लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री रूस्तम सिंह ने ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के फार्मास्युटिकल सत्र में दवा निर्माता कम्पनियों से हृदय, लीवर, केन्सर आदि रोगों की जीवनरक्षक दवाएँ देश, विशेष रूप से मध्यप्रदेश में ही बनाने की अपील की। श्री सिंह ने कहा कि इससे अमेरिका आदि देशों से आने वाली दवाओं में लगने वाला समय बचेगा। लागत लगभग आधी हो जायेगी और समय पर दवा मिलने से कितने ही मरीजों के प्राण बच सकेंगे।
सत्र में खाद्य एवं औषधि विभाग द्वारा निर्मित ‘सृजन’ वेबसाइट का भी शुभारंभ किया गया। इससे दवा निर्माताओं को लायसेंस जारी करने सहित सारे काम आसानी से एक ही जगह करने की सुविधा मिलेगी। मध्यप्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य बन गया है, जिसने यह ऑनलाइन सुविधा शुरू की है।
मध्यप्रदेश में हर वर्ष 10 हजार करोड़ रूपये का दवा व्यापार होता है, एक लाख लोगों को रोजगार मिल रहा है और 1.5 बिलियन की दवाएँ निर्यात की जाती हैं। यहाँ 280 से अधिक दवा बनाने की इकाइयाँ हैं। वायु, सड़क और रेल मार्ग से बेहतर जुड़ाव के कारण मध्यप्रदेश में दवा निर्माता कम्पनियाँ स्थापित करने की इच्छा रखती हैं। इंदौर दवा निर्माण में न केवल एशिया में अग्रणी है, बल्कि इंदौर का दवा बाजार देश का सबसे बड़ा ट्रेड हाउस है। इंदौर के विमानतल को उद्योग जगत की सुविधा के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बनाया जा रहा है। प्रदेश में फार्मेसी कॉलेज की संख्या वर्ष 2003 के 20 के मुकाबले 2014 में बढ़कर 111 हो चुकी है। इसी तरह छात्र संख्या भी 1150 से बढ़कर 8340 हो गई है।
भोपाल में खुलेगा एनआईपीईआर
केन्द्र सरकार ने भोपाल में नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एण्ड रिसर्च खोलने की स्वीकृति प्रदान की है। संस्थान से दवा कम्पनियों को उच्च गुणवत्ता का मानव संसाधन मिलेगा।
कौशल विकास और म.प्र. स्मॉल स्केल ड्रग मेन्यूफेक्चरर्स के बीच हुआ एमओयू
प्रदेश में नई टेक्नोलॉजी लाने एवं छात्रों को इंडस्ट्रीज की आवश्यकतानुसार तैयार करने तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग तथा म.प्र. स्माल स्केल ड्रग मैन्यूफेक्चरर्स ड्रग्स एसोसिएशन के बीच एक एमओयू भी हुआ। तकनीकी शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार) राज्य मंत्री श्री दीपक जोशी ने बताया कि इससे छात्रों को विभिन्न क्षेत्रों की अतिरिक्त तकनीकी जानकारी उपलब्ध हो सकेगी। इसमें छात्रों को फिटर, इलेक्ट्रीशियन, इन्सट्रूमेंट टर्नर, फोर व्हीलर मोटर मेकेनिक, मशीन आपरेटर, यूटिलिटी आपरेटर, लेब असिस्टेंट, बॉयलर आपरेटर, कारपेंटर आदि का प्रशिक्षण दिया जायेगा। श्री जोशी ने कहा कि विशेषज्ञों के सान्निध्य में तकनीकी शिक्षा मिलने से प्रशिक्षणार्थी के लिये बेहतर रोजगार के द्वार खुलेंगें। सत्र को चिकित्सा शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार) राज्य मंत्री श्री शरद जैन ने भी संबोधित किया।
सत्र में मुख्य सचिव श्री अंटोनी डिसा, अपर मुख्य सचिव श्री प्रभांशु कमल, प्रमुख सचिव स्वास्थ्य श्रीमती गौरी सिंह, प्रमुख सचिव उच्च एवं तकनीकी शिक्षा श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव, भारत सरकार के संयुक्त दवा नियंत्रक डॉ. वी.जी. सोमानी, स्वास्थ्य आयुक्त एवं खाद्य एवं औषधि प्रशासक डॉ. पल्लवी जैन गोविल, सन फार्मास्युटिकल्स इंडस्ट्रीज के संस्थापक डॉ. दिलीप संघवी, देश-प्रदेश और विदेश के दवा निर्माता उपस्थित थे।