मंथन न्यूज़ भोपाल –नई दिल्ली से हबीबगंज तक चलने वाली 12002 शताब्दी एक्सप्रेस के पहियों में लगी सेकेंडरी सस्पेंशन स्प्रिंग डेढ़ महीने में पांच बार टूट गई। इसी कारण इसके लॉट में गड़बड़ी होने की आशंका है। इस पर रेलवे बोर्ड ने रेल डिजाइन एंड स्टैंडर्ड आर्गनाइजेशन (आरडीएसओ) को जांच सौंप दी है।
जांच में गड़बड़ी मिली तो शताब्दी के सभी पहियों में लगी स्प्रिंग बदली जाएगी। भोपाल रेल मंडल के परिचालन विभाग के एक अधिकारी ने बताया शताब्दी के पहियों में लगी स्प्रिंग के लॉट पर ही सवाल उठ रहे हैं। इसको लेकर नार्दन रेलवे (एनआर) के अधिकारी भी परेशान है।
17, 19, 26 दिसंबर और 2 जनवरी को जब चार अलग-अलग कोच की स्प्रिंग टूटी तो नार्दन रेलवे के अधिकारियों ने बोर्ड को भेजी रिपोर्ट में आशंका जताई थी कि ठंड की वजह से स्प्रिंग टूटी होगी, लेकिन 2 फरवरी को पांचवी बार बीना के पास स्प्रिंग टूटी तो अधिकारियों की उस रिपोर्ट पर ही सवाल उठने लगे। कारण था, ठंड कम होना। एक ही इस संबंध में भोपाल मंडल के अधिकारियों का कहना है गाड़ी नार्दन रेलवे की है, इसलिए स्प्रिंग टूटने की रिपोर्ट और सैम्पल दिल्ली भेजे गए। जांच आरडीएसओ और दूसरे लैबों में कराई जा रही है।
सभी स्टेशनों को सतर्कता का मैसेज
इधर नादर्न रेलवे (एनआर) के अधिकारियों ने नई दिल्ली से हबीबगंज के बीच सभी स्टेशनों को सतर्क रहने का मैसेज दिया है। ताकि संबंधित स्टेशनों के रोलिंग इन और रोलिंग आउट के दौरान ट्रेन के पहियों की गंभीरता से जांच की जा सके। उसके बाद से सभी स्टेशनों पर ट्रेन के पहियों की गंभीरता से जांच की जा रही है। हबीबगंज कोचिंग डिपो में भी कैरिज एंड वैगन डिपार्टमेंट के इंजीनियर ट्रेन के मेनटेंनेंस को लेकर सतर्क हैं।
हो सकते हैं गंभीर हादसे
पहिये की स्प्रिंग टूटने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। रेल विशेषज्ञों का मानना है कि पहिये की स्प्रिंट टूटना ही गंभीर मामला है। इसका असर दूसरे पार्ट्स पर पड़ता है। यदि स्प्रिंग टूटने के बाद लंबे समय तक ट्रेन पटरी पर दौड़ती रही तो मुख्य स्प्रिंग पर भी इसका असर पड़ सकता है। यदि यह स्प्रिंग टूटी तो डि-रेलमेंट की घटना से इनकार नहीं किया जा सकता।
दिसंबर में 3 और जनवरी में 2 बार टूटी स्प्रिंग
पिछले डेढ़ महीने में शताब्दी एक्सप्रेस के पांच कोचों के पहियों की सेकेंडरी सस्पेंशन स्प्रिंग टूट चुकी है। सभी कोचों को काटना पड़ा है उसके बाद ट्रेन को चलाया गया। सबसे पहले 17 दिसंबर को कोच सी-12 की स्प्रिंग टूटी। इस कोच को काटा गया। ट्रेनें आगे चलाई गई। दो दिन बाद 19 दिसंबर को फिर कोच सी-7 की स्प्रिंग टूट गई। एक सप्ताह बाद 26 दिसंबर को भोपाल पहुंचने से पहले तीसरी बार स्प्रिंग टूटी। ऐसी ही घटना 2 जनवरी और 2 फरवरी को भी हो चुकी है।
पूनम पुरोहित
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