कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक नहीं, बल्कि सैंकड़ों बार यह कहा है कि राफेल लड़ाकू जहाज सौदा एक बड़ा घोटाला है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘चौकीदार चोर है’ कहना शुरू कर दिया। राफेल को लेकर आए दिन कुछ न कुछ चिट्ठी-पत्री मीडिया में डालते रहते हैं। इन सबके बीच एक सवाल खड़ा हो रहा है कि सबूत हैं तो राहुल गांधी ‘राफेल मामले’ को अदालत ले जाने से क्यों डरते हैं। सवाल करो तो कहते हैं कि जब हमारी सरकार आएगी तो इस रक्षा सौदे की जांच होगी। अगर यह पूछो कि भाजपा सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बताकर खुद को पाक-साफ बता रही है तो राहुल जवाब देते हैं कि सरकार ने कोर्ट को गुमराह किया है।
अभी तक राहुल गांधी ने ‘राफेल’ पर क्या कुछ कहा है… जानिये
बात शुरू करते हैं कि मंगलवार की ताजा प्रेसवार्ता से। राहुल गांधी ने एक ईमेल का प्रिंट अपने हाथ में लिया और जोशीले अंदाज में कहा, राफेल डील में वे (मोदी) अनिल अंबानी के मिडिल मैन की तरह काम कर रहे थे। इसी दौरान जब उनसे राफेल डील पर कैग की रिपोर्ट के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कैग को भी ‘चौकीदार ऑडिटर जनरल’ कह डाला। राहुल बोले, मौजूदा कैग राजीव महर्षि से सही रिपोर्ट की उम्मीद नहीं की जा सकती, क्योंकि वे इस रक्षा सौदे का हिस्सा रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष यहीं पर नहीं रुके। वे बोले, कैग की रिपोर्ट नरेंद्र मोदी की रिपोर्ट है। ‘रिपोर्ट चौकीदार के द्वारा और चौकीदार के लिए लिखी गई है’। राफेल मामले में बहुत सारे साक्ष्य सामने आए हैं। मौजूदा कैग खुद इस रक्षा सौदे से जुड़े फैसले में शामिल रहे हैं, ऐसे में वह सही रिपोर्ट नहीं दे सकते।
एचएएल, डिफेंस मिनिस्टर और विदेश सचिव को भी डील की अंतिम प्रक्रिया का नहीं पता था, मगर अनिल अंबानी को डील से 10 दिन पहले सब कुछ पता चल गया। इससे पहले भी राहुल गांधी ने राफेल मामले को घोटाला साबित करने के लिए दर्जनों सबूत मीडिया के सामने रखे हैं। कांग्रेस पार्टी के दूसरे नेता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, मनीष तिवारी, पी.चिदंबरम, आनंद शर्मा और रणदीप सुरजेवाला आदि राफेल मामले पर कई खुलासे कर चुके हैं।
इन सबूतों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में क्यों नहीं जाती कांग्रेस पार्टी…
इस पर राहुल कहते हैं कि सरकार ने कोर्ट में गलत जानकारी दे दी। सीएजी खुद सवालों के घेरे में है। कांग्रेस अध्यक्ष कोर्ट के सवाल पर फिर कहते हैं कि हम इस मुद्दे को जनता की अदालत में ले जाएंगे। हमारी सरकार जब आएगी तो इसकी जांच होगी। इससे पहले जब तक सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कोई फैसला नहीं दिया था तो कांग्रेसी नेता बोलते थे कि हम अदालत क्यों जाएं। यह मामला तो पहले से ही कोर्ट में चल रहा है। जब सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आया कि हम इस केस की जांच नहीं कर सकते तो भाजपा इसे कथित तौर पर अपने पक्ष में बताने लगी।
खुद पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने इसे न्याय की जीत बता दिया। भाजपा ने अपने केंद्रीय मंत्रियों और पार्टी के बड़े नेताओं से देशभर में करीब सत्तर जगहों पर प्रेसवार्ता करा दी। इसके बाद कांग्रेसी नेताओं से पूछा गया कि अब तो उनके पास इतने सबूत आ गए हैं तो वे सुप्रीम कोर्ट को सच बताएं। कांग्रेस पार्टी फिर से वही जवाब देती कि जनता की अदालत बड़ी है, हम इसे वहीं ले जाएंगे।
तो यह डर है राहुल गांधी को, इसलिए वे नहीं जाते सुप्रीम कोर्ट…
वे हवा में कई बातें कह जाते हैं। जैसे मंगलवार को उन्होंने एक ईमेल दिखाकर कहा, यह राफेल डील से जुड़ा हुआ सबूत है। राहुल बोलने लगे, अब साफ हो गया है कि राफेल सौदे में घोटाला हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी अनिल अंबानी के मिडिल मैन की तरह काम कर रहे थे। थोडी देर बाद रिलायंस डिफेंस ने उस कथित ईमेल का खंडन कर दिया, जिसे लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने फ्रांस के साथ राफेल डील को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला था। रिलायंस डिफेंस के प्रवक्ता ने कहा, वह ईमेल एयरबस और रिलायंस डिफेंस के बीच सहयोग को लेकर था।
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, ‘एयरबस खुद ईमेल मामलों में शक के घेरे में है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, राजीव तलवार के अकाउंट में एयरबस ने सौ करोड़ ट्रांसफर किया है। राहुल उस कंपनी का ईमेल लेकर राहुल घूम रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल उस विदेशी कंपनी के लॉबिस्ट के तौर पर काम कर रहे हैं जो कंपनी भ्रष्टाचार में शक के दायरे में है। ‘राहुल गांधी की प्रेसवार्ता बेशर्मी और गैरजिम्मेदारी की पराकाष्ठा है। झूठ की मशीन से और कुछ उम्मीद नहीं।
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, ओपन फोरम में राफेल पर बहुत बयानबाजी हो चुकी है। अगर कांग्रेस पार्टी को लगता है कि उनके पास कोई पुख्ता दस्तावेज है तो वे सुप्रीम कोर्ट को बताएं। सच तो यह है कि कांग्रेस पार्टी और उनके अध्यक्ष राहुल गांधी अब इस खुद ही राफेल के झूठ पर फंसते जा रहे हैं। बहुत जल्द उन्हें जनता के सामने अपना झूठ स्वीकार करना होगा। कच्चे दस्तावेजों पर कभी अदालत में नहीं जाया जा सकता।