवशाली अतीत अपना मैं गाता रहूं तराना, भारत की माटी का कण कण वीरता का है दिवाना !
,प्रदीप अवस्थी सुकून ने व्यर्थ अपनी गंवाते हो क्यों जिंदगी काम कुछ तो करो सदी के लिए!
संजय शाक्य ने जीवन जिसका नाम है,सुख दुख दो पतवारे है!
नवीन पाराशर ने सुंदर गजल वआशुतोष शर्मा ने आओ मिलकर एक बार हम ऐसा कुछ करते है , हम मिलकर भारत को गढ़ते है ,का कविता पाठ किया।
इसके बाद वरिष्ठ कवि आकाशवाणी केंद्र के राकेश जी ने अपने गीतों के साथ रंगों में महारंग है दुनिया का काला रंग की जोरदारी के साथ कलम तू बोल जरा सुना तालियां बटोरी।
इसके बाद अरुण जी अपेक्षित ने सदा रहे लेखक निर्देशक अभिनेता कभी रहे,भारी भीड़ का हिस्सा बनकर दर्शक नहीं रहे , को जबरदस्त अंदाज में सुनाया!नव गीतों के रचयिता हरिश्चंद्र जी भार्गव ने चंदा से चमक उठा संध्या का भाल,जंगल से बस्ती को चरवाहे लौट पढ़े सुनाया व् अंत में हरी उपमन्यु जी ने रामभक्ति रस रागी रामचरण गए रामचरण छूने सुना स्वर्गीय रामचरण लाल जी को भाव पूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।
संचालन आशुतोष शर्मा व आभार प्रदर्शन नवीन पाराशर ने किया।
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