मंथन न्यूज़ कटनी –एसके मिनरल्स के बोगस खातों के जरिए 500 करोड़ रुपए के हवाला कारोबार का खुलासा करने वाले कटनी के तात्कालिक एसपी गौरव तिवारी की ख्याति शहर-प्रदेश और देश की सीमाएं लांघकर एफिल टॉवर तक पहुंच गई है। सरकार ने उनका तबादला किया तो कटनी की जनता ने जनआंदोलन छेड़ दिया। लगभग 3 लाख की आबादी वाले इस शहर के सीमित संसाधन और सरकारी ढर्रे के बीच 6 महीने 4 दिन में ऐसा क्या हो गया शहर एक पुलिसवाले के लिए सरकार से लड़ पड़ा।


यह जानने के लिए नईदुनिया ने घर, दुकान, ऑटो स्टैंड, मंदिर, सब्जी बाजार, दफ्तरों, होटल-ढाबों, राजनीतिक अड्डों पर लोगों से चर्चा की तो पाया कि 80 फीसदी जनता यहां आसानी से मिल रहे स्मैक और शराब जैसे नशे का कारोबार करने वाले छोटे-बड़े माफियाओं पर अंकुश लगाने से खुश थी, क्योंकि तेजी से नशे की गिरफ्त में जा रही युवा पीढ़ी को रोकने का उपाय माता-पिता ढूंढ नहीं पा रहे थे। नशे पर काबू पाते ही छेड़छाड़ कम हो गई, महिलाएं और घर परिवार वाले खुश। थोड़ा सा ट्रैफिक सुधारा, स्टेशन या बस स्टैंड पर उतरते ही जिनसे जनता का पहला सामना होता है उन ऑटोवालों को थोड़ी सी समझाइश दी और जनता के कॉल पर खुद ही मौके पर पहुंच गए। बस इतना ही है गौरव तिवारी के लोकप्रिय होने का कारण…पर इतने से ही शहर में एक बड़ा सोश्यो इकनॉमिक बदलाव आ गया।
स्मैक के लिए बच्चे घरों में चोरी करने लगे थे 
शहर के पहले महापौर रहे वीजेंद्र मिश्रा कहते हैं कटनी में 30-35 फीसदी मध्यमवर्गीय और 40 फीसदी गरीब-अति गरीब हैं। 60 फीसदी युवा पीढ़ी स्मैक की गिरफ्त में जा रही थी। आलम यह था नशे के लिए पैसा न देने पर एक अच्छे परिवार का लड़का ट्रांसफर्मर से चिपक गया। शराब माफियाओं पर कार्रवाई हुई, जगह-जगह छापे पड़े, सिंडीकेट टूटा तो नशे की सप्लाय बंद हो गई। नशा मिलना पूरी तरह बंद हो गया यह नहीं कहूंगा पर अंकुश भर से हर वर्ग के माता-पिता खुश हो गए।
एसपी के लिए सबसे पहले आगे गाए ऑटोवाले 
सुनकर ताज्जुब हो सकता है लेकिन कटनी में इस जनआंदोलन की शुरुआत ऑटोवालों ने की। ये वहीं ऑटोवाले थे, जो कुछ समय पहले तक चालान बनने से सबसे ज्यादा विरोध में थे। ऑटो संचालक एसोसिएशन के अध्यक्ष बच्चन तिवारी कहते हैं ऑटो चालक बड़ी संख्या में स्मैक के नशे की गिरफ्त में थे। एक-एक चालक 300-400 रुपए का नशा कर जाता था। नशा मिलना बंद हुआ तो घर पैसा जाने लगा। ऑटोचालक इंद्रपाल कहते हैं शहर में चलने वाले हर टैक्सी का रिकार्ड हो इसके लिए उन्होंने यूनियन नंबर डलवाने का काम शुरू किया। यह काम पुलिस या सरकारी एजेंसी की मदद से करवाने के बजाय हम लोगों को ही सौंप दिया।
शराबबंदी में धंधा आधा हो गया पर शांति रास आई 
कटनी हाईवे में 38 साल पुराने मथुरा ढाबे पर अब शराब नहीं मिलती। धंधा आधा हो चुका है। बिना हिचकते हुए ढाबा संचालक माधव सचदेवा कहते हैं दो साल पहले तक मेरे भाई चलाते थे और शराब मिलती थी। पुस्तैनी कामकाज था, तो मैंने भी चलने दिया। सब जगह कार्रवाई होने लगी तो बंद करना पड़ा। पर शराब पीकर हंगामा या अपराध होने का डर खत्म हो गया। लोग परिवार के साथ आने लगे। कमाई कम हो गई पर शांति रही। कुछ समय बाद शायद फिर शुरू हो जाए पर मैं शुरू नहीं करना चाहता।
गाड़ियों की रेलिंग बनाकर सुधारा ट्रैफिक
हर शहर की तरह कटनी में भी ट्रैफिक बड़ी समस्या थी। व्यापारियों की बैठक हुई। सामूहिक सहमति बनी और सड़क के बीच से रेलिंग हटाकर गाड़ियों की पार्किंग करवा दी। मेन रोड व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय गुप्ता कहते हैं छोटी सी पहल थी लेकिन सबको सुकून मिला। सड़कों के दोनों ओर बैठने वाले सब्जीवालों को हटाने वाले थे लेकिन उनसे कहा कि यह कार्रवाई तभी होगी जब निगम उन्हें जगह देगी। वे भी तैयार हो गए।
पूनम पुरोहित
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