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सीहोर डिवीजन बने बाघों के ब्रीडिंग सेंटर, सिटी के पास आने से रोकना नामुमकिन


मंथन न्यूज़ भोपाल-.भोपाल और सीहाेर डिवीजन बाघों का ब्रीडिंग सेंटर बन गया है। उनके लिए यहां गुफाएं, छिपने के लिए पर्याप्त झाड़ियां और भरपूर भाेजन उपलब्ध है। इस वजह से बाघों को शहर के नजदीक आने से रोक पाना नामुमकिन है। बेहतर मॉनीटरिंग से ही इंसान और बाघों के बीच होने वाले संघर्ष को रोका जा सकता है। यह बात एमपी नगर स्थित वाइल्ड लाइफ मुख्यालय में हुई बैठक में वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञों ने कहीं।
– उनका कहना है कि जब तक वन विभाग बाघों के शहर के नजदीक आने का कारण नहीं ढूंढ़ेंगे तब तक किसी भी समस्या का हल नहीं निकल पाएगा।Image result for bagho ki photos
– भोपाल वन मंडल के कंजरवेटर एसपी तिवारी ने बताया कि बैठक में वरिष्ठ अधिकारियों ने इंसान और बाघों के बीच संघर्ष रोकने के लिए टाइगर मैनेजमेंट प्लान तैयार किया है।
– बैठक में एनवीडीए के पूर्व पीसीसीएफ सुहास कुमार, पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ जितेंद्र अग्रवाल, एपीसीसीएफ आरपी सिंह कान्हा, पेंच और पन्ना नेशनल पार्क के अधिकारी सहित 14 अधिकारी मौजूद थे।
यह पहाड़ी इलाका है हाथियों से हो मॉनीटरिंग
– पूर्व पीसीसीएफ पीएम लाड़ का कहना है कि बाघों को हूटर बजाकर या पटाखे फोड़कर नहीं भगाया जा सकता है।
– चूंकि कलियासोत और केरवा का पूरा इलाका पहाड़ी है इसलिए बाघों पर हाथियों के माध्यम से ही नजर रखी जा सकती है। भोपाल में हाथियों को स्थाई रूप से रखा जाना चाहिए।
– जब तक बाघों के शहर के नजदीक आने का कारण नहीं ढूंढ़ेंगे तब तक किसी भी समस्या का हल नहीं निकल पाएगा।
ई-सर्विलांस टॉवर व दो कैमरे और लगाने का सुझाव, बैठक में सामने आए ये तीन उपाय
1. तत्कालीन
– बाघ मूवमेंट इलाके में मौजूद संस्थानों के आसपास 12 फुट ऊंची चैनलिंक फैंसिंग की जाए। – पेट्रोलिंग वाहनों पर जीपीएस सिस्टम लगाया जाए। – पन्ना नेशनल पार्क के पूर्व डायरेक्टर सीसीएफ आर श्रीनिवास मूर्ति के नेतृत्व में रेस्क्यू टीम गठित हो।
2. मध्यावधि
– जंगल में ग्रासलैंड तैयार करने के लिए बॉटनी के प्रोफेसर की मदद ली जाए।
– पानी की व्यवस्था व चौकियां बनाई जाए।
– प्रे-वेज की कमी को पूरा करने के लिए चीतल, नीलगायों सहित अन्य शाकाहारी वन्यप्राणियों को शिफ्ट करें।
3. दीर्घकालीन
– भोपाल-सीहोर डिवीजन में आने वाले ग्रामों के रहवासियों को जागरूक करके स्वेच्छा से उन्हें विस्थापित कर पुनर्वास करना।
– दोनों डिवीजन में मैदानी इलाकों में प्लांटेशन करके उन पर वन तैयार करना आदि शामिल है।

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