Breaking News

म.प्र सरकार संकट मे,कभी भी गिर सकती है कमलनाथ सरकार

बेंगलुरु। मध्‍यप्रदेश में लंबे अंतराल के बाद सत्ता पर काबिज हुई कांग्रेस सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। आलम यह हैं कि मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री कमलनाथ की सरकार कभी गिर सकती हैं। बता दें कुछ समय से मध्य प्रदेश कांग्रेस में भारी घमासान मचा हुआ है। इतना ही नहीं जोड़ तोड़ से बनी सरकार में आए दिन फूट की खबरें आ रही हैं। वहीं 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों की फाइलें दोबारा खोलने के लिए हरी झंडी दे दी है। जिसमें दिल्ली में हुए दंगों में वरिष्ठ कांग्रेस नेता और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ का भी नाम है।
गृह मंत्रालय का यह फैसला अगस्ता वेस्टलैंड मामले के सिलसिले में कमलनाथ के भतीजे रतुल पुरी की गिरफ्तारी के कुछ दिन बाद आया है। इस मामले ने तब भी तूल पकड़ा था जब कांग्रेस द्वारा उन्हें मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में नामित किया गया था। जिस दिन उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी उस दिन मध्यप्रदेश और पंजाब में विरोध प्रदर्शन भी हुए थे। कमलनाथ पर पार्टी के दिल्ली के नेताओं जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार के साथ 1984 में भीड़ को उकसाने का आरोप लगाया गया था ‘उधर, शिरोमणि अकाली दल के सदस्य और दिल्ली के विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने मांग की है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से तुरंत कमलनाथ को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देने के लिए कहें। उन्होंने दो गवाहों के लिए भी सुरक्षा की मांग की जो कमलनाथ के खिलाफ अदालत में गवाही देने के लिए तैयार हैं।
इसके अलावा मध्‍यप्रदेश में अध्‍यक्ष पद को लेकर लगातार खींचतान चल रही हैं। सरकार के सहयोगी दल ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक खुलेआम सामने आ रहे हैं और उन्हें प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपने की मांग कर रहे हैं। इनमें सबसे पहला नाम दतिया जिला कांग्रेस अध्यक्ष अशोक डांगी का है, जिन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर सिंधिया को अध्यक्ष नहीं बनाया गया तो वे इस्तीफा दे देंगे। उनके बाद मोरैना के जिलाध्यक्ष राकेश मवई ने भी पार्टी के सामने ऐसी ही मांग रख दी थी।
डांगी ने कहा है, ‘प्रदेश कांग्रेस के कुछ नेताओं को सिंधिया की लोकप्रियता को पचाना मुश्किल हो गया है और वो उन्हें मध्य प्रदेश से बाहर रखने की साजिशें रच रहे हैं।’ दरअसल, पार्टी अध्यक्ष की रेस में सिंधिया भी हैं, लेकिन वे खुद कुछ कहने की बजाय अपने समर्थकों को आगे कर रहे हैं। उनके समर्थन में समर्थक पोस्टरबाजी भी कर रहे हैं। राजनीतिज्ञ विशेषज्ञ मान रहें है कि कांग्रेस से नाराज सिधिंया कभी भी पार्टी छोड़कर दूसरी बड़ी पार्टी का हाथ थाम लेंगे। जिसके बाद सरकार के सहयोगी सिधिंया के समर्थन में इस्‍तीफा दें देंगें। जिसके बाद सहयोग से बनी मध्‍यप्रदेश की कमलनाथ सरकार गिर जाएगी।
ज्योतिरादित्य सिंधिया की राह में प्रदेश कांग्रेस के एक और बड़े नेता दिग्विजय सिंह भी रोड़ा बताए जा रहे हैं। वे नहीं चाहते कि सिंधिया प्रदेश अध्यक्ष बनें, इससे कमलनाथ का काम आसान हो रहा है। दिग्गविजय और कमलनाथ के बीच का समीकरण विधानसभा चुनावों के वक्त से ही है और सिंधिया खेमा मानता है कि ये दोनों मिलकर ही उन्हें किनारे करना चाहते हैं। सूत्रों के मुताबिक कमलनाथ किसी आदिवासी को पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने की वकालत कर रहे हैं, जिससे सिंधिया का पत्ता खुद ही कट जाएगा आलम ये है कि कांग्रेस पार्टी में गुटबाजी हो रही है जिसके कारण पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को खुद दखल देना पड़ा।

उन्होंने राज्य में नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम को लेकर दोनों के समर्थकों की ओर से जारी हंगामें के मद्देनजर मुख्यमंत्री कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया को फौरन दिल्ली तलब करना पड़ा। सोनिया के अंतरिम अध्यक्ष बनने के बाद कमलनाथ को दूसरी बार 10 जनपथ पर उपस्थित होने को कहा गया है। हाल ही में जब सिंधिया ने विवाद की वजह से पार्टी छोड़ने की धमकी दी थी, तब सोनिया ने कमलनाथ को बुलाकर पार्टी में अनुशासन का मुद्दा उठाया था। तब कमलनाथ ने कहा था, ‘हमनें मध्य प्रदेश की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की। उन्होंने प्रदेश में अनुशासनहीनता के मुद्दे पर चिंता जताई है। मामले को पार्टी के अनुशासन समिति के अध्यक्ष एके एंटनी को सौंप दिया गया है। गौरतलब है कि हाल में सिंधिया कुछ मुद्दों पर पार्टी से पूरी तरह से अलग लाइन भी ले चुके हैं।
गौरतलब है कि मध्‍यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 में 114 सीटें कांग्रेस को मिली वहीं भाजपा को 109 सीटें मिली अन्‍य सीटें अन्‍यनिर्दलीय व छोटे दलों को मिली थी। ऐसे में कांग्रेस को बहुमत के लिए इस निर्दलीय एवं अन्‍प‍ पार्टियों के सहयोग से बनी थी। लेकिन शपथ ग्रहण समारोह वाले दिन भी निर्दलीय विधायकों ने कार्यक्रम से दूरी बना ली थी।पिछले दिनों भी कांग्रेस द्वारा मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज कांग्रेस के विधायक बगावत पर उतर आए थे। वहीं निर्दलीय व छोटी पार्टियों के विधायक भी जिन्‍होंने कांग्रेस को समर्थन दिया था वे भी कांग्रेस द्वारा मंत्री पद नहीं दिए जाने से लगातार नाराज चल रहे हैं मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने से नाराज पूर्व मंत्री ऐदल सिंह कंसाना के समर्थन में सरकार बनने के बाद कांग्रेस पार्टी से पहला इस्तीफा दिया था। सुमावली विधानसभा से ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्‍यक्ष मदन शर्मा ने भी इस्‍तीफा दे दिया था।

Check Also

MP News: कर्मचारियों को 3% डीए में बढ़ोतरी! 4 माह का एरियर भी देने की तैयारी, जल्द हो सकती है घोषणा

🔊 Listen to this मध्यप्रदेश सरकार अपने 7.5 लाख कर्मचारियों को बड़ी खुशखबरी देने जा …