पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक को तैयार 700 लोगों का दस्ता,इस्लामाबाद तक हड़कंप
ग्वालियर। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के वाहन पर हुए आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे। इस आतंकी हमले को लेकर दुनिया भर के देश पाकिस्तान की आलोचना कर रहे हैं। वहीं भारत के लोगों में भी भारी आक्रोश है। इस हमले को लेकर एक बार फिर से पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक को 700 लोगों का दस्ता तैयार है। जिसको लेकर इस्लामाबाद तक हडक़ंप मच गया है। चंबल के शेर कहे जाने वाले दस्यु सरगना मलखान सिंह ने पुलवामा आतंकी हमले से आहत होकर पाकिस्तान को ललकारा है।
डाकू मलखान ने कहा है कि मध्यप्रदेश में 700 बागी बचे हैं।अगर सरकार चाहे तो बिना शर्त,बिना वेतन हम बॉर्डर पर देश के लिए मर मिटने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि 15 साल बीहड़ों में हमने कथा नहीं बांची है। मां भवानी की कृपा रही, तो मलखान सिंह का कुछ नहीं बिगड़ेगा। हां, पाकिस्तान को जरूर धूल चटा दूंगा। गांव व जिले का बागी रहा हूं पर देश का नहीं। डाकू मलखान सिंह पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए मंगलवार को कानपुर आए हुए थे। जहां उन्होंने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा,जब वादे पूरे नहीं करोगे तो हारोगे ही।
मप्र में हार गए। मलखान सिंह ने कहा,अगर लोकसभा चुनाव में टिकट मिलती है,तो जरूर लड़ूंगा। साथ ही कहा, चुनाव होंगे और होते रहेंगे लेकिन पुलवामा में हुए आतंकी हमले का बदला जरूर लेना चाहिए। अगर कश्मीर पर फैसला नहीं लिया गया तो कोई भी राजनीती पर विश्वास नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में घुस कर उसकी धज्जिया उड़ाने का वक्त आ गया है। एक या दो आतंकियों को मारने में हमारे देश 5 जांबाज शहीद हो गए।
जनता की समस्याओं को हल करना ही राजनीति
मलखान सिंह ने कहा,मैंने 1982 में आत्मसमर्पण किया था। तब अर्जुन सिंह मप्र के मुख्यमंत्री थे। यह आत्मसमर्पण इंदिरा गांधी की परमीशन पर हुआ था। मैंने मंच से ऐलान किया था कि यदि कोई महिला शिनाख्त कर दे कि मलखान सिंह ने चांदी की भी अंगूठी उतारी हो तो इसी मंच के सामने फांसी पर लटका दिया जाए। हम अन्याय के खिलाफ राजनीति करेंगे। हम राजनीती पेट भरने के लिए नहीं करेंगे। पहली प्राथमिकता विकास है, जनता की समस्याओं को हल करना।
देश के बागी नहीं हैं हम
मलखान ने कहा कि, बीहड़ में मेरा इतिहास बहुत ही साफ सुथरा रहा है। महात्मा बहुत सच्चे होते हैं, लेकिन बागियों का इतिहास ठोस रहा है, इतना तो साधु संतो का भी नहीं रहा है। साधू तो घेरे में आ चुके हैं। जेल में पड़े हैं। कुकर्म में पड़े हुए हैं। लेकिन बागियों के विषय में कोई बता दे? हम गांव और जिले के बागी रहे पर देश के बागी कभी नहीं हुए