Budget 2019 में मोदी सरकार ने किसानों को लेकर बड़ी घोषणा की है. किसानों के मुद्दे पर मोदी सरकार लगातार दबाव में थी. ऐसे में सरकार ने किसानों की नाराजगी दूर करने और उन्हें आर्थिक संकट से बाहर निकालने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. किसानों को 6 हजार रुपये प्रति वर्ष की दर से मदद करने का ऐलान किया है.केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को अंतरिम बजट 2019 पेश करते हुए किसानों को बड़ा तोहफा दिया है. सरकार ने चुनावी साल के चलते इस अंतरिम बजट में किसानों के लिए बड़ा ऐलान किया है. सरकार ने किसानों को सीधे तौर पर आर्थिक मदद देने का फैसला करते हुए इनकम सपोर्ट प्रोग्राम का ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि जिन किसानों के पास दो हेक्टयर जमीन हैं उन्हें हर साल 6 हजार रुपए दिया जाएगा.पीयूष गोयल ने कहा कि ये ‘पीएम किसान सम्मान निधि’ योजना शुरू की है. इसके तहत कमजोर और छोटे किसान को हर साल  6 हजार  रुपए दिए जाएंगे ताकि किसानों की आमदनी बढ़ सके. ये  तीन किस्त 2 हजार -2 हजार रुपये मिलेंगे.ये पैसे सीधे किसानों के खाते में जाएंगे. इसकी 100 फीसदी सरकार फंडिंग करेगी.पीयूष गोयल ने कहा कि ये स्कीम एक दिसंबर 2018 से लागू होगी. इससे देश के 12 करोड़ किसान परिवारों को इसका लाभ मिलेगा.  तीन किस्तों में किसानों को मिलेगा योजना का लाभ मिलेगा. इससे सरकार पर कुल 75 हजार करोड़ रुपए का खर्च बढ़ेगाकेंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को अंतरिम बजट 2019 पेश करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को मजबूत सरकार दी है. हमने 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य रखा है. उन्होंने कहा कि फसल से आय को दोगुना करते हुए इतिहास में पहली बार सभी 22 फसलों की लागत का कम से कम 50 फीसदी अधिक निर्धारित किया.मोदी सरकार ने गाय के लिए भी बजट में विशेष तवज्जो दी है. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सरकार ने राष्ट्रीय कामधेनु योजना का ऐलान. इसके साथ ही सरकार ने पशुपालन और मत्स्य पालन के लिए कर्ज में 2 प्रतिशत की छूट देने का ऐलान किया है. पीयूष गोयल ने बजट में ऐलान किया कि पशुपालन के लिए किसान क्रेडिट कार्ड से कर्ज मिलेगादरअसल विपक्ष खासकर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी किसानों के मुद्दे पर मोदी सरकार को लगातार घेरते रहे हैं. कर्ज माफी को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाते हुए कांग्रेस ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की है. इस मुद्दे की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हाल के महीनों में दिल्ली ये लेकर यूपी और महाराष्ट्र तक की सरकारें किसान आंदोलन की तपिश झेल चुकी हैं.